दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवारों के नाम पर फैसला लेना शुरू कर दिया है। पार्टी ने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है।
16 राज्य और दो केंद्र शासित प्रदेशों की 195 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी गई है। इसमें सबसे अधिक उत्तर प्रदेश की 51 सीटें शामिल हैं। यूपी में 80 लोकसभा सीटें हैं। इसमें से 51 पर उम्मीदवार के नाम तय कर दिए गए हैं।
पार्टी के शीर्ष नेता पीएम नरेंद्र मोदी यूपी की वाराणसी लोकसभा सीट से तीसरी बार चुनावी मैदान में उतरेंगे। पार्टी बची 29 सीटों पर गठबंधन के फाइनल होने के बाद नामों का ऐलान कर सकती है।
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय लोक दल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, अपना दल सोनेलाल और निषाद पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन है।
माना जा रहा है कि गठबंधन के तहत भाजपा 5 से 6 सीटों पर सहयोगी दल को उतार सकती है। इसमें राष्ट्रीय लोक दल को दो, अपना दल एस को दो और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को एक सीट देने की तैयारी है।
भाजपा की पहली लिस्ट में निषाद पार्टी प्रमुख संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को टिकट दिया जा चुका है। साथ ही, इस सूची में उन 9 सीटों पर भी उम्मीदवार दिए गए हैं, जहां पिछली बार भाजपा को हार झेलनी पड़ी थी।
भाजपा का मिशन- 80 है लक्ष्य
भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव को लेकर मिशन- 80 लक्ष्य तय किया है। पार्टी लोकसभा चुनाव में हर सीट के लिए अलग समीकरण के साथ चुनावी मैदान में उतर रही है।
पार्टी के रणनीतिकारों ने जीत का गणित तैयार किया है। इसके लिए तमाम सीटों पर गुणा- गणित कर उम्मीदवारों को निर्धारित किया गया है।
बीजेपी यूपी में क्लीन स्वीप का टारगेट लेकर चल रही है। इसको ऐसे समझ सकते हैं कि पार्टी ने जिन उम्मीदवारों के नाम तय किए गए हैं, उसमें अधिकतर पुराने चेहरे हैं। पार्टी ने 2019 में हरी लोकसभा सीटों को एक बार फिर जीतने के लिए बड़ा दांव खेल है।
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर पिछले चुनाव में हारी 16 में से 9 सीटों पर भाजपा ने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। इसमें रामपुर और आजमगढ़ की सीट भी शामिल है, जो उप चुनाव में बीजेपी के पाले में आ गई थी।
इन नौ सीटों पर भाजपा ने खेला बड़ा दांव
अमरोहा लोकसभा सीट
अमरोहा लोकसभा सीट पर 2014 में सांसद रहे कंवर सिंह तंवर पर भाजपा ने फिर भरोसा जताया है। अमरोहा से 2019 में बसपा के टिकट पर दानिश अली जीते। उन्हें सपा- बसपा समीकरण का लाभ मिला था।
इस बार अमरोहा सीट कांग्रेस के पाले में गई है। ऐसे में गुर्जर वोटों के समीकरण को देखते हुए भाजपा ने कंवर सिंह तंवर पर भरोसा जताया है।
संभल लोकसभा सीट
संभल लोकसभा सीट पर भाजपा ने जीत का गणित बनाना शुरू कर दिया है। पिछले दिनों सपा सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क के निधन के बाद सपा उनके ही परिवार को टिकट दे सकती है।
पहले ही पार्टी ने डॉ. बर्क को उम्मीदवार घोषित कर दिया था। वहीं, भाजपा ने यहां से परमेश्वर सैनी को चुनावी मैदान में उतार दिया है. 2014 में मुस्लिम बहुल सीट से सत्यपाल सैनी जीतने में सफल रहे थे। एक बार फिर समीकरण को ध्यान में रखते हुए भाजपा सैनी पर दांव खेल रही है। हालांकि, उम्मीदवार का चेहरा बदल दिया गया है।
जौनपुर लोकसभा सीट
जौनपुर सीट से भारतीय जनता पार्टी ने कृपा शंकर सिंह को प्रत्याशी बनाया है। लोकसभा चुनाव में सपा- बसपा गठबंधन के तहत यह सीट बसपा के पास गई थी।
बसपा के श्याम सिंह यादव जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। इस बार श्याम सिंह यादव का टिकट कटना तय है। श्याम सिंह यादव पिछले दिनों कांग्रेस के संपर्क में थे। लेकिन, सपा- कांग्रेस गठबंधन के तहत यह सीट सपा के पास चली गई है। ऐसे में सपा को उम्मीदवार तय करना है।
भाजपा ने अपना पत्ता खोल दिया है। कृपा शंकर सिंह जौनपुर के रहने वाले हैं, लेकिन मुंबई में अभी तक राजनीति करते रहे हैं। कांग्रेस की सरकार में महाराष्ट्र के गृह मंत्री रह चुके हैं। 2019 के बाद भाजपा में शामिल हुए। अब भाजपा ने उनके गृह जिले से प्रत्याशी घोषित कर दिया है।
