संत का कोई व्यक्तिगत दुख नहीं होता – राघवेंद्र शास्त्री

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सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट 

देवरिया। सलेमपुर के संस्कृत पाठशाला पर चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिवस केरल से पधारे कथावाचक आचार्य पंडित राघवेंद्र शास्त्री ने कहा कि संत का कोई व्यक्तिगत दुख नहीं होता। श्रीमद् भागवत महापुराण प्रत्यक्ष भगवान श्री कृष्ण का विग्रह है। कथा श्रवण से मनुष्यों के समस्त पाप समाप्त हो जाता है।

सत्य चित से आनंद प्राप्त करने वाले लोग ही भगवान कृष्ण को प्राप्त कर सकते है। भागवत लोगों को जीने की राह सिखाती है।
महापुराण का श्रवण मात्र से अनेक जन्म का पाप नष्ट हो जाता है। श्रीमद भागवतमहापुराण स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ही है। ये पुराण समस्त पुराणों का तिलक है। तीर्थो का राजा प्रयाग,तीर्थो के गुरु पुष्कर एवम पुराणों का तिलक श्रीमद भागवत है।

उक्त अवसर पर मुख्य यजमान मनोज बरनवाल, मनोज श्रीवास्तव, राजेश जायसवाल, जिलामंत्री अभिषेक जायसवाल, अजय दूबे वत्स , कैटलिस्ट कोचिंग के डायरेक्टर मधुसूदन त्रिवेदी, मोनू सिंह, विवेक सिंह, आदित्य मिश्रा आदि उपस्थित रहे।

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Author: samachar

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