📝 संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
फसल की आवश्यकता के अनुसार ही उर्वरकों का संतुलित प्रयोग करें, अनावश्यक भंडारण से बचें – प्रशासन की अपील
चित्रकूट जनपद के किसानों के लिए राहत भरी खबर है। जिले में रबी सीजन के दौरान यूरिया उर्वरक की उपलब्धता को लेकर किसी भी प्रकार की कमी नहीं है। जिलाधिकारी पुलकित गर्ग ने स्पष्ट किया है कि जनपद के समस्त साधन सहकारी समितियों एवं निजी बिक्री केंद्रों पर पर्याप्त मात्रा में यूरिया उर्वरक उपलब्ध कराया जा चुका है और आगे भी निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।
जिलाधिकारी ने बताया कि जिले की सहकारी समितियों, कृषक सेवा केंद्रों और निजी उर्वरक बिक्री केंद्रों को कुल 2190 मैट्रिक टन यूरिया उर्वरक का आवंटन किया गया है, जो लगभग 40 हजार बोरी के बराबर है। यह उर्वरक बांदा रैक पॉइंट तथा पीसीएफ बफर गोदाम से सीधे जिले के विभिन्न उर्वरक बिक्री केंद्रों तक भेजा गया है, ताकि किसानों को समय पर खाद मिल सके।
इसके अतिरिक्त, जनपद के 16 निजी बिक्री केंद्रों जैसे एग्री जंक्शन एवं आईएफएफडीसी केंद्रों को भी इफको कंपनी के माध्यम से यूरिया उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वे किसान, जो किसी कारणवश सहकारी समिति के सदस्य नहीं हैं या जिन्होंने अभी तक फार्मर रजिस्ट्री नहीं कराई है, उन्हें भी बिना किसी बाधा के उर्वरक प्राप्त हो सके।
जिलाधिकारी ने किसानों से अपील की है कि गेहूं सहित रबी की अन्य खड़ी फसलों में टॉप ड्रेसिंग के समय वैज्ञानिकों द्वारा संस्तुत मात्रा में ही उर्वरक का प्रयोग करें। जिन किसानों ने अपनी भूमि का मिट्टी परीक्षण कराया है, वे मृदा स्वास्थ्य कार्ड में सुझाई गई मात्रा के अनुसार ही उर्वरक का उपयोग करें, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में सुधार हो सके।
प्रशासन के अनुसार, इस रबी सीजन में अब तक 2580 मैट्रिक टन यूरिया उर्वरक का वितरण समितियों एवं अन्य सहकारी बिक्री केंद्रों के माध्यम से किया जा चुका है। आने वाले दिनों में भी जिले को नियमित अंतराल पर यूरिया की एक-एक रैक प्राप्त होगी, जिसे सीधे सहकारी समितियों को भेजा जाएगा, ताकि किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो।
उर्वरक वितरण व्यवस्था को पारदर्शी और सुचारू बनाए रखने के लिए कृषि विभाग के क्षेत्रीय कर्मचारियों, उर्वरक निरीक्षकों तथा जनपद स्तरीय अधिकारियों की ड्यूटी प्रेक्षक के रूप में लगाई गई है। ये अधिकारी निरंतर निरीक्षण और भ्रमण कर यह सुनिश्चित करेंगे कि किसानों को पीओएस मशीन के माध्यम से उनकी जोत बही के अनुसार ही उर्वरक मिले।
प्रत्येक उर्वरक बिक्री केंद्र पर रेट बोर्ड और स्टॉक बोर्ड को अद्यतन रखने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही यह भी सख्त चेतावनी दी गई है कि यूरिया के साथ किसी अन्य उत्पाद की जबरन टैगिंग न की जाए। यदि कहीं भी ओवररेटिंग, टैगिंग या काला बाजारी का मामला सामने आता है, तो संबंधित विक्रेता के विरुद्ध नियमानुसार कठोर विधिक कार्रवाई की जाएगी।
जिलाधिकारी ने किसानों को जागरूक करते हुए कहा कि आवश्यकता से अधिक उर्वरक का प्रयोग न केवल खेती की लागत बढ़ाता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता और पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है। अंधाधुंध उर्वरक उपयोग से कीट और रोगों की समस्या बढ़ती है, साथ ही अन्य आवश्यक पोषक तत्वों की उपलब्धता भी प्रभावित होती है।
उन्होंने किसानों से संतुलित उर्वरक प्रबंधन अपनाने की अपील की और कहा कि रासायनिक उर्वरकों के साथ-साथ जैविक खाद का प्रयोग भी आवश्यक है। संतुलित मात्रा में उर्वरक उपयोग करने से जहां अपेक्षित उत्पादन प्राप्त होता है, वहीं पर्यावरण संरक्षण और मानव स्वास्थ्य की रक्षा भी सुनिश्चित होती है।
❓ किसानों के सवाल – प्रशासन के जवाब
क्या जिले में यूरिया की कमी है?
नहीं। जनपद में पर्याप्त मात्रा में यूरिया उपलब्ध है और लगातार आपूर्ति की जा रही है।
क्या गैर-सदस्य किसानों को भी यूरिया मिलेगा?
हां। निजी बिक्री केंद्रों के माध्यम से ऐसे किसानों को भी यूरिया उपलब्ध कराया जा रहा है।
ओवररेटिंग या टैगिंग की शिकायत कहां करें?
किसान कृषि विभाग के अधिकारियों या जनपद प्रशासन को इसकी सूचना दे सकते हैं।
अधिक उर्वरक प्रयोग से क्या नुकसान है?
इससे खेती की लागत बढ़ती है, मिट्टी की उर्वरता घटती है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है।






