मोहन द्विवेदी की खास रिपोर्ट
राहुल गांधी के सोमवार को दिए गए भाषण की चर्चा संसद में अभी भी बनी हुई है। उनके भाषण की तारीफ़ कांग्रेस के नेता कर रहे हैं जबकि बीजेपी के मंत्री और नेता उनके भाषण की एक छोटी क्लिप शेयर कर उनकी आलोचना कर रहे हैं।
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे ज्यादा चर्चा राहुल गांधी और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के बीच हुए संवाद की हो रही है। ओम बिरला ने दोबारा स्पीकर बनने के बाद विपक्ष को बराबर मौका देने की बात कही थी। तब राहुल गांधी ने कहा था, “सवाल यह नहीं है कि संसद कितनी शांति से चल रही है। सवाल यह है कि भारत के लोगों की आवाज़ उठाने के लिए कितनी अनुमति मिलती है।” विपक्षी दलों ने अक्सर आरोप लगाया है कि ओम बिरला सत्ता के इशारे पर काम करते हैं, जबकि स्पीकर का पद संवैधानिक होता है।
राहुल गांधी ने अपने भाषण में ओम बिरला के दोबारा स्पीकर चुने जाने के दिन की एक घटना का ज़िक्र किया। उस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी, ओम बिरला को स्पीकर की कुर्सी तक बैठाकर लाए थे।
राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा, “स्पीकर सर, आपकी कुर्सी में दो व्यक्ति बैठे हैं। एक लोकसभा स्पीकर, जो भारतीय संघ के स्पीकर हैं। दूसरे ओम बिरला हैं। जब मोदी जी आए और आपसे हाथ मिलाया, तब आपने झुककर उनसे हाथ मिलाया। लेकिन जब मैंने हाथ मिलाया, तो आप सीधे खड़े रहे।”
राहुल गांधी के इस बयान पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह आसन पर आरोप है। एनडीए सांसदों ने भी राहुल गांधी के बयान का विरोध किया।
इसके बाद स्पीकर ओम बिरला ने कहा, “माननीय प्रतिपक्ष के नेता, प्रधानमंत्री सदन के नेता हैं। मुझे मेरी संस्कृति और संस्कारों ने सिखाया है कि बड़ों का सम्मान झुककर और आवश्यक हो तो पैर छूकर करना चाहिए। बराबर वालों से बराबर का व्यवहार करना चाहिए।”
राहुल गांधी ने इस पर कहा, “स्पीकर सर, आपकी बात को मैं सम्मानपूर्वक स्वीकार करता हूं। लेकिन इस सदन में स्पीकर से बड़ा कोई नहीं होता है। स्पीकर हम सबका सबसे बड़ा है और हम सबको स्पीकर के सामने झुकना चाहिए।”
राहुल गांधी ने हाथ जोड़कर झुककर ओम बिरला के सामने कहा, “मैं आपके सामने झुकूंगा और सारा विपक्ष आपके सामने झुकेगा। यह लोकतंत्र है और आप इस सदन के नेता हैं। आपको किसी के सामने नहीं झुकना चाहिए। आप इस सदन के रखवाले हैं।”
एनडीए सांसदों ने कहा कि प्रधानमंत्री सदन के नेता होते हैं।
राहुल गांधी ने जवाब दिया, “लोकसभा में स्पीकर का कहा ही मान्य होता है। लोकसभा सांसद होने के नाते हम स्पीकर के अधीन हैं। मैं और विपक्ष यही मानते हैं कि हम आपके अधीन हैं।”
राहुल गांधी के भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो बार खड़े हुए और अपनी आपत्ति दर्ज करवाई, जो असामान्य था। आमतौर पर ऐसा कम ही देखा गया है कि पीएम मोदी किसी सांसद के बोलने के दौरान बीच में खड़े होकर बोले हों।
पहली बार, जब राहुल गांधी सभी धर्मों पर बोलने के बाद हिंदू धर्म का ज़िक्र करते हुए बीजेपी को निशाना बना रहे थे, तब पीएम मोदी खड़े हुए। राहुल गांधी ने कहा, “हमारे महापुरुषों ने यह संदेश दिया- डरो मत, डराओ मत। शिवजी कहते हैं- डरो मत, डराओ मत और त्रिशूल को ज़मीन में गाड़ देते हैं।” इसके बाद सत्ता पक्ष की ओर इशारा करते हुए राहुल गांधी ने कहा, “जो लोग अपने आपको हिंदू कहते हैं वो 24 घंटे हिंसा-हिंसा-हिंसा…नफरत-नफरत-नफरत… आप हिंदू हो ही नहीं। हिंदू धर्म में साफ़ लिखा है सच का साथ देना चाहिए।”
राहुल गांधी के इस बयान पर पीएम मोदी उठकर बोले, “ये विषय बहुत गंभीर है, पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहना ये गंभीर विषय है।” राहुल गांधी ने जवाब दिया, “नरेंद्र मोदी जी, आप पूरा हिंदू समाज नहीं हैं। बीजेपी पूरा हिंदू समाज नहीं है। आरएसएस पूरा हिंदू समाज नहीं है।”
