सुमित गुप्ता की रिपोर्ट
बिलासपुर। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) की एमबीबीएस की 30 सीटों की मान्यता को रद्द कर दिया है, जिसके कारण इस सत्र में केवल 150 सीटों पर ही एमबीबीएस की पढ़ाई हो सकेगी। पहले सिम्स में 180 एमबीबीएस सीटें थीं, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर और डॉक्टरों की कमी के चलते यह निर्णय लिया गया है।
एनएमसी की टीम ने मई में ही सिम्स के प्रबंधन पर 3 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था और चेतावनी दी थी कि अगर दो महीने के भीतर इंफ्रास्ट्रक्चर और फैकल्टी की कमी को पूरा नहीं किया गया तो एमबीबीएस सीटें घटा दी जाएंगी। हालांकि, प्रबंधन ने इस चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया और इसके परिणामस्वरूप एमबीबीएस की 30 सीटें कम कर दी गईं।
सिम्स की स्थापना के समय से ही यहां फैकल्टी की कमी बनी हुई है और मरीजों को प्रदान की जा रही सुविधाएं भी पर्याप्त नहीं हैं। लगातार कर्मचारियों की भर्ती की मांग उठ रही है, लेकिन प्रबंधन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण भर्ती प्रक्रिया अटकी हुई है। 2019-20 में सीटों की संख्या 150 से बढ़ाकर 180 कर दी गई थी, लेकिन प्रबंधन को इसके अनुरूप इंफ्रास्ट्रक्चर और फैकल्टी की व्यवस्था करनी थी, जो कि पूरी नहीं की गई।
एनएमसी की जांच के दौरान पाया गया कि सिम्स में कर्मचारियों की कमी के साथ-साथ 20 फीसदी फैकल्टी, 43 फीसदी जूनियर और सीनियर रेसीडेंट की कमी है। इसके अलावा, जरूरी जांच की मशीनों की कमी भी पाई गई और लैब में रीएजेंट की कमी भी एक महत्वपूर्ण समस्या थी।
अब, सत्र 2024-25 के लिए सिम्स में 150 एमबीबीएस सीटों पर ही एडमिशन दिया जाएगा, जिसमें 10 प्रतिशत सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षित होंगी। सिम्स को 30 सीटों की मान्यता वापस पाने के लिए डॉक्टरों और कर्मचारियों की भर्ती करनी होगी और इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारना होगा, जिसमें जांच मशीनों की संख्या बढ़ाना भी शामिल है।
Author: samachar
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