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November 1, 2024 3:02 pm

कौन करेगा हिफाजत…..भीड़ ने फूंक दिया थाना, भाग गए पुलिसकर्मी कब आएंगे…किसी को पता नहीं

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सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट

ढाका के मीरपुर पुलिस स्टेशन की इमारत आग से पूरी तरह जली हुई है और इसकी दीवारें काली पड़ चुकी हैं। थाने के सामने कुछ पुलिस वर्दियों, जूतों और बुलेटप्रूफ जैकेटों का ढेर पड़ा है, जो अब इस्तेमाल के लायक नहीं हैं। गुरुवार को सुबह साढ़े 9 बजे मीरपुर मॉडल थाने की यह स्थिति थी, जहां अंसार के आठ सदस्य ड्यूटी पर तैनात थे। 

मीरपुर थाने की यह जली हुई इमारत इस बात का संकेत देती है कि आम लोगों में पुलिस के प्रति कितनी नाराज़गी है। कार्यालय में काम करने वाले कमाल हुसैन ने बीबीसी बांग्ला से कहा, “मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि पुलिस की ऐसी हालत हो जाएगी।” 

इस घटना के बाद, बांग्लादेश के सभी थानों में बीते सोमवार से कोई पुलिसकर्मी नहीं है। ऐसी घटना बांग्लादेश में पहले कभी नहीं हुई थी, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी यह घटना काफी दुर्लभ मानी जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि युद्धकालीन स्थितियों में ही ऐसी घटनाएं होती हैं।

मीरपुर के अलावा, ढाका के भाटारा थाने की स्थिति भी वैसी ही है। वहां भी आग लगने के बाद थाने का मलबा बिखरा पड़ा है। अंसार के सदस्य थाने में ड्यूटी पर हैं और छात्रों का एक समूह मलबे की सफाई में जुटा है। 

छात्रों ने बताया कि पुलिस के रवैये के कारण उनमें नाराज़गी है, लेकिन शांति और सामान्य स्थिति की बहाली के लिए एकजुटता और नरमी की आवश्यकता है।

पुलिस के रवैये के कारण लोगों में नाराज़गी गहरी हो गई है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि 2012 से बड़े पैमाने पर बल प्रयोग शुरू होने के बाद से लोगों का पुलिस के प्रति विश्वास कम हो गया था। 

उन्होंने कहा कि पुलिसवालों को जल्दी से काम पर लौटकर क़ानून व्यवस्था को सुधारना होगा ताकि लोगों का भरोसा वापस आए।

बड़े पैमाने पर हथियार और गोला-बारूद लूटे गए हैं और कई पुलिसकर्मियों के पास वर्दी भी नहीं है। ढाका के कई स्थानों पर सिटी कॉर्पोरेशन के कर्मचारी मलबा हटा रहे हैं। स्थानीय लोग और काउंसलर कानून और व्यवस्था को बहाल करने के लिए पुलिस की मदद कर रहे हैं।

विश्लेषकों का कहना है कि पुलिस को फिल्ड में जाकर स्थिति को सुधारने की जरूरत है। 

पूर्व पुलिस प्रमुख नुरुल हुदा ने कहा कि पुलिस को अपनी मौजूदगी दिखानी होगी और सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। सुधार लाने के लिए तेज़ी से कदम उठाना संभव नहीं होगा, और इसके लिए राजनीतिक नेतृत्व भी ज़िम्मेदार है, जिसने लंबे समय से पुलिस का राजनीतिक इस्तेमाल किया है।

पुलिस के शीर्ष अधिकारियों ने संकेत दिया है कि पुलिस बल में बड़े बदलाव होंगे। जिन थानों में पुलिस ने सबसे ज़्यादा बल प्रयोग किया था, वहां पहले सुधार किए जाएंगे।

जिन अफसरों पर मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर आरोप हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, तभी पुलिस पर लोगों का भरोसा लौटेगा।

