कुदरत का कहर : खेतों में तबाही का मंजर, डूब गई किसानों की उम्मीदें — पानी में समाई धान की फसल


ठाकुर बक्श सिंह की रिपोर्ट

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©समाचार दर्पण 24 | उत्तर प्रदेश | रायबरेली

रायबरेली। कुदरत का कहर एक बार फिर किसानों की उम्मीदों पर भारी पड़ गया है। जिले के विभिन्न क्षेत्रों में हो रही लगातार बारिश और तेज़ हवाओं ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। खेतों में जलभराव के कारण धान की पूरी फसल पानी में डूब चुकी है। यह नजारा मानो तबाही का मंजर पेश कर रहा है। गांव-गांव में खेतों में खड़ी फसल अब सिर्फ पानी में लहराते तिनकों के रूप में दिखाई दे रही है।

धान की फसल जलमग्न, किसानों की सालभर की मेहनत पर पानी

रायबरेली के किसान बताते हैं कि लगातार बारिश से खेतों में पानी भर गया है और फसल सड़ने लगी है। एक किसान ने बताया, “पूरे साल की मेहनत कुछ ही दिनों की बारिश में बर्बाद हो गई।” खेतों में अगर पानी जल्द नहीं निकला, तो रबी सीजन की बुवाई करना लगभग असंभव हो जाएगा।

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गांव के खेतों में जगह-जगह पानी भरा है। धान की बाली, जो अब कटाई के लिए तैयार थी, पूरी तरह डूब चुकी है। कुदरत का यह कहर किसानों के लिए न केवल आर्थिक बल्कि भावनात्मक झटका भी है। कई किसानों ने बताया कि इस साल की फसल से कर्ज उतारने की उम्मीद थी, लेकिन अब वे फिर से उधारी के जाल में फंस सकते हैं।

विशेषज्ञों की चेतावनी: मिट्टी की उर्वरता और रबी फसलों पर पड़ेगा असर

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, लगातार बारिश और जलभराव से खेतों की मिट्टी की गुणवत्ता पर गहरा असर पड़ता है। अगर पानी लंबे समय तक नहीं निकला, तो मिट्टी में सड़न और नमी की अधिकता के कारण उसकी उर्वरता घट जाएगी। इसका सीधा असर रबी फसलों जैसे गेहूं, चना और मसूर की बुआई पर पड़ेगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि धान की फसल के बाद आमतौर पर किसान गेहूं की बुआई की तैयारी शुरू कर देते हैं, लेकिन इस बार खेतों में पानी भरे होने के कारण बुवाई में भारी देरी हो सकती है। इससे रायबरेली जिले में कृषि उत्पादन में गिरावट की आशंका बढ़ गई है।

सरकारी मदद की मांग, किसानों की चिंताएं बढ़ीं

किसानों ने प्रशासन से तत्काल राहत और क्षतिग्रस्त फसलों के लिए मुआवजे की मांग की है। उनका कहना है कि अगर समय रहते मदद नहीं मिली, तो अगले सीजन की फसल बोना भी संभव नहीं होगा। कई किसान अपनी जमीनों में ट्रैक्टर और मशीनरी नहीं डाल पा रहे हैं क्योंकि खेत दलदल में बदल गए हैं।

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स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसी स्थिति पिछले कई वर्षों में नहीं देखी गई। कुदरत का कहर इस बार कुछ ज्यादा ही गंभीर रूप में सामने आया है। किसान अब सरकार और मौसम पर ही उम्मीदें टिका रहे हैं कि हालात जल्द सुधरें।

कुदरत के कहर के बीच उम्मीद की किरण

हालांकि कुछ कृषि विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि अगर पानी अगले एक सप्ताह में निकल जाए, तो किसान खेतों की जुताई कर रबी फसलों की बुवाई को फिर से शुरू कर सकते हैं। इसके लिए जल निकासी व्यवस्था को दुरुस्त करना बेहद जरूरी है। प्रशासन अगर नालों और निकासी मार्गों की सफाई पर ध्यान दे, तो किसानों को राहत मिल सकती है।

रायबरेली में यह संकट केवल कृषि नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था से भी जुड़ा हुआ है। खेती के नुकसान का असर स्थानीय बाजारों, मंडियों और व्यापारियों पर भी पड़ेगा। इसलिए विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि सरकार को तुरंत आपदा राहत पैकेज घोषित करना चाहिए।

निष्कर्ष: कुदरत का कहर बना किसानों की सबसे बड़ी चुनौती

कुदरत का कहर ने किसानों की मेहनत, उम्मीद और आय सब पर पानी फेर दिया है। खेतों में धान की फसल पूरी तरह जलमग्न है, और अब रबी बुवाई पर भी खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में किसानों की एक ही पुकार है—“अगर मौसम और सरकार साथ दे दें, तो हम फिर खड़े हो जाएंगे।”

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©समाचार दर्पण 24 आपके लिए इस जमीनी हकीकत की रिपोर्ट रायबरेली से लेकर आया है।

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❓ रायबरेली में किसानों की फसलें क्यों बर्बाद हुईं?

लगातार बारिश और जलभराव के कारण धान की पूरी फसल पानी में डूब गई। खेतों में निकासी न होने से मिट्टी सड़ने लगी और फसल चौपट हो गई।

क्या रबी सीजन की बुवाई प्रभावित होगी?

हां, खेतों में पानी भरे होने से बुवाई में देरी और मिट्टी की उर्वरता में कमी आने की आशंका है। गेहूं और चना जैसी फसलों पर इसका असर पड़ेगा।

किसानों ने प्रशासन से क्या मांग की है?

किसानों ने तत्काल राहत, जल निकासी और फसल क्षति का मुआवजा मांगा है। साथ ही अगले सीजन की तैयारी के लिए सहायता की गुहार लगाई है।

विशेषज्ञों ने क्या सुझाव दिए हैं?

विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि खेतों से पानी निकालने की व्यवस्था जल्द की जाए और मिट्टी की जांच कर पुनः जुताई की जाए ताकि रबी फसलों की बुवाई हो सके।

क्या सरकार राहत पैकेज दे सकती है?

कृषि विभाग से उम्मीद की जा रही है कि आपदा राहत फंड से प्रभावित किसानों को मुआवजा और बीमा सहायता दी जाएगी।

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