हरजिंदर सिंह की रिपोर्ट
राजस्थान में एक ऐसी भी शाही शादी हुई, जिसमें दूल्हा ऊंट पर सवार होकर दुल्हन लेने पहुंचा। दूल्हे के साथ ही बाराती भी ऊंट पर सवार थे। 20 ऊंटों पर सवार दूल्हा-बाराती दो घंटे में सात किलोमीटर का सफर तय कर दुल्हन के घर पहुंचे।
दरअसल, बाड़मेर शहर के दानजी की होदी में निवासी दलसिंह के इंजीनियर बेटे मलेश राजगुरु की शादी महाबार निवासी नारायण सिंह की पुत्री सीता कंवर के साथ शुक्रवार को हुई थी। दूल्हे के दादा की इच्छा थी कि पोते की बारात ऊंटों पर निकले। ऐसे में तय किया गया कि बारात ऊंटों पर ही निकाली जाएगी। इसके लिए बीते 5 महीनों से इसको लेकर तैयारी कर रहे थे।
लाेग पूछते रहे बारात कौनसे रूट से जाएगी
दूल्हे के पिता का कहना है कि ऊंट से बारात निकालने का जिसने भी सुना, उन्होंने इसकी प्रशंसा की है। सब लोग बधाई देते हुए कह रहे हैं कि आपने पुरानी संस्कृति काे वापस जिंदा कर रहे हो। लोगों से अपील कि नई संस्कृति के साथ पुरानी संस्कृति को नहीं भूलना चाहिए। लोग फोन करके पूछते रहे कि बारात कौनसे रूट से जाएगी।
दूल्हे मलेश राजगुरु का कहना है कि मेरे दादा-परदादा की बारात ऊंटों पर जाती थी। अब लोग जरूर गाड़ी और हेलिकॉप्टर से जा रहे हैं, लेकिन मेरे दादा की इच्छा थी कि मेरी बारात ऊंटों पर निकले। मुझे भी खुशी है कि मेरे दादा की बारात की तरह मेरी बारात भी ऊंटों पर ही निकाली गई है। दादा का 2012 में निधन हो गया था।
20 ऊंटों को जैसलमेर से मंगवाया
दूल्हे के पिता दलसिंह बताते हैं कि मेरे पिता पहाड़सिंह की इच्छा पूरी करने और पुरानी संस्कृति को जिंदा रखने के लिए हमने ऊंटों पर बारात निकाली है। इसके लिए मेरा परिवार बीते 5 महीनों से तैयारी कर रहा था। सम से 20 ऊटों को मंगवाया था। एक ऊंट का 11 हजार रुपए व खाना-पीना का खर्चा लगा है। सभी ऊंटों पर तीन लाख रुपए का खर्च आया है।
ऊंटों को गोरबंद,नेवरी और घुंघरू पहनाए
ऊंटों को बाड़मेर लाकर बारात में जाने से पहले दुल्हन की तरह सजाया गया था। ऊंट के गले में गोरबंद का इस्तेमाल किया गया था। गले में ही चांदी और जरी की कसीदाकारी पट्टियां, पैरों में नेवरी और घुंघरू पहनाए गए थे। ऊंट के पीठ पर पहले काठी पहनाई गई थी। इसमें दो लोगों के बैठने की जगह होती है। इसके नीचे गद्दियां लगाई गई थी। गले से दोनों ओर पैर तक लुम्बा-झुम्बा पहनाया जाता है। ये रंग-बिरंगा होता है। मुंह, कान और नाक को ढकते हुए चांदी का कसीदा किया हुआ मोहरा पहनाया जाता है। तंग काठी को कसने के काम आता है। जो दोनों ओर लटका होता है। नाक में नकेल और गले में रास (रस्सी) होती है।
Author: samachar
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