मिश्रीलाल कोरी की रिपोर्ट
नेपालगंज बार्डर । उत्तर प्रदेश में विधानसभा के हो रहे चुनाव की हलचल भारत-नेपाल सीमा के इधर-उधर भी है। राजधानी लखनऊ से तकरीबन 200 किलोमीटर दूर बहराइच जिले से लगने वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा के इस तरफ रुपईडीहा कस्बा है तो उस ओर पांच-छह किलोमीटर दूर उप महानगर नेपालगंज।
कोविड की बंदिशे खत्म होने के बाद रोजाना की तरह बार्डर पर यहां-वहां आने-जाने वालों का सिलसिला जारी है। दोनों तरफ शांति है इसलिए सीमा पर दोनों देशों को जोड़ने वाली चौड़ी रोड पर बैरियर लगाकर मुस्तैद एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) के जवान ज्यादा रोक-टोक व जांच के बिना सभी को आने-जाने दे रहे हैं।
दरअसल, 1751 किलोमीटर लंबी भारत-नेपाल सीमा में से 560 किलोमीटर नेपाल की सीमा यूपी से लगी है। इससे तस्करी और देश विरोधी तत्वों की अवैध रूप से भारत में आवाजाही के खतरे की आशंका के मद्देनजर एसएसबी के जवान सीमा पर रात-दिन चौकसी करने में लगे हुए हैं।
ज्यादातर नेपाली भारत की ओर से अपनी रोजमर्रा की जरूरतों का सामान ले जाते दिखते हैं तो वहां काम करने वाले भारतीय देर शाम वापसी करते। बार्डर के आसपास की मौजूदा स्थिति के बारे में ज्यादातर कहते हैं कि मोदी-योगी की सरकार बनने के बाद से यहां की स्थिति में बहुत सुधार हुआ है। ऐसी ही स्थिति के लिए यूपी में आगे भी योगी सरकार जरूरी है।
बांके जिले में पड़ने वाले नेपाल बार्डर के चेकिंग एरिया के निकट बने श्री बजरंग बली के पुराने मंदिर में प्रवेश करते ही कुछ लोग दिखाई देते हैं। राम जानकी मंदिर के श्री महंत भगवान दास चुनाव की चर्चा छेड़ते ही कहते हैं कि भारत-नेपाल के रिश्ते तो सदैव अच्छे रहे हैं लेकिन इधर चीन के दबाव से स्थिति पहले जैसी नहीं दिखती। बताते हैं कि पकिस्तान की निगाहें भी इधर हैं। ऐसे में बार्डर पर गैर कानूनी गतिविधियों में लिप्त रहने वालों की नजर रहती है लेकिन मोदी-योगी की सरकार होने से वे अपने मकसद में काफी हद तक कामयाब होते नहीं दिखते। उन्हें लगता है कि बार्डर पर ऐसे ही सब कुछ ठीक-ठाक रहने के लिए यूपी में फिर से योगी सरकार बने। महंत सुखराम दास जी भी उनकी बातों को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं कि हिंदुत्व की रक्षा के लिए इससे अच्छी सरकार कोई हो नहीं सकती।
सीमा पर नेपाल की भंसार चौकी पार कर लगभग पांच किलोमीटर अंदर नेपालगंज पहुंचे तो वहां गुरुद्वारा श्री गुरुनानक सिंह सभा के प्रधान और बांका जिला सिख कमेटी के अध्यक्ष सरदार राजेंद्र सिंह से मुलाकात हुई। कहते हैं कि भारत में मोदी जी की सरकार के बाद वर्ष 2017 में यूपी में योगी सरकार बनने से सीमा पर अपराध, जाली नोट, तस्करी आदि में बहुत कमी हुई है।
तकरीबन डेढ़ सौ वर्ष पूर्व बहराइच के मटेरा से नेपालगंज में बसने वाले परिवार के सिंह साफ-तौर पर कहते हैं कि योगी सरकार के बेहतर काम को देखते हुए उनकी फिर सत्ता में वापसी होनी चाहिए। ऐसा न हुआ तो बहुत अफसोस होगा।
सभा के महासचिव सरदार अमर जीत सिंह तो दावे के साथ बताते हैं कि मोदी-योगी से अच्छी रामराज वाली सरकार कोई हो ही नहीं सकती। कहते हैं कि फिर योगी सरकार कम से कम 225 सीटों के साथ बनेगी क्योंकि इस सरकार में बिना भेदभाव के ईमानदारी के साथ बड़े काम होने से जनता खुश हैं। योगी सरकार के रहते बार्डर के आसपास नेपाली को लूटने और अपराध की बड़ी घटनाओं में 90 प्रतिशत से ज्यादा की कमी आई है। सीमा पर ई-रिक्शा के आवागमन पर रोक से इधर-उधर आने-जाने वालों की दिक्कतों को देखते हुए वह चाहते हैं कि मोदी सरकार इस समस्या से निजात दिलाए।
नेपालगंज के सुप्रसिद्ध त्रिभुवन चौक के पास कास्मेटिक्स और गारमेंट की दुकान चलाने वाले सुरेश गोयल कहते हैं कि मोदी-योगी की सरकार होने से सीमा पर बदलाव साफ दिखता है। भ्रष्टाचार तो कम हुआ ही है, हमें बिना किसी डर-दबाव के कारोबार करने में सहूलियत भी हुई है। यूपी चुनाव पर कहते हैं कि हम लोग तो यही चाहते हैं कि सब कुछ ठीक रहने के लिए योगी जी फिर मुख्यमंत्री बनें।
नेपालगंज में जमीन का कारोबार करने वाले गोविंद शर्मा बताते हैं कि उनकी रिश्तेदारी लखीमपुर सहित यूपी के दूसरे शहरों में भी है। कहते हैं कि योगी सरकार ही ठीक है क्योंकि अन्य सरकारों में बार्डर पर दूसरी तरह की गतिविधियां ज्यादा बढ़ जाती है। शर्मा मानते हैं कि एक ही पार्टी की भारत और यूपी में सरकार होने से बेहतर तालमेल रहता है जिससे बार्डर पर संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त रहने वालों के हौसले पस्त दिखते हैं।
नेपाल बार्डर के जमुनाह बांके क्षेत्र से वापस रुपईडीहा पहुंचने पर सीमांत महाविद्यालय के प्रबंधक कौशलेंद्र कुमार पाण्डेय से मिलने पर वह कहते हैं कि निश्चिततौर पर मोदी-योगी की सरकार से सीमा पर स्थिति में सुधार दिखता है। सीमांकन के नए सिरे से पत्थर लगाए जाने के बाद रोड बनाने की बात है।
बताते हैं कि यूपी में योगी सरकार के होने से बड़े पैमाने पर तस्करी व अपराध की घटनाएं कम सुनाई देती हैं। पहले जिस तरह से खुले आम जानवरों का वध किया जाता था वह अब बंद है। हालांकि, इससे मीट महंगा होने का दर्द भी दिखा। अशोक कुमार कहते हैं नेपाल से यहां आने वालों के दम पर ही रुपईडीहा बाजार गुलजार है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."