चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल (UP Power Strike) का असर हर जगह देखने को मिल रहा है। राजधानी लखनऊ समेत राज्य के लोगों को काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। वहीं अब इस मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High court) ने भी नाराजगी जताते हुए विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे समेत अन्य नेताओं के खिलाफ वारंट जारी किया है। सरकार ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसके बाद सोमवार को सभी पदाधिकारियों को हाईकोर्ट ने तलब किया है।
यूपी में करीब 1 लाख बिजली कर्मचारी 72 घंटे की हड़ताल पर हैं। ऐसे में कई जिलों से बिजली बाधित होने की खबरें भी सामने आई हैं। अधिवक्ता विभु राय कहना का कहना है कि 6.12.2022 को कोर्ट ने आदेश दिया था। इसमें कहा था कि कोई भी संगठन नेता सरकार पर हड़ताल का सहारा लेकर सरकार पर दबाव नहीं बना सकता। इसके अलावा अन्य तरीके भी है अपनी बात रखने के क्योंकि बिजली जैसी जरूरी सेवा नहीं रोकी जा सकती है।
हाईकोर्ट ने पदाधिकारियों को किया तलब
वकील प्रभु राय ने कहा कि इस मामले पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि बिजली कर्मचारी संघ जिसके आह्वान पर जो हड़ताल बुलाई गई है। वहीं प्रेस विज्ञप्ति में जिन पदाधिकारी और कर्मचारियों के नाम है उन्हें कोर्ट ने अवमानना नोटिस और वारंट जारी करने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने सभी नेताओं को 20 मार्च को तलब भी किया है। उच्च न्यायालय ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि संघर्ष समिति द्वारा चलाई जा रही हड़ताल उनके पूर्व के आदेश की अवहेलना है, जिसके लिए कोर्ट के आदेश की अवमानना की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गयी है।
ऊर्जा मंत्री ने कही थी ये बात
इससे पहले ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने कहा था कि बिजली सप्लाई में बाधा डालने वाले कर्मचारियों को पाताल से खोजकर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जो लोग कानून हाथ में ले रहे हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई हो रही है। उन्होंने दावा किया कि कुछ गैर-जिम्मेदार संगठन की तरफ से यह हड़ताल की जा रही है। यूपी में बिजली की कोई कमी नहीं है। कर्मचारियों संगठनों के लिए अभी भी बातचीत का रास्ता खुला है। किसी को भी कानून हाथ में लेने की जरूरत नहीं है।
Author: samachar
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