राकेश तिवारी की रिपोर्ट
देवरिया। गोर्रा के तट पर बसे करनपुरा गांव से लेकर जोगिया खुर्द गांव तक बाढ़ खण्ड ने पाण्डेय माझा-जोगिया बांध का निर्माण कराया है। यह बंधा पाण्डेय माझा, शीतल माझा और माझा भीमसेन गांव होते हुए जोगिया खुर्द गांव के पास तक बना हुआ है।
1998 के प्रलयकारी बाढ़ में शीतल माझा गांव के निकट पुल के पास तटबंध टूटने की बात कौन कहे बंधा ही बह गया था और भारी तबाही मची थी। जबकि 2001 के बाढ़ में सरमोहना के पास यह बंधा टूटा था, जिससे पूरा कछार लबालब पानी में डूब गया।
माझा भीमसेन गांव के पास तो बंधा महज सेटबैक के सहारे टिका हुआ है। जहां बाढ़ खण्ड ने परियोजना के तहत कार्य कराया है। पिछले वर्ष बाढ़ के समय करनपुरा से लेकर शीतल माझा तक एक दर्जन से अधिक जगहों पर नदी का पानी तेज रिसाव करने लगा। जिसे देख प्रशासन और बाढ़ खण्ड के हाथ पाव फूलने लगे थे। जबकि ग्रामीणों में भी तटबंध टूटने का डर बन गया था। जिसे देखे ग्रामीण रात-रात भर जाग करके बंधे को बचाने के लिए पहरा देने लगे।
कछार के 64 गांवों के सुरक्षार्थ गोर्रा नदी के पूर्वी छोर बने 6.875 किमी लम्बे पाण्डेय माझा-जोगिया बांध की हालत जर्जर हो गई है। बाढ़ खण्ड ने निरोधात्मक कार्य के नाम पर महज कोरम पूरा किया है। तटबंध पर बने रेनकट घातक साबित हो सकते हैं, कहीं भी बंधा टूटा तो 64 कछार गांव डूब जाएंगे।
बाढ़ खण्ड अवर अभियंता ई.राहुल ने बताया कि पाण्डेय माझा-जोगिया बांध पूरी तरह से सुरक्षित है और बंधे पर कहीं भी खतरे की कोई बात नहीं है। जहां रिसाव पिछले वर्ष हो रहे थे, उन सभी स्थानों पर पुख्ता इंतजाम कर दिए गए हैं। रेनकट भर दिए गए हैं अगर छूटे होंगे तो उन्हें भी शीघ्र ही भरवा दिया जाएगा।
ग्रामीणों के अथक प्रयास से बाढ़ खण्ड ने फिल्टर आदि बनवाकर किसी प्रकार रिसाव को रोक पाया था। इस बार बाढ़ खण्ड ने नदी का जलस्तर बढ़ने से पहले रिसाव वाले स्थानों पर निरोधात्मक कार्य करा दिया है। लेकिन तटबंध में अभी भी खतरनाक रेनकट बने हुए हैं। जो बाढ़ के दिनों में घातक साबित हो सकते हैं।
अगर यह बंधा टूटा तो पाण्डेय माझा, शीतल माझा, माझा भीमसेन, डहरौली, जोगिया खुर्द, पिपरा कछार, माधोपुर, सिहोरचक, अवस्थी, सेमरौना सहित कछार के 64 गांव पानी में डूब जाएंगे। साथ ही बाढ़ का पानी रुद्रपुर नगर में भी आ जाएगा।
Author: samachar
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