टिक्कू आपचे की रिपोर्ट
कवि कुमार विश्वास अपने बयानों और कविताओं के लिए जाने जाते हैं। मगर कई बार वो नेताओं के बयानों पर तल्ख टिप्पणी करने और तंज कसने के लिए भी जाने जाते हैं। सोशल मीडिया पर उनकी टिप्पणी पर बहस छिड़ जाती है। कोई शेरो-शायरी या कविता साझा करते हैं तो वो वायरल हो जाती है। अब हाल ही में कुमार ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर की है। जिसमें वह अपनी पालतु बिल्ली के साथ नजर आ रहे हैं। इस पर एक शख्स ने उन्हें कुछ ऐसी सलाह दे डाली की कुमार विश्वास से रहा नहीं गया और और उन्होंने उस शख्स को मजेदार जवाब दे डाला।
कुमार विश्वास का पोस्ट: सोशल मीडिया पर कवि ने अपनी बिल्ली के साथ वीडियो शेयर किया, साथ ही कैप्सन में लिखा, दो-चार दिन बाहर से कार्यक्रम करके लौटने पर कुछ देर तो सुश्री पुचकी जी का मुक़दमा सुनना ही पड़ता है। आज इन्होंने,इस रील को बना रहीं हमारी पुत्री के खिलाफ जमकर बयानबाजी की।आप भी सुनिए।
लोगों की प्रतिक्रियाओं पर कुमार के जवाब: कुमार विश्वास वीडियो में अपनी बिल्ली को दुलार करते नजर आ रहे हैं। कवि के इस पोस्ट पर लोग तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। दिनेश भादु नाम के शख्स लिखते हैं, ”कुत्ते बिल्ली की जगह आप यदि गाय के छोटे बछड़े को इस तरह दुलारते तो आपको गौ माता का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता।” दिनेश भादु के इस कमेंट पर कुमार विश्वास ने मजेदार जवाब देते हुए लिखा, ”दिनेश भादु जी, आप की राय का ही इंतजार था बस।” इसी के साथ चाकशू जैन लिखते हैं, इसको अपने अपने राम सुनाइए। इस पर कवि जवाब देते हुए लिखते हैं, ”सुनाता तो हूं लेकिन ये बदले में मुझे महाभारत सुनाने लगती है।”
प्रवीन चौहान लिखते हैं, ”बहुत शानदार जानवरों से केवल एक सच्चे दिल का आदमी ही बात कर सकता है क्योंकि बेजुबान को पता है कौन सच्चे दिल का व्यक्ति है इसलिए यह आपसे बात कर रही है उसको पता है आप उसकी शिकायत सुन सकते हैं और बाकी प्यार में बहुत ताकत है।”
बता दें कुमार विश्वास के इस पोस्ट को खबर लिखे जाने तक 92.4 हजार लोग देख चुके हैं। बता दें कुमार विश्वास का जन्म 10 फरवरी 1970 को उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के पिलखुवा गांव में हुआ था। कुमार विश्वास की युवाओं में अच्छी खासी लोकप्रियता है। विश्वास दुनिया भर के कवि सम्मेलनों में शिरकत करते रहते हैं। कुमार विश्वास इन दिनों राजनीति में काफी एक्टिव नजर आ रहे हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."