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29 December 2024 8:20 pm

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“बाबा अमरनाथ” की दर से लौटे यात्रियों की आंखें अभी भी खौफजदा हैं, सैकड़ों लोग अभी तक फंसे हैं 

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

कानपुर। बाबा अमरनाथ के दर्शन के लिए गए कानपुर के 100 से ज्यादा यात्री अब भी फंसे हैं। हालांकि, बर्रा के यात्रियों के जत्थे का संपर्क घर वालों से हो गया। सभी सुरक्षित हैं। बारिश के दौरान गुफा के पास फंसा एक जत्था लौट आया है। इस जत्थे के यात्रियों में दहशत है। यात्री ऊपर रोक दिए गए थे। इन्होंने बताया कि पांच जुलाई को भी मौसम खराब होने पर अफरातफरी मची थी। अलर्ट जारी कर दिया गया था। बालटाल कैंप में शहर से गए लगभग 60 श्रद्धालु सुरक्षित हैं। लगभग 50 यात्री घरों को लौट गए हैं।

बर्रा 8 निवासी एडवोकेट प्रदीप श्रीवास्तव 6 जुलाई को सुबह अर्मापुर निवासी संजय सिंह और चकेरी निवासी सुरेश सिंह के साथ अमौसी एयरपोर्ट से फ्लाइट से अमरनाथ यात्रा पर गए थे। 8 जुलाई को सुबह फोन कर उन्होंने यात्रा शुरू करने की जानकारी दी थी। इसके बाद तीनों का अपने घरों से संपर्क टूट गया। परिजनों को अनहोनी की चिंता सता रही थी। भाई राजकिशोर सक्सेना ने बताया कि रविवार सुबह प्रदीप ने घर में फोन कर सुरक्षित होने की जानकारी दी है। बताया कि बादल फटने के बाद अफरातफरी मची थी, जिस कारण फोन नहीं कर सके। उन्होंने बताया है कि सोमवार को जम्मू से फ्लाइट के जरिए लखनऊ पहुंचेंगे। राज किशोर के मुताबिक, भाई ने बताया कि ऐसा मंजर देखा है जो जिंदगी भर याद रहेगा।

आंख के सामने खाई में चला गया

आचार्य नगर निवासी अधिवक्ता अजय भदौरिया, अतुल अग्निहोत्री, ग्वालटोली निवासी अधिवक्ता गणेश शंकर, विनीत त्रिपाठी व कंट्रोल रूम में तैनात ग्वालटोली निवासी दरोगा दीपिका पाण्डेय 4 जुलाई को बालटाल पहुंच गए। इनका जत्था 5 जुलाई को लौट रहा था तभी मौसम बिगड़ गया था। अजय भदौरिया ने बताया कि तेज मूसलाधार बारिश बादल फटने के तीन दिन पहले से ही होने लगी थी। 5 जुलाई को दर्शन कर लौटते समय उन्हें गुफा के नीचे कैंप में रोक दिया गया। नीचे से यात्रियों को भेजने पर रोक लग गई थी। मौसम बिगड़ने और भीड़ बढ़ने पर धीरे-धीरे यात्रियों को निकलने को कहा गया तो अफरातफरी मच गई। सभी पहले जाना चाहते थे। रास्ते में फिसलन थी। देखते ही एक यात्री खाई में चला गया। इस पर मिलिट्री ने घेरा बनाकर यात्रियों को उतारा। अजय व उसके साथी 8 को बादल फटने के पहले नीचे पहुंच गए। हादसे के बाद बालटाल में भीड़ हो गई। 9 को उनका जत्था घर के लिए चल दिया और वापस आ गया।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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