नौशाद अली की रिपोर्ट
कानपुर देहात, हिंदू-मुस्लिम एकता और सौहाद्र की मिसाल पेश करने वाले कई वाक्ये सुने और देखे होंगे, ऐसा ही एक वाक्या अब जिले के रामगंज में देखने को मिला है। यहां एक मुस्लिम परिवार ने हिंदू सदस्य को अपनाया और फिर उसकी मौत पर हिंदू रीति-रीवाज से तेरहवीं संस्कार किया। मुस्लिम परिवार की इस पहल की अब हर जगह सराहना हो रही है, इतना ही नहीं तेरहवीं कार्यक्रम में हिंदूओं ने भी शिरकत करके आपसी सामाजिक सौहाद्र को बढ़ाया।
रामगंज के सभासद हसीब कुरैशी स्क्रैप कारोबारी हैं। वर्ष 2005 में उनके गोदाम के पास हनुमान कुटी पर एक व्यक्ति आकर रुके। कई दिन वहां रहने के बाद एक उनके गोदाम पर काम मांगने आ गए। उन्होंने अपना नाम पंजाब के पठानकोट निवासी ओमप्रकाश शर्मा बताया। शिक्षित होने के कारण हसीब ने उन्हें गोदाम देखरेख का जिम्मा दिया। धीरे-धीरे वह उनके घर में परिवार के सदस्य की तरह रहने लगे। कोई भी उन्हें अलग नहीं समझता था। गोदाम से लेकर घर की हर गतिविधि में वह शामिल रहते थे।
कुछ दिन पहले दुर्घटना में 76 वर्षीय ओमप्रकाश घायल हो गए और अस्पताल में 11 अप्रैल को उनकी मौत हो गई। इसके बाद हसीब व उनके पिता हबीब ने अपने हिंदू साथियों से चर्चा कर पुरोहित की निगरानी में उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से किया। रविवार को तेरहवीं का आयोजन किया और ब्राह्मणों को भोज कराकर दान भी दिया। तेरहवीं में कस्बे के लोग भी शामिल हुए और मुस्लिम परिवार के सामाजिक सौहार्द के कदम को खूब सराहा। मृतक के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी।
हसीब कुरैशी ने बताया कि हिंदू सदस्य को अपने स्वजन की तरह रखा। वर्षों का साथ और प्रेम ऐसा रहा कि मौत होने पर अंतिम संस्कार से लेकर तेरहवीं तक की, ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके। बहुत पूछने पर अपने बारे में सिर्फ इतना बताया था कि पंजाब के पठानकोट के रहने वाले हैं। वहां के मोहल्ले का नाम कभी नहीं बताया। कहते थे कि इस दुनिया में आप सबके सिवाय मेरा कोई नहीं है।
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."