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November 22, 2024 3:26 am

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हाथी की सवारी छोड़ साइकिल पर टहलने वाले अखिलेश के इन सांसदों ने भाजपा को पूर्ण बहुमत से किया दूर… सियासी दांव की कोई चाल तो नहीं!! 

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की सियासत में एक नई ऊंचाई हासिल की है। राज्य की 80 संसदीय सीटों में से सपा ने 37 सीटें जीतकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को पूर्ण बहुमत से दूर कर दिया। इस सफलता के पीछे पीडीए फॉर्मूला और अखिलेश यादव की सोशल इंजीनियरिंग का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

पीडीए फॉर्मूला की सफलता

अखिलेश यादव ने ‘पीडीए फॉर्मूला’ के जरिए बीजेपी को मात दी है। इस फॉर्मूला के तहत सपा ने गैर-यादव ओबीसी समाज और बसपा के दलित वोटबैंक को अपने पक्ष में किया। सपा ने बसपा के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर और उन्हें टिकट देकर अपनी स्थिति मजबूत की। इसके परिणामस्वरूप सपा के 37 सांसदों में से 17 सांसद ऐसे हैं, जिनका किसी न किसी तरह से ताल्लुक बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) से रहा है।

प्रमुख बसपा से आए नेता

  1. घूरा राम: बसपा के संस्थापक सदस्य और पूर्व मंत्री, जो सपा के प्रति वफादारी जताने वाले पहले बड़े दलित नेता थे।
  2. आरके चौधरी और नारायणदास अहिरवार: जालौन और मोहनलालगंज से सांसद, जो बसपा के शुरुआती दौर के नेता रहे हैं।
  3. राम प्रसाद चौधरी: बस्ती लोकसभा सीट से सपा के सांसद, जिन्होंने जनता दल से अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी और बाद में बसपा में शामिल हुए थे।
  4. राम शिरोमणि वर्मा और रमाशंकर राजभर: श्रावस्ती और सलेमपुर से सांसद, जिन्होंने अपना सियासी सफर बसपा से शुरू किया था।
  5. लालजी वर्मा: अंबेडकरनगर से सांसद, जिन्होंने 1996 में बसपा का दामन थामा था और 2022 के चुनाव से पहले सपा में शामिल हुए थे।
  6. जीतेंद्र कुमार दोहरे: इटावा से सांसद, जिन्होंने अपनी राजनीतिक पारी बसपा से शुरू की थी।
  7. देवेश शाक्य: एटा से सांसद, जिन्होंने कल्याण सिंह के बेटे को हराया।
  8. नीरज मौर्य: आंवला से सांसद, जिन्होंने अपनी राजनीतिक पारी बसपा से शुरू की थी।
  9. अफजाल अंसारी: गाजीपुर से सांसद, जिन्होंने पहले लेफ्ट से अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी और बाद में बसपा से सांसद बने थे।
  10. रुचि वीरा: मुरादाबाद से सांसद, जिन्होंने 2019 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था।
  11. रामभुआल निषाद: सुल्तानपुर से सांसद, जिन्होंने अपनी राजनीतिक पारी बसपा से शुरू की थी और मायावती सरकार में राज्यमंत्री रहे थे।
  12. वीरेंद्र सिंह: चंदौली से सांसद, जिन्होंने बसपा के टिकट पर विधायक रह चुके हैं।
  13. पुष्पेंद्र सरोज: कौशांबी से सांसद, इंद्रजीत सरोज के बेटे, जिन्होंने बसपा के शुरुआती दौर में राजनीति शुरू की थी।
  14. इकरा हसन: कैराना से सांसद, जिनके माता-पिता मुनव्वर हसन और तब्बसुम हसन बसपा के टिकट पर सांसद रह चुके हैं।

दलित और यादव का संगम

अखिलेश यादव ने बसपा से आए नेताओं को टिकट देकर दलित और यादव समाज को एक मंच पर लाने में सफलता पाई है। उन्होंने इस धारणा को तोड़ दिया है कि यूपी में दलित और यादव कभी एक नहीं हो सकते। अखिलेश यादव ने बसपा के नेताओं को सपा में शामिल कर उन्हें प्रमुख भूमिका दी, जिससे सपा की सियासी इमारत मजबूत हुई।

अखिलेश यादव ने 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की सियासत में बड़ा बदलाव लाया है। सपा की इस सफलता में बसपा के नेताओं का सपा में शामिल होना और पीडीए फॉर्मूला का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। अखिलेश यादव ने सपा को एक नई दिशा दी है और बीजेपी को पूर्ण बहुमत से दूर कर दिया है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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