दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
हरियाणा के पूर्व गृह और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज अक्सर अपने विवादित बयानों की वजह से सुर्खियों में रहते हैं।
हाल ही में उन्होंने शुक्रवार को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट किया जिसमें उन्होंने लिखा, “डूबेगी कश्ती तो डूबेंगे सारे, ना तुम ही बचोगे ना साथी तुम्हारे।” इस पोस्ट के संदर्भ को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं, हालांकि विज ने स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया कि उनका इशारा किस तरफ है।
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह पोस्ट बीजेपी के नेताओं की ओर इशारा कर सकती है, खासकर नायब सिंह सैनी की सरकार की ओर।
हाल ही में हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफे के बाद नायब सिंह सैनी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, और इस दौरान अनिल विज को कोई महत्वपूर्ण पद नहीं मिला था। इसके चलते उनकी नाराजगी भी देखी गई थी, और वे सैनी के शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल नहीं हुए थे।
हालांकि बाद में सीएम सैनी और पूर्व सीएम खट्टर के बीच बैठक हुई थी।
अनिल विज ने इससे पहले भी कांग्रेस और उसके नेताओं पर तीखा हमला किया था। हाल ही में उन्होंने राहुल गांधी की जातिगत जनगणना की मांग पर भी आपत्ति जताई थी।
विज ने राहुल गांधी के बयान पर टिप्पणी करते हुए लिखा कि यदि कोई व्यक्ति जिसका दादा पारसी और मां इटालियन हो, तो उसे किस जाति में शामिल किया जाएगा?
इस बयान से उन्होंने राहुल गांधी के जातिगत जनगणना के प्रस्ताव को निशाने पर लिया।
इसके अलावा, अनिल विज ने राहुल गांधी पर संसद में विकास के मुद्दों की बजाय महाभारत की चर्चा करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को भारतीय संस्कृति और महाभारत के बारे में सही ज्ञान नहीं है, और वे लोकसभा में बिना ठोस मुद्दों पर बहस करते हैं।
इस बीच, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी राहुल गांधी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी कभी भी ऐसा मौका नहीं छोड़ते जिससे समाज और देश को नुकसान हो।
सैनी ने कांग्रेस की जातिगत जनगणना की मांग को लेकर अपनी सरकार की स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि जाति जनगणना को लेकर सरकार अपने तरीके से काम कर रही है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने भी कहा है कि देश में तीन मुख्य जातियाँ हैं – गरीब, महिलाएं और किसान। उनका कहना था कि जब गरीबों का विकास होगा, तो भारत स्वाभाविक रूप से एक विकसित देश बन जाएगा।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."