पंडित दीनदयाल शर्मा की रिपोर्ट
मथुरा: वृंदावन के अनाथालय के पालने में पली बच्ची को दीदी मां के वात्सल्य की ऐसी छांव मिली कि आज वह उसी वात्सल्य ग्राम से पालकी में बैठकर विदा गई। हर रस्म पूरी कर देर शाम जब पालकी से रिचा की विदाई हुई तो हर आंख नम हो गई। बता दें कि 25 साल पहले वात्सल्यग्राम के पालने में किसी अभागी ने अपनी कोख से जन्मी महज एक दिन की बालिका को उसके भाग्य भरोसे छोड़ दिया लेकिन बच्ची के अभाग्य को वात्सल्यग्राम की अधिष्ठात्री साध्वी ऋतंभरा के वात्सल्य ने सौभाग्य में बदल दिया।
25 साल पहले खून के सम्बन्धों को खो चुकी ऋचा आज ‘भावमयी सम्बन्धों’ के सहारे पालकी पर सवार होकर अपने सपनों के राजकुमार के साथ इंदौर विदा हो गई। अपनों द्वारा ठुकराए गए मासूमों के बीच दीदी मां के रूप में प्रसिद्ध साध्वी ऋतंभरा के वात्सल्यमयी सान्निध्य में न केवल बच्चों का पालन-पोषण किया जाता है बल्कि उन्हें समाज के साथ कदमताल करने के गुर भी सिखाए जाते हैं। इसी तरह ऋचा को उच्च शिक्षित कर उसे कानून की डिग्री दिलाने तक के हर सफर में वात्सल्यग्राम का साथ मिला और अब हर आम लड़की की तरह ऋचा भी अपने परिवार को सवांरने इंदौर रवाना हो गई।
इस वैवाहिक समारोह में हिन्दू रीति-रिवाज के मुताबिक एक परिवार में होने वाली सभी रस्मों को उल्लास के साथ निभाया गया। चाहे मेहंदी हो या हल्दी, हर रस्म में दीदी मां का वात्सल्य हर क्षण ऋचा के साथ दिखाई दिया।
Author: samachar
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