दूसरी बार, जब राहुल गांधी कह रहे थे, “आज राजनाथ सिंह जी ने मुझे मुस्कुराकर नमस्ते किया। मोदी जी बैठे हैं, नमस्ते भी नहीं करते हैं। कहीं मोदी जी ना देख लें, दिक़्क़त हो जाएगी। वही कहानी गडकरी जी की भी है। सच्चाई है। अयोध्या की जनता को छोड़ो, ये तो बीजेपी वालों को डराते हैं,” तब पीएम मोदी फिर खड़े हुए।
स्पीकर ओम बिरला ने इस पर कहा, “माननीय विपक्ष नेता, ये राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस हो रही है। इसकी गरिमा रखें।” पीएम मोदी ने फिर खड़े होकर कहा, “लोकतंत्र और संविधान ने मुझे सिखाया है कि विपक्ष के नेता को मुझे गंभीरता से लेना चाहिए।”
राहुल गांधी के भाषण के दौरान गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने भी खड़े होकर आपत्ति दर्ज की। गृह मंत्री अमित शाह ने स्पीकर से कहा, “ये सदन में कैसे चल सकता है कि आप एकतरफ़ा नियमों के ऊपर जाकर उनको रियायत दे रहे हैं। हमें संरक्षित करिए। ऐसे नहीं चलता।”
संसद में राहुल गांधी और ओम बिरला के बीच हुए इस वाक़ये के बाद सोशल मीडिया पर चर्चाएं तेज़ हो गई हैं। लोग 2009 और 2014 के वीडियो क्लिप्स साझा कर रहे हैं, जिनमें स्पीकर के चुनाव के बाद की घटनाएं दिखाई दे रही हैं।
2009 का वीडियो
इस वीडियो में दिखाया गया है कि जब मीरा कुमार स्पीकर चुनी गई थीं, तब विपक्षी दल बीजेपी के नेता लाल कृष्ण आडवाणी और तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह उन्हें स्पीकर की कुर्सी तक छोड़ने गए थे। मीरा कुमार ने बिना झुके मनमोहन सिंह और आडवाणी को नमस्कार किया था। जब वे स्पीकर की कुर्सी तक पहुंचीं, तो उन्होंने एक बार फिर दोनों नेताओं को नमस्कार किया। हालांकि, मीरा कुमार ने आडवाणी को नमस्कार करते समय सम्मान में झुककर नमस्कार किया था।
2014 का वीडियो
इस वीडियो में दिखाया गया है कि जब सुमित्रा महाजन स्पीकर चुनी गई थीं, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लाल कृष्ण आडवाणी और कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी समेत कई नेता उन्हें स्पीकर के आसन तक छोड़ने गए थे। सुमित्रा महाजन ने प्रधानमंत्री को सीधे रहकर नमस्कार किया था, लेकिन उन्होंने लाल कृष्ण आडवाणी को झुककर नमस्कार किया था। इसी तरह सुमित्रा महाजन ने मल्लिकार्जुन खड़गे को भी नमस्कार किया था।
2019 का वीडियो
जब ओम बिरला पहली बार स्पीकर बने थे, तब उन्होंने स्पीकर की कुर्सी पर पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आधा झुककर नमस्कार किया था। हालांकि, अधीर रंजन चौधरी और अन्य नेताओं को सीधे रहकर ही नमस्कार किया था। इन नेताओं में टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय भी शामिल थे, जो उम्र में नरेंद्र मोदी से बड़े हैं।
राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़
2023 में राज्यसभा के सभापति और उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी झुककर नमस्कार करने के मुद्दे पर चर्चा में रहे थे। यह वाकया तब का है जब 78 सांसदों के निलंबन के बाद विपक्षी दल के सांसद संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने उप-राष्ट्रपति धनखड़ की झुककर नमस्कार करने की नकल की थी, और राहुल गांधी इसे अपने फोन में रिकॉर्ड कर रहे थे। इस वीडियो को कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी साझा किया था।
धनखड़ ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, “सभापति और स्पीकर के पद का एक अलग महत्व होता है। राजनीतिक दलों के बीच टकराव होगा, लेकिन चेयरमैन की मिमिक्री करना और उसे वीडियोग्राफ़ी करना हास्यास्पद, शर्मनाक और अस्वीकार्य है।”
बाद में धनखड़ ने राज्यसभा में कहा था, “मुझे अब यह देखना पड़ता है कि कितना झुकूं, किसके सामने झुकूं। फोटोग्राफर कहां से क्या ले रहा है, कौन इंस्टाग्राम, ट्विटर पर डाल देगा। यह बहुत पीड़ादायक है।” उन्होंने यह भी कहा कि झुकना और नमस्कार करना उनकी आदत है, और यह देखकर नहीं करते कि सामने कौन है।
धनखड़ ने आगे कहा, “यह बहुत बुरा लगता है और गिरावट की कोई सीमा होती है।”
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."