उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने न केवल आम लोगों को चौंकाया है, बल्कि धार्मिक आस्था और सामाजिक भरोसे पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। शहर कोतवाली क्षेत्र में एचडीएफसी बैंक के पास साधु के वेश में भीख मांग रहे एक व्यक्ति की असलियत उजागर होने के बाद इलाके में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। मामला तब और गंभीर हो गया जब आरोप है कि पूछताछ के दौरान उस व्यक्ति ने चाकू निकालकर जानलेवा हमला करने की कोशिश की।
कैसे शुरू हुआ पूरा मामला?
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, शिकायतकर्ता अरविंद कुमार सिंह पुत्र जंग बहादुर सिंह, निवासी फिरोज गांधी नगर, 14 दिसंबर की दोपहर करीब 12:30 बजे अपने निजी कार्य से शहर की ओर जा रहे थे। इसी दौरान उनकी नजर एचडीएफसी बैंक के पास खड़े कुछ लोगों पर पड़ी, जो भगवा चोला पहने हुए थे, गले में रामनामी पटका और रुद्राक्ष की माला डाले हुए ‘भोले बाबा’ के जयकारे लगाते हुए राहगीरों से भिक्षा मांग रहे थे।
प्रथम दृष्टया यह दृश्य आम था, लेकिन कुछ देर रुककर देखने पर अरविंद कुमार सिंह को इन लोगों की गतिविधियों पर संदेह हुआ। उनके हाव-भाव, बातचीत का तरीका और आक्रामक व्यवहार साधु-संतों जैसा नहीं लग रहा था। इसी संदेह के चलते उन्होंने बातचीत शुरू की।
‘उदासीन अखाड़ा’ का दावा और विवाद
जब शिकायतकर्ता ने इन लोगों से उनके अखाड़े और गुरु-परंपरा के बारे में पूछा, तो उन्होंने खुद को ‘उदासीन अखाड़ा’ से जुड़ा बताया। हालांकि जब अखाड़े के स्थान और पहचान से जुड़े सवाल किए गए, तो समूह में शामिल एक व्यक्ति अचानक उग्र हो गया। आरोप है कि उसने न केवल अपशब्द कहे बल्कि श्राप देने और जान से मारने की धमकी तक दे डाली।
चाकू से हमला, बाल-बाल बचा शिकायतकर्ता
स्थिति उस समय भयावह हो गई जब शिकायतकर्ता ने आरोपी को पकड़ने का प्रयास किया। आरोप है कि तभी आरोपी ने अपने झोले से चाकू निकालकर शिकायतकर्ता के गले पर वार करने की कोशिश की। सौभाग्य से अरविंद कुमार सिंह ने समय रहते खुद को पीछे कर लिया और उनकी जान बच गई।
इस दौरान आसपास मौजूद लोगों ने साहस दिखाते हुए आरोपी को दबोच लिया। हालांकि उसके साथ मौजूद अन्य 5–6 साथी मौके का फायदा उठाकर फरार हो गए। कुछ ही मिनटों में घटनास्थल पर भीड़ जमा हो गई और माहौल तनावपूर्ण हो गया।
आधार कार्ड से खुली सच्चाई
आरोपी की तलाशी लेने पर उसके पास से आधार कार्ड बरामद हुआ, जिसमें उसका नाम सलीम, निवासी पूरे बुधही, थाना इन्होना, जनपद अमेठी दर्ज पाया गया। साधु के वेश में सलीम की पहचान सामने आते ही मौके पर मौजूद लोगों में आक्रोश फैल गया। कई लोगों ने इसे धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ बताया।
घटना की गंभीरता को देखते हुए शिकायतकर्ता ने तत्काल डायल 112 पर कॉल कर पुलिस को सूचना दी। इसके बाद शहर कोतवाली में लिखित तहरीर देकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी गई।
संगठित गिरोह का शक
शिकायतकर्ता अरविंद कुमार सिंह का आरोप है कि यह केवल एक व्यक्ति का मामला नहीं, बल्कि एक संगठित गिरोह हो सकता है जो साधु-संतों का भेष धारण कर भोले-भाले लोगों से पैसे ऐंठता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आरोपी को थाने में बैठाकर चाय पिलाई जा रही थी, जो एक गंभीर आपराधिक कृत्य के बाद अनुचित प्रतीत होता है।
उन्होंने पुलिस प्रशासन से मांग की है कि इस पूरे नेटवर्क की गहराई से जांच हो और फरार साथियों की भी जल्द गिरफ्तारी की जाए।
पुलिस का पक्ष क्या है?
इस मामले में शहर कोतवाली के थाना प्रभारी शिव शंकर सिंह ने बताया कि शिकायतकर्ता की तहरीर के आधार पर आरोपी के खिलाफ धारा 151 के तहत चालान किया गया है। उन्होंने कहा कि साधु के भेष में घूम रहे व्यक्ति की पहचान कर ली गई है।
थाना प्रभारी के अनुसार, आरोपी के गांव के प्रधान से भी जानकारी ली गई, जिसमें यह बताया गया कि सलीम भीख मांगकर जीवन यापन करता है और उसके खिलाफ पूर्व में किसी आपराधिक या संदिग्ध गतिविधि का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है।
धार्मिक वेश और सामाजिक भरोसा
यह घटना एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि धार्मिक वेशभूषा का दुरुपयोग कर समाज में कैसे भ्रम और भय फैलाया जा सकता है। साधु-संत भारतीय समाज में आस्था और विश्वास के प्रतीक माने जाते हैं, लेकिन जब इसी पहचान का इस्तेमाल आपराधिक गतिविधियों के लिए किया जाए, तो उसका असर पूरे समाज पर पड़ता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में त्वरित और पारदर्शी जांच बेहद जरूरी है, ताकि न केवल दोषियों को सजा मिले, बल्कि वास्तविक साधु-संतों की छवि भी धूमिल न हो।
पाठकों के सवाल–जवाब
क्या यह मामला किसी बड़े गिरोह से जुड़ा हो सकता है?
शिकायतकर्ता के अनुसार आशंका जताई जा रही है कि यह संगठित गिरोह हो सकता है, हालांकि पुलिस जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।
आरोपी के खिलाफ कौन सी धाराओं में कार्रवाई हुई?
पुलिस ने आरोपी के खिलाफ फिलहाल धारा 151 के तहत चालान किया है।






