आशीष कुमार की रिपोर्ट
रायबरेली में जिला अस्पताल और महिला अस्पताल में सोमवार को जिलाधिकारी हर्षिता माथुर के निर्देश पर एसडीएम (न्यायिक) सचिन यादव ने औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्हें ओपीडी में एक डॉक्टर द्वारा मरीज को बाहर की दवाएं लिखते हुए पाया गया। एसडीएम ने मौके पर ही इस अनियमितता को पकड़ते हुए डॉक्टर को कड़ी फटकार लगाई और सीएमएस से इस पर स्पष्टीकरण मांगा।
सोमवार दोपहर करीब 12 बजे एसडीएम सचिन यादव जिला अस्पताल पहुंचे और मरीजों की भीड़ व दवा काउंटर पर लंबी कतार को देखकर नाराज हुए। उन्होंने सीएमएस से बातचीत कर फार्मासिस्ट को निर्देश दिया कि कतार को शीघ्र समाप्त करें। इसके बाद एसडीएम ने अस्पताल के विभिन्न कमरों का निरीक्षण शुरू किया।
ओपीडी के कमरा नंबर 11, 12 का निरीक्षण करने के बाद एसडीएम कमरा नंबर 13 में पहुंचे, जहां डॉ. शैलेश मरीजों का इलाज कर रहे थे। एक महिला मरीज से बातचीत के दौरान उन्हें बाहर की दवाओं का बिल वाउचर मिला, जिस पर डॉक्टर का नाम लिखा था। जब एसडीएम ने डॉक्टर से इस वाउचर के बारे में पूछा, तो डॉक्टर संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए। एसडीएम ने वाउचर की फोटो अपने मोबाइल से खींची और इस बारे में सीएमएस से स्पष्टीकरण मांगा।
अस्पताल में दवाओं की उपलब्धता होने के बावजूद डॉक्टरों द्वारा मरीजों को बाहर की महंगी दवाएं खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा था। इस पर सवाल उठता है कि ऐसे डॉक्टरों पर कड़ी कार्रवाई कैसे की जाएगी, जो मरीजों का आर्थिक शोषण कर रहे हैं। एसडीएम ने सीएमएस से तुरंत डॉक्टर से लिखित स्पष्टीकरण मांगा और इस मामले में जल्द कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
सीएमएस डॉ. प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि बाहर की दवाओं को लेकर सभी डॉक्टरों को नोटिस जारी किया गया है। इसके अलावा अस्पताल में चावल की कमी पर भी जानकारी दी गई है, जिसे टेंडर के आधार पर ठीक किया जाएगा। महिला अस्पताल में मरीजों और जांच रजिस्टरों में गड़बड़ियों पर भी स्पष्टीकरण मांगा गया है।
हालांकि, फिजिशियन डॉ. शैलेश सिंह ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वे मरीज का इलाज कर रहे थे और अचानक एसडीएम आ गए। उन्होंने मरीज से बाहर की दवाओं के बारे में पूछा और उसी दौरान वाउचर मिला। उन्होंने कहा कि उन पर लगाए गए आरोप निराधार हैं।
Author: samachar
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