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19 January 2025 6:12 pm

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नेताजी को भावभीनी श्रद्धांजलि, कोई याद करता, तो कोई मानता है, लेकिन जानते सब हैं कि …आसान नहीं है मुलायम सिंह यादव होना

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आत्माराम त्रिपाठी की खास रिपोर्ट 

लखनऊ : समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की आज यानी 10 अक्टूबर को पहली पुण्यतिथि है. पूर्व सीएम की पुण्यतिथि पर सपा प्रदेशभर में कई कार्यक्रम कर रही है. उनके पैतृक गांव सैफई में एक श्रद्धांजलि सभा रखी गई, जिसमें खुद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और उनके परिवार के लोग शामिल हुए. मुलायम सिंह यादव की यूपी की राजनीति में एक अलग ही पहचान रही है. वो जमीन से जुड़े नेता थे, जिसके चलते उन्हें ‘धरती पुत्र’ भी कहा जाता था.

समाजवादी पार्टी के विधानभवन स्थित विधानमंडल कार्यालय में समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Samajwadi Party founder Mulayam Singh Yadav First Death Anniversary) की पुण्यतिथि मनाई गई. सपा के वरिष्ठ नेता मुख्य सचेतक मनोज पांडे विधायक महबूब अली राकेश सिंह सहित कई अन्य नेताओं ने मुलायम सिंह के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी.

इस अवसर पर मुख्य सचेतक डॉ मनोज पांडेय ने कहा कि आज उनके न रहने पर पहली पुण्यतिथि हम लोग मना रहे हैं. मुलायम सिंह यादव की कमी हम जैसे समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं को आज अखर रहा है. वहीं पूरे हिंदुस्तान के किसान गरीब मजदूर नौजवान समाज के वह लोग जो अभी भी विकास से, अधिकार से पीछे के पायदान पर बैठे हुए हैं, जो आशा भरी निगाहों से ‘नेताजी’ की तरफ देखते थे. वह सब महसूस करते हैं कि वह चेहरा व विचारधारा अखिलेश यादव उसे लेकर आगे बढ़ रहे हैं. समाज के गरीब तबके किसान नौजवान मजदूर आशा भरी निगाहों से अखिलेश यादव की तरफ देख रहे हैं.मुलायम सिंह यादव इस देश में सदैव याद किए जाएंगे, वह अमर रहेंगे. मुलायम सिंह यादव की विचारधारा और उनके कार्य गरीब, कमजोर, किसान, सड़क से लेकर संसद तक की लड़ाई अविस्मरणीय है, जो कभी भूली नहीं जा सकती है. नेताजी जहां हो ईश्वर उन्हें मोक्ष प्रदान करे, हम सबको आशीर्वाद दें कि उनके विचारधारा उनके अधूरे कार्यों को हम समाजवादी लोग पूरा करने में सक्षम हो.

आम लोगों के साथ आत्मीय कनेक्शन और खांटी समाजवाद के प्रतीक मुलायम सिंह को लोग प्यार से नेताजी भी कहते थे. मुलायम सिंह यादव ने यूपी की राजनीति ही बदल कर रख दी. उन्होंने छात्र जीवन से राजनीति में कदम रखा और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. इसके बाद वो देश के रक्षामंत्री और तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री भी बने. आज समाजवादी पार्टी प्रदेश की दूसरी सबसे ताकतवर पार्टी है. 

छात्र राजनीति से रखा कदम

मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवम्बर 1939 को इटावा जिले के सैफई गांव में एक किसान परिवार में हुआ. उनकी माता का नाम मूर्ति देवी और पिता का नाम सुघर सिंह यादव था. मुलायम सिंह यादव अपने पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर थे. उनकी शुरुआती पढ़ाई स्थानीय परिषदीय स्कूल से हुई थी. इसके बाद उन्होंने करहल के जैन इंटर कॉलेज से बारहवीं तक पढाई की और फिर आगे की पढ़ाई के लिए इटावा चले गए. यहां के केकेडीसी कॉलेज से मुलायम सिंह ने बीए किया. 

इटावा में पढ़ाई के दौरान जब उन्हें रहने के लिए जगह नहीं मिली थी तो वो कुछ समय तक केकेडीसी कॉलेज के संस्थापक हजारीलाल वर्मा के घर पर ही रहे. साल 1962 में पहली बार देश में छात्रसंघ चुनाव का एलान हुआ. यहीं से उनकी राजनीति में इच्छा जागी और वो राजनीति में कूद गए. मुलायम सिंह यादव पहले छात्रसंघ के अध्यक्ष बने और युवा नेता के तौर पर उनकी पहचान बनी.  

पहली बार जसंवत नगर से चुने गए विधायक

इसके बाद मुलायम सिंह ने शिकोहाबाद के डिग्री कॉलेज से एमएम की शिक्षा ली और फिर बीटी करके कुछ समय तक करहल के जैन इंटर कॉलेज में बतौर शिक्षक काम किया. इस बीच उनकी नत्थू सिंह से नजदीकियां बढ़ीं, कुश्ती के शौकीन मुलायम सिंह ने पहलवानी में अपने दांव-पेंचों से नत्थू सिंह को इतना प्रभावित कर दिया कि 1967 के विधानसभा में उन्होंने अपनी परंपरागत जसंवत नगर सीट छोड़कर मुलायम सिंह यादव को सोशलिस्ट पार्टी से चुनाव लड़ाया और महज 28 साल की उम्र में वो विधायक बन गए.

मुलायम सिंह यादव ने इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. साल 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी का गठन किया, सपा आज यूपी की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. साल 2012 विधानसभा चुनाव में सपा को अकेले दम पर पूर्ण बहुमत मिला और उनके बेटे अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने थे. 

मुलायम सिंह यादव की पहली पुण्यतिथि पर अखिलेश यादव अपने चाचा रामगोपाल यादव के साथ सैफई स्थित नेताजी की समाधि पर पहुंचे और पुष्पांजलि अर्पित की.

सपा पूरे प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की पहली पुण्यतिथि में कार्यक्रम आयोजित कर रही है. सैफाई में इस मौके पर खास प्रार्थना आयोजित की गई थी.

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हटो व्योम के मेघ पंथ से स्वर्ग लूटने हम आते हैं

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