देश के पुलिस एसोसिएशन ने हाल ही में ढाका में एक बैठक आयोजित की, जिसमें पुलिसवालों की कुछ प्रमुख मांगें सामने आईं। इन मांगों का उद्देश्य पुलिस के प्रति आम लोगों का भरोसा बहाल करना और पुलिसकर्मियों की समस्याओं का समाधान करना है। 

पुलिस सब-इंस्पेक्टर ज़ाहिदुल इस्लाम ने बैठक में कहा कि पुलिस की मौजूदा स्थिति के लिए राजनीतिक हस्तक्षेप और वरिष्ठ अधिकारियों के मनमाने आदेश जिम्मेदार हैं। 

उन्होंने कहा कि पुलिस को एक ऐसा नेतृत्व चाहिए जो जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए काम करे, न कि किसी राजनीतिक दल के पक्ष में काम करे। 

उनके अनुसार, विभाग में ऐसे सक्षम अफ़सर मौजूद हैं जो सही तरीके से कार्यवाही कर सकते हैं, लेकिन उन्हें उचित जिम्मेदारी नहीं मिल रही है। 

पुलिस एसोसिएशन की बैठक में प्रस्तुत की गई प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:

  1. पुलिस को राजनीतिक प्रभाव से मुक्त किया जाए : पुलिस बल को किसी भी राजनीतिक दबाव या प्रभाव से मुक्त रखा जाए ताकि वे अपनी ड्यूटी स्वतंत्रता और निष्पक्षता से निभा सकें।

2.पुलिस वालों और उनके परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए : सभी पुलिसकर्मियों और उनके परिवारों की सुरक्षा की गारंटी दी जाए, विशेषकर उन अफ़सरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए जिन्होंने पुलिसकर्मियों और आम लोगों की जान की सुरक्षा में लापरवाही की।

3.सत्तालोलुप अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई : जिन पुलिस अधिकारियों की वजह से जान-माल की हानि हुई है, उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाए और उनके खिलाफ बांग्लादेश के कानून के तहत मुक़दमा चलाया जाए। उनकी अवैध संपत्तियों को ज़ब्त कर पुलिस के कल्याण के लिए उपयोग किया जाए।

4.मृत पुलिसकर्मियों के परिवारों को मुआवजा : हिंसा में मारे गए पुलिसकर्मियों के परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए और घायलों को भी राहत प्रदान की जाए।

5.हथियार का इस्तेमाल करने वाले पुलिसकर्मियों की रक्षा : जिन पुलिसकर्मियों ने जान और माल की सुरक्षा के लिए हथियार का उपयोग किया है, उनके खिलाफ किसी भी विभागीय कार्रवाई को रोका जाए।

6.ड्यूटी और ओवरटाइम के नियम : बांग्लादेश के श्रम कानूनों के अनुसार, पुलिसकर्मियों के लिए आठ घंटे की ड्यूटी सुनिश्चित की जाए और अतिरिक्त घंटों के लिए ओवरटाइम का प्रावधान किया जाए।

7.पुलिस की वर्दी का समान ड्रेस कोड : पुलिस के सभी रैंक—कॉन्स्टेबल से लेकर आईजी तक—के लिए एक समान ड्रेस कोड लागू किया जाए, जिससे उनकी वर्दी का रंग एक जैसा हो।

जब ज़ाहिदुल इस्लाम ने इन मांगों को बैठक में प्रस्तुत किया, तो वहां मौजूद सभी पुलिसकर्मियों ने तालियों के साथ उनका समर्थन किया। यह दिखाता है कि इन मांगों को लेकर पुलिसकर्मियों में एक व्यापक सहमति है और वे इन सुधारों की दिशा में आगे बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं। ( मूल साभार बीबीसी हिंदी, संपादित सर्वेश द्विवेदी के साथ समाचार दर्पण संपादकीय) 

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."