अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
हाल ही में बांग्लादेश में एक बार फिर तख्तापलट हो गया है, जिसमें सेना ने अंतरिम सरकार का गठन करके देश चलाने का दावा किया है। इस तख्तापलट के बाद, प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और देश छोड़कर चली गई हैं। यह घटना बांग्लादेश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो रही है, विशेषकर शेख हसीना के परिवार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को देखते हुए।
शेख हसीना का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
शेख हसीना का जन्म 28 सितंबर 1947 को बांग्लादेश के पूर्वी पाकिस्तान में हुआ था।
उनके पिता, शेख मुजीबुर्रहमान, बांग्लादेश की आज़ादी के नायक थे। 1971 में, बांग्लादेश की आज़ादी की लड़ाई के दौरान उनके पिता ने देश की स्वतंत्रता के लिए आंदोलन किया और आज़ादी के बाद बांग्लादेश के पहले प्रधानमंत्री बने।
लेकिन 15 अगस्त 1975 को हुए तख्तापलट ने शेख हसीना के परिवार को गहरा आघात पहुँचाया। सेना ने शेख मुजीबुर्रहमान के घर पर टैंक घुसा दिए, जिसमें शेख हसीना के माता-पिता और तीन भाई मारे गए। शेख हसीना और उनकी छोटी बहन उस समय यूरोप में थीं, जिसके कारण उनकी जान बच गई।
राजनीतिक यात्रा की शुरुआत और उपलब्धियां
शेख हसीना ने 16 फरवरी 1981 को अपने पिता की आवामी लीग पार्टी की अध्यक्षता संभाली और तीन महीने बाद बांग्लादेश लौटीं। उन्होंने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को पुनः स्थापित करने के लिए कठिन संघर्ष किया।
कई बार हाउस अरेस्ट का सामना करने के बावजूद, वे 1996 में पहली बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं। इसके बाद, 2001 में चुनाव हारने के बावजूद, 2006 में चुनावी संकट के बाद 2009 में वे फिर से सत्ता में आईं।
2009 के बाद से, शेख हसीना ने लगातार चार बार प्रधानमंत्री के पद पर काबिज़ होकर बांग्लादेश की राजनीति पर प्रभाव डाला। जनवरी 2024 में उनकी पार्टी ने रिकॉर्ड सीटें जीतीं और शेख हसीना ने पांचवीं बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।
आरक्षण प्रणाली और प्रदर्शन
हाल ही में बांग्लादेश में आरक्षण प्रणाली को लेकर काफी विवाद उत्पन्न हुआ। पहले सरकारी नौकरियों में 56 प्रतिशत आरक्षण व्यवस्था थी, जिसमें से 30 प्रतिशत आरक्षण स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार के लिए था।
इसके अलावा, 10 प्रतिशत प्रशासनिक जिलों, 10 प्रतिशत महिलाओं और 5 प्रतिशत जातीय अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण था। हालांकि, 4 अक्टूबर 2018 को इस प्रणाली को निलंबित कर दिया गया था।
लेकिन 5 जून 2024 को बांग्लादेश की हाई कोर्ट ने 30 प्रतिशत आरक्षण कोटा को बहाल करने का आदेश दिया, जिसके बाद छात्रों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
21 जुलाई 2024 को बांग्लादेश की सर्वोच्च अदालत ने आरक्षण में कटौती की, लेकिन पूरी तरह से खत्म नहीं किया। इसके बावजूद, विरोध प्रदर्शन जारी रहे।
4 अगस्त 2024 को बड़े पैमाने पर हिंसक प्रदर्शन हुए, जिनमें 68 लोगों की मौत हो गई और 14 पुलिस अधिकारी भी मारे गए। इस हिंसा के बाद, शेख हसीना पर इस्तीफे का दबाव बढ़ गया और जब हजारों प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री आवास की ओर बढ़ रहे थे, तब खबर आई कि शेख हसीना इस्तीफा देकर देश छोड़ चुकी हैं।
इस तरह, छात्रों के एक प्रदर्शन ने शेख हसीना की सरकार की नींव को हिला दिया।
Author: samachar
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