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November 25, 2024 6:30 am

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10 लाख देकर फर्जीवाड़ा: मुन्ना भाई की मदद से बैंक में नौकरी कर रहा था, हो गया ऐसे खेला… 

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ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

हरदोई में एक युवक, जो बैंक कर्मचारी के रूप में काम कर रहा था, को धोखाधड़ी के आरोप में पकड़ा गया। युवक ने 10 लाख रुपये देकर अपनी जगह किसी और को आईबीपीएस (इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सोनल सिलेक्शन) की परीक्षा में बैठाया था। उस व्यक्ति ने परीक्षा में अच्छी रैंक हासिल की और युवक का चयन बैंक में हो गया। इसके बाद, युवक ने बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी के लिए आवश्यक दस्तावेजों में हेराफेरी की और नौकरी हासिल कर ली।

कुछ समय तक तनख्वाह लेने के बाद, उसने अपने पिता की तबीयत का बहाना बनाकर नौकरी से इस्तीफा दे दिया, और तब तक किसी को इस फर्जीवाड़े की जानकारी नहीं थी।

लेकिन जब उसने दोबारा से बैंक में जॉइनिंग के लिए आवेदन किया, तो उसके फर्जी दस्तावेज सामने आ गए। बैंक द्वारा जॉइनिंग के समय बायोमेट्रिक जांच के दौरान उसके दस्तावेजों में गड़बड़ी पाई गई। बैंक के अधिकारियों ने संदेह होने पर युवक को पुलिस के हवाले कर दिया, जहां सच्चाई सामने आई। युवक ने पुलिस को बताया कि उसने 10 लाख रुपये देकर किसी और को अपनी जगह परीक्षा में बैठाया था।

इस घटना के बाद, पुलिस ने युवक पर मामला दर्ज कर लिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। इस मामले ने एक बार फिर परीक्षा में होने वाली धांधलियों को उजागर कर दिया है। परीक्षा में नकली उम्मीदवारों का बैठना देश में एक बड़ी समस्या बन चुकी है, और ऐसे मामलों को रोकने के लिए पुलिस और सरकार लगातार सख्त कदम उठाती रही है, लेकिन इसके बावजूद अधिकारीयों की लापरवाही के कारण ऐसे धोखाधड़ी के मामले सामने आते रहते हैं।

बैंक ऑफ इंडिया के रेलवेगंज शाखा के प्रबंधक सुनील कुमार पांडे ने शहर कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें बताया गया कि बिहार के पटना जिले के आदमपुर गांव का रहने वाला दीपक कुमार, महेंद्र पासवान का पुत्र है। दीपक ने आईबीपीएस की क्लर्क परीक्षा में 13वीं रैंक हासिल की थी और 15 जून 2024 को हरदोई में बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में नियुक्ति के लिए पहुंचा था।

नियुक्ति के समय उसने सभी जरूरी दस्तावेज जमा कराए और मेडिकल और बायोमेट्रिक प्रक्रिया पूरी की। इस दौरान उसकी फोटो, हस्ताक्षर और अन्य आवश्यक औपचारिकताएं भी पूरी की गईं। उसे फर्रुखाबाद जिले के कायमगंज शाखा में क्लर्क के पद पर नियुक्त किया गया। कुछ समय बाद, जब उसने फिर से जॉइनिंग के लिए आवेदन किया, तो बायोमेट्रिक प्रक्रिया के दौरान उसकी फोटो और रिकॉर्ड में मिलान करते समय उसकी असलियत सामने आई।

बैंक के अधिकारियों ने पाया कि वह युवक पहले किसी और की फोटो लगाकर नौकरी कर रहा था। इसके बाद बैंक कर्मचारियों ने उसे पुलिस के हवाले कर दिया।

जांच में युवक ने कबूल किया कि उसने 10 लाख रुपये देकर किसी और को परीक्षा में बैठाया था, जिससे यह सारा फर्जीवाड़ा हुआ। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और आगे की जांच जारी है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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