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28 December 2024 1:39 pm

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आजादी के सात दशक बीतने के बाद भी श्रमिकों के हालत जस के तस, अभी तक नहीं सुधरे हालात

20 पाठकों ने अब तक पढा

संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

चित्रकूट- आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी श्रमिकों के हालात जस के तस बने हुए हैं आज भी इन श्रमिकों के हालात में कोई सुधार नहीं हुआ है चाहे सरकारी सेक्टर हो चाहे प्राइवेट सेक्टर हो हर जगह मजदूरों का शोषण बड़ी मात्रा में किया जाता है वहीं जिम्मेदार विभाग की अपनी मनमानी के चलते श्रमिकों का शोषण बड़ी मात्रा में कर रहा है जिसपर जिला प्रशासन को लगाम लगाने की जरूरत है जिससे मजदूरों का शोषण न हो सके l

आज 1 मई को अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस है अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के अवसर पर भारतीय जनता ट्रेड यूनियन के प्रदेश महासचिव चंद्रमोहन द्विवेदी ने श्रमिक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं व यह भी कहा कि चाहे सरकारी सेक्टर हो या चाहे प्राइवेट सेक्टर हो हर जगह मजदूरों का शोषण बड़ी मात्रा में किया जाता है लेकिन अब मजदूरों का शोषण किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा l

श्री द्विवेदी ने कहा कि मजदूर हमारे समाज का प्रमुख अंग हैं जिनके अथक परिश्रम की बदौलत बड़ी से बड़ी इमारतों व मकानों का निर्माण किया जाता है जिसपर हम लोग निवास करते हैं वहीं हम श्रमिकों के अथक परिश्रम को दरकिनार कर श्रमिकों का शोषण करते हुए नजर आते हैं l

सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं में से एक महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में श्रमिकों का शोषण बड़ी मात्रा में किया जाता है जहां पर श्रमिकों द्वारा कार्य करने के बावजूद अपनी मजदूरी के लिए श्रमिकों को दर दर भटकना पड़ता है वहीं सरकारी कार्यों में मजदूरों को बंधुआ मजदूर के रूप में रखकर कार्य करवाए जाते हैं व उन्हें अपने मनमुताबिक मजदूरी का भुगतान किया जाता है l

सरकार द्वारा मनरेगा योजना में श्रमिकों की मजदूरी लगभग 213 रुपए है लेकिन उन्ही मजदूरों को सरकारी कार्यों में 175 रुपए से लेकर 200 रुपए तक का नकद भुगतान कर बड़ी मात्रा में शोषण किया जाता है जबकि सरकार के निर्देशानुसार मजदूरों की मजदूरी उनके खाते में दिए जाने का प्राविधान है लेकिन श्रमिकों की मजदूरी में कटौती करने के लिए बड़ी मात्रा में नकद भुगतान किया जाता है l

वहीं श्रम विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता के चलते मजदूरों का शोषण बड़ी मात्रा में किया जा रहा है वहीं श्रम विभाग में श्रमिकों के लिए सरकार द्वारा संचालित कई योजनाएं भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं व श्रमिकों को योजनाओं का लाभ देने के लिए मजदूरों को बड़ी रकम चुकानी पड़ रही है तभी जाकर श्रमिकों को योजनाओं का लाभ मिल पाता है l

श्रम प्रवर्तन अधिकारी कार्यालय कर्वी में दलालों का जमावड़ा लगता है जो श्रम विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की सह पर गरीब श्रमिकों को योजनाओं के नाम पर लूटने का काम कर रहे हैं l

श्रम विभाग में श्रमिकों के लिए संचालित योजनाओं में दलाल पहले मोटी रकम वसूलते हैं फिर योजना का लाभ दिलाए जाने के नाम पर आधा पैसा खुद ही हड़प रहे हैं व जिम्मेदार अधिकारियों को पहुंचा रहे हैं l

जिले में श्रमिकों के शोषण को रोकने के लिए जिला प्रशासन को सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है जिससे मजदूरों का शोषण न हो सके वहीं श्रम विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए बड़ी गंभीरता से मामले को संज्ञान लेने की जरूरत है व श्रम विभाग में संचालित योजनाओं में दलालों के माध्यम से हो रही लूट पर शिकंजा कसने की जरूरत है जिससे मजदूरों का शोषण न हो सके l

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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