चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश में बिजली हादसों की स्थिति काफी चिंताजनक है, जैसा कि विद्युत सुरक्षा निदेशालय द्वारा केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण को भेजी गई रिपोर्ट से स्पष्ट होता है। साल 2023-24 में राज्य में बिजली हादसों के कारण 1,120 लोगों की मौत हुई, जो कि औसतन तीन लोगों की प्रतिदिन मृत्यु का आंकड़ा दर्शाती है। इस दौरान कुल 1,173 बड़े हादसे दर्ज किए गए।
इसके अलावा, बिजली हादसों में 1,289 जानवरों की भी मौत हुई। पिछले दस वर्षों के आंकड़ों को देखते हुए, साल 2022-23 में बिजली हादसों से सबसे ज्यादा मौतें हुईं, जिसमें 1,428 लोग मारे गए। इनमें से लगभग 80% हादसे आम लोगों के साथ और 20% हादसे बिजली विभाग के संविदा कर्मियों के साथ ब्रेकडाउन के दौरान हुए।
ये आंकड़े न केवल सुरक्षा मानकों की कमी को उजागर करते हैं बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि बिजली से जुड़े कामकाज में सुरक्षा उपायों को और अधिक सख्त और प्रभावी बनाने की जरूरत है। बिजली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए व्यापक सुरक्षा प्रशिक्षण, जागरूकता अभियान, और तकनीकी सुधार की आवश्यकता है।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बिजली दुर्घटनाओं के कई मामलों में उदासीनता और काम के प्रेशर को मुख्य कारण बताया है। वर्मा के अनुसार, संविदाकर्मियों के लाइन पर काम करते समय सब स्टेशन परिचालकों द्वारा फीडर ऑन कर देने के कारण कई दुर्घटनाएं हुई हैं, जिससे कर्मचारियों की मौत हो गई।
यह स्पष्ट करता है कि काम के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन न करने और कर्मचारियों पर अत्यधिक प्रेशर डालने से गंभीर हादसे हो सकते हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि कर्मचारियों के लिए उचित प्रशिक्षण, सख्त निगरानी, और एक सुव्यवस्थित कार्य प्रक्रिया की सख्त आवश्यकता है। इसके साथ ही, सब स्टेशन परिचालकों और लाइन पर काम करने वाले कर्मचारियों के बीच बेहतर समन्वय और संचार स्थापित करने की भी जरूरत है ताकि इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके।
बढ़ रहे जान गंवाने वाले
साल बड़े हादसे मृतक
2015-16 1,352 723
2016-17 1824 958
2018-19 1,073 1,116
2022-23 1,316 1,428
2023-24 1,173 1,120
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."