अंबेडकरनगर लोकसभा सीट
अंबेडकरनगर लोकसभा सीट से भाजपा ने रितेश पांडेय पर दांव खेल दिया है। पिछले दिनों रितेश पांडेय ने भाजपा का दामन थामा था।
दरअसल, रितेश पांडेय लोकसभा चुनाव 2019 में बसपा के टिकट पर सांसद चुने गए थे। उनके पिता भी इस सीट से सांसद रह चुके हैं। सपा- बसपा गठबंधन के तहत इस सीट से बसपा के उम्मीदवार को बड़ी जीत मिली थी।
अब भाजपा रितेश पांडेय के जरिए एक बार फिर इस सीट पर अपना समीकरण मजबूत करने के प्रयास में है।
श्रावस्ती लोकसभा सीट
लोकसभा चुनाव 2019 में श्रावस्ती सीट भाजपा के हाथों से चली गई थी। बसपा के शिरोमणि वर्मा ने यहां से जीत दर्ज की थी। इस बार सपा- बसपा गठबंधन नहीं है। ऐसे में भाजपा ने यहां से नृपेंद्र मिश्रा के बेटे साकेत मिश्रा को चुनावी मैदान में उतारा है।
नृपेंद्र मिश्रा प्रधानमंत्री के सचिव रह चुके हैं और राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। साकेत मिश्रा काफी समय से श्रावस्ती क्षेत्र में सक्रिय थे, इसको देखते हुए बीजेपी ने दांव खेल दिया है।
लालगंज लोकसभा सीट
लालगंज सुरक्षित लोकसभा सीट पर अभी बहुजन समाज पार्टी का कब्जा है। सपा- बसपा गठबंधन के कारण राजनीतिक समीकरण बसपा की संगीता आजाद के पक्ष में चला गया है। उनके बीजेपी में जाने की चर्चा चल रही थी। हालांकि, पार्टी ने नीलम सोनकर पर दांव खेला है।
नीलम सोनकर दलित समाज के बीच अपनी पकड़ को बढ़ाकर इस सीट पर जीत का समीकरण तलाश सकती हैं।
नगीना लोकसभा सीट
नगीना सुरक्षित लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने इस बार ओम कुमार को चुनावी मैदान में उतार दिया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा- बसपा गठबंधन के तहत यहां से बसपा के गिरीश चंद्र चुनावी मैदान में उतरे। उन्होंने जीत दर्ज की।
भाजपा के यशवंत सिंह ने वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव जीता था। हालांकि, चुनाव त्रिकोणीय हुआ था। सपा और बसपा के उम्मीदवारों ने बड़े स्तर पर वोट लिए थे। इस बार भी सपा और बसपा के अलग- अलग चुनावी मैदान में उतरने से माहौल बदल सकता है। भाजपा के ओम कुमार बदलाव ला सकते हैं।
रामपुर लोकसभा सीट
रामपुर लोकसभा सीट पर लोकसभा चुनाव 2019 में सपा के मोहम्मद आजम खान ने जीत दर्ज की थी। यूपी चुनाव 2022 में रामपुर से विधायकी जीतने के बाद आजम खान ने संसद सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया।
लोकसभा उप चुनाव 2022 में भाजपा के घनश्याम लोधी ने मुस्लिम बहुल सीट पर अपना कब्जा जमा लिया। इस प्रकार आजम खान और सपा के गढ़ पर भगवा झंडा फहरा दिया गया।
एक बार फिर भाजपा ने घनश्याम लोधी पर अपना भरोसा जताया है। उन्होंने अपनी चुनावी तैयारी भी शुरू कर दी है।
आजमगढ़ लोकसभा सीट
भारतीय जनता पार्टी ने आजमगढ़ लोकसभा सीट से एक बार फिर भोजपुरी सुपरस्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ पर भरोसा दिखाया है।
लोकसभा चुनाव 2019 में दिनेश लाल यादव को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस सीट पर करारी मात दी थी। हालांकि, यूपी चुनाव 2022 में मैनपुरी के करहल विधानसभा सीट से जीत दर्ज करने के बाद अखिलेश यादव ने सांसदी छोड़ दी। अखिलेश यादव के सीट खाली करने के बाद हुए उप चुनाव में दिनेश लाल यादव ने सपा के धर्मेंद्र यादव को हरा दिया। एक बार फिर उनसे भाजपा इसी प्रकार के करिश्मे की उम्मीद कर रही है।
अभी इन सीटों पर नाम का ऐलान बाकी
लोकसभा चुनाव में 16 सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। इसमें से 9 पर तो उम्मीदवार घोषित कर दिए गए हैं। लेकिन, सात सीटों पर घोषणा होनी बाकी है।
इसमें मैनपुरी, सहारनपुर, गाजीपुर, मुरादाबाद, रायबरेली, बिजनौर और घोसी लोकसभा सीट शामिल है। माना जा रहा है कि घोसी सीट भाजपा अपने सहयोगी ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा और बिजनौर सीट आरएलडी को दे सकती है। 2019 में सपा- बसपा के गठबंधन के कारण बदले सामाजिक समीकरण का लाभ महागठबंधन के उम्मीदवारों को हो गया था।
इस बार भाजपा ने अलग रणनीति के साथ चुनाव में उम्मीदवारों का ऐलान कर पहले से ही माहौल को बेहतर बनाने की योजना तैयार की है। पार्टी के रणनीतिकार इसका फायदा चुनावों में मिलने की बात कर रहे हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."