मुरारी पासवान की रिपोर्ट
रंका अनुमंडल मुख्यालय के पांच प्रखण्डों में कल तक जिन महिलाओं के देखने के लिए आसपास की महिलाएं घर में जाती थी तो वे अपने पल्लू से सिर को ढक लेती थी। वहीं महिलाएं आज गांव में हो रही त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में गांव की सरकार बनाने के लिए सड़कों पर ढोल बाजे परंपरागत नगाड़े के साथ नजर आ रही हैं। फूल माला से लदे हुए इनके चेहरे को घुंघट के जैसा शोभामान कर रही हैं ।
ये महिलाएं कल तक जहां अपने घरों के चहार दिवारी में कैद थी ।आज वे सड़कों पर अपने आपको पाकर आजाद महसूस कर रही । कल तक जिनके घर से बाहर निकलने पर सास और ससुर आंखें दिखाया करते थे आज वही बहुएं अपने सास-ससुर ननंद भवजाई के संग सड़कों पर नामांकन के लिए उतर रहे हैं ।आगे इनके फर और कितनी उड़ान भरेंगी वह अभी देखना बाकी है ।
पंचायत चुनाव में सरकार ने महिलाओं को आरक्षण देकर उनके हक और उनकी स्वतंत्रता को एक नया आयाम दिया है। एक नया जीवन दिया है ।पंचायत चुनाव चाहे जो भी जीते लेकिन आज इनके परिवार के लोग पूरी स्वतंत्रता के साथ सड़कों पर इन्हें घुमा रहे हैं । समाज के हर पहलू को इन्हें बता रहे हैं ।जो समाज के लिए एक शुभ संकेत है ।
हमारा भारतीय समाज कभी भी नारियों का तिरस्कार नहीं किया है हर वक्त इन नारियों की पूजा की है ।आज भी इनके इसी व्यक्तित्व को लोग पूजा के रूप में देख कर आगे बढ़ा रहे हैं। महिलाएं वास्तव में अपने चौखट से बाहर निकलकर दुनिया की आबोहवा ले रही है। यह सरकार की दूरदर्शी सोच का परिचायक है कि हमारी महिलाएं कल तक जहां एक बंदिश में जीवन बिताती थी पंचायत चुनाव में उन्हें काफी स्वतंत्रता मुहैया कराया महिलाओं के लिए एक सकारात्मक तथ्य है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."