Explore

Search
Close this search box.

Search

November 23, 2024 2:14 am

लेटेस्ट न्यूज़

बवाल पर सवाल ; ज्योति मौर्या के पति ने अब एक झन्नाटेदार खुलासा किया है, पढ़िए इस खबर को 

15 पाठकों ने अब तक पढा

अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट 

एसडीएम ज्‍यो‍ति मौर्य (Jyoti Maurya) और उनके पति आलोक मौर्य (Alok Maurya) के विवाद में हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। अब आलोक मौर्य ने आरोप लगाया है कि उनकी पत्‍नी और पीसीएस अफसर ज्‍योति मौर्य ने अपनी पहली नौकरी फर्जीवाडे़ से पाई थी। आलोक के मुताबिक प्रयागराज के देवप्रयाग झलवा में रहने वाली एसडीएम ज्योति की सबसे पहली जॉब सरकारी स्कूल में प्राइमरी शिक्षिका की थी। लेकिन ज्योति ने पहली नौकरी में ही फर्जीवाड़ा किया था।

शुगर मिल बरेली की महाप्रबंधक ज्योति मौर्य के पति आलोक ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश को पत्र लिखा है। इसमें आरोप लगाया है कि ज्योति मौर्य ने 2011 की विशिष्ट बीटीसी शिक्षक भर्ती में फर्जी तरीके से फर्जी मार्कशीट तैयार करके लगाई थी। इतना ही नहीं आवेदन पत्र में गलत सूचना भरके शिक्षक के रूप में इटावा के जसवंत नगर स्थित प्राथमिक में प्रशिक्षण भी पूरा किया।

खाते में पैसा भी आया

उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से इटावा ग्रामीण बैंक जसवंतनगर के उनके खाते में पैसा भी आया। आलोक मौर्य ने अपने शिकायती पत्र में लिखा है कि विशिष्ट बीटीसी शिक्षक भर्ती का फॉर्म 2011 में फर्जी मार्कशीट लगाकर फाइनली भरा गया। इसमें पासिंग डेट सोमवार जून 27- 2011 लिखा है। वहीं, ज्योति मौर्य का इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से जारी B.Ed 2011 की मार्कशाीट पर पासिंग डेट 25 जून 2012 लिखी हुई है।

अधूरा भरा फॉर्म जमा किया

ज्‍योति के पति आलोक का आरोप है कि इसके लिए ज्योति ने जालसाजी का सहारा लिया। आलोक मौर्य ने अपने शिकायती पत्र में लिखा है कि उस समय B.Ed की परीक्षा हो रही थी और विशिष्ट बीटीसी भर्ती के आवेदन की अंतिम तिथि वर्ष 2011 की थी। नौकरी पाने की जल्दबाजी में आवेदन पत्र में प्राप्तांक को खाली रखा गया। पूर्णांक निश्चित होता है उसे भर कर आवेदन कर दिया गया। करीब 1 वर्ष बाद काउंसलिंग शुरू हुई। काउंसलिंग के समय आवेदन पत्र हर अभ्यर्थी के हाथों में दे दिया जाता है। उसी का फायदा उठाते हुए ज्योति मौर्य ने तुरंत खाली जगह पर अपना प्राप्तांक भर काउंसलिंग करा ली।

फर्जी मार्कशीट बनवाई

काउंसलिंग के दिन ही कोर्ट से पूरी भर्ती पर रोक लग गई। भर्ती का मामला 3 वर्ष तक कोर्ट में पेंडिंग रहा। कोर्ट से निर्णय आने के बाद ऑनलाइन आवेदन फिर से मांगा गया। लेकिन उसमें अनिवार्य शर्त यह थी कि जिन अभ्यर्थियों ने 2011 में आवेदन किया था वही अभ्यर्थी ऑनलाइन आवेदन करेंगे। इसका भी फायदा ज्योति ने उठाया और B.Ed 2011की अंकपत्र फर्जी तरीके से बनवा कर संलग्न कर दी।

ओरिजिनल अंकपत्र B.Ed 2012 में उन्हें मिला। इस तरह से पहली नौकरी ही ज्योति मौर्य ने कूट रचितऔर फर्जी तरीके से पाई थी।

अभी तक बेस‍िक शिक्षा परिषद से जवाब नहीं मिला

आलोक मौर्य ने अपने प्रार्थना पत्र के साथ B.Ed की अंक पत्र की फोटोस्‍टेट लगाई है। इसमें पासिंग आउट डेट 25 जून 2012 लिखी है। बीएड के फर्जी अंक पत्र की भी फोटोस्‍टेट है जिसमें पासिंग आउट दिनांक 27 जून 2011 लिखा है। इसके साथ ही स्कूल रजिस्टर, बैंक पासबुक और शपथ पत्र की फोटोस्‍टेट लगाई है। प्रार्थना पत्र में सचिव बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश से मांग की गई है कि ज्योति मौर्य की B.Ed के अंक पत्र की जांच करते हुए उन पर उचित कार्यवाही करें। लेकिन आलोक मौर्य के प्रार्थना पत्र पर अभी तक सचिव बेसिक शिक्षा परिषद की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है ।

जो शपथ पत्र संलग्न किया है उसमें लिखा है कि अगर जांच के दौरान मेरा कोई अंकपत्र, प्रमाण पत्र, कागजात फर्जी या कूटरचित पाया जाता है तो मेरे ऊपर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। उसका मैं विरोध नहीं करूंगी। लेकिन ज्योति मौर्य के B.Ed प्रमाण पत्र की सही तरीके से जांच ही नहीं हुई।

आलोक मौर्य ने बताया कि सहायक शिक्षक में चयन के बाद ज्योति मौर्या का बाद में सचिवालय में समीक्षा अधिकारी सचिवालय पद पर भी चयन हुआ था। इसके बाद वह आगे प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठती रहीं।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़