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19 January 2025 2:05 pm

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लगातार हो रही मासूमों की हत्या ; कोई सुराग नहीं, कहीं नरबलि तो नहीं….एक तहकीकी जायज़ा

33 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

गोरखपुर जिले में बांसगांव के बहोरवा गांव 6 अप्रैल को सात वर्षीय एक बच्चे की बेरहमी से हत्या का अभी सुराग भी नहीं लगा कि सिकरीगंज इलाके जद्दूपट्टी में एक मैरेज हाल के पास मासूम बच्चे का कटा सिर मिलने से हड़कंप मचा हुआ है। 29 अप्रैल की शाम सड़क किनारे मासूम की कटी गर्दन तो मिली, लेकिन अब तक न ही उसकी पहचान हो सकी और न ही बाकी का धड़ ही मिल सका।

आशंका जताई जा रही है कि तंत्रमंत्र के चक्कर में मासूम की बलि चढ़ाई गई होगी। वहीं, जिले में अलग-अलग जगहों पर लगातार हो रहे बच्चों के ब्लाइंड मर्डर की घटनाएं पुलिस के लिए सिरदर्द बनती जा रही हैं।

दोनों हत्याओं में पुलिस के हाथ खाली
अप्रैल महीने में यह दोनों घटनाएं सामने आई, लेकिन दोनों घटनाओं में पुलिस कोई जानकारी नहीं जुटा सकी है। बांसगांव की घटना में कौन लोग शामिल थे। इस बात की छानबीन जारी है। जबकि सिकरीगंज इलाके में मिले बच्चे कटे हुए सिर को लेकर तरह-तरह की चर्चा हो रही है। लोगों का कहना है कि यह मर्डर प्रेम संबंध के अलावा तंत्रमंत्र से जुड़ा हो सकता है।

बलि देने की आशंका
जिले में तंत्रमंत्र के लिए बच्चों की बलि देने के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। बांसगांव के बहोरवा निवासी रुद्र राजभर के बेटे लक्ष्य उर्फ गोलू की लाश जब मिली तो उसके हाथ भी पीछे की तरफ बंधे हुए थे। मुंह में कपड़ा ठूंसा था। जबकि बालों का कुछ टुकड़ा भी थोड़ी दूरी पर मिला। वहीं, इस तरह के अधिकांश मामलों में तंत्रमंत्र के चक्कर में ही मासूमों की हत्याओं की बात सामने आती रही है।

आईए जानते हैं कि कैसे तंत्रमंत्र के लिए आखिर लोग इन मासूमों की बलि देने से भी नहीं चूक रहे…

दरअसल, अंधविश्वास फैलाकर लोगों का गुमराह करने वाले तांत्रिकों और बाबाओं के श‍िकार सबसे ज्यादा गांव व छोटे कस्बों के लोग होते हैं। असल में वहीं पर इनकी दुकान चल भी पाती है, हालांकि शहरों में भी इनकी संख्या कम नहीं है।

यह बताने के लिये हम आपके सामने गोरखपुर के पीपीगंज के रहने वाले सुंदर शुक्ला की कहानी रख रहे हैं। सुंदर शुक्ल की 16 साल की बेटी बीमार हुई तो वो उसे लेकर तिवारीपुर इलाके के सूर्यविहार स्थित पानी टंकी के पास रहने वाले एक तांत्रिक के पास ले गए। तांत्रिक ने लड़की को देखते ही कहा कि इसके ऊपर भूत का साया है। तांत्रिक ने लड़की को सामने बिठाया तो कुछ ही मिनटों में लड़की तांत्रिक को घूरने लगी और फिर बाल खोलकर हूं-हूं-हूं करने लगी।

जिंदा मुर्गों की बलि देता था तांत्रिक
देखते ही तांत्रिक ने कहा कि इस लड़की पर आत्मा का साया है। इसका इलाज बहुत जरूरी है, बड़ा खर्च आयेगा। सुंदर एक मध्यम वर्गीय परिवार के हैं, उसने अपनी बेटी के इलाज के लिये सबकुछ दांव पर लगा दिया। तांत्रिक ने कई बार जिंदा मुर्गों की बलि भी दी, लेकिन लड़की ठीक नहीं हुई, क्योंकि पहले ही दिन तांत्रिक ने उसे हिप्नोटाइज कर दिया था।

क्या चाहते हैं तांत्रिक?
ऐसा ही तांत्रिकों का एक बड़ा गैंग चौरीचौरा इलाके के तरकुलहां मंदिर से कुछ दूरी पर जंगल के बीचोबीच में भी जुटता है। यहां साल के पूरे साल गोरखपुर सहित आसपास के इलाकों के लोग अपनी तमाम तरह की समस्याओं और मनचाही अपेक्षाओं को पूरी कराने की उम्मीद लिए पहुंचते हैं। जहां सुबह से शाम तक ऐसे अंधविश्वास में डूबे लोगों का यह तांत्रिक इलाज के नाम पर उनसे मोटी रकम वूसल करते हैं।

जबकि कई बार वे उन्हें उनकी मनोकामना पूरी कराने, खजाना दिलाने या फिर कोई और लालच पूरी कराने का झांसा देकर मासूमों की बलि तक चढ़ाने के लिए मोटीवेट कर लेते हैं। इसी तरह चौरीचौरा के गोर्रा नदी स्थित गोहावार और ईटउंआ पुल के बीच हरपुर तटबंध पर भी ऐसे तांत्रिकों की दुकानें सजी रहती हैं।

मानसिक रोगियों की तलाश में होते तांत्रिक
जबकि तंत्र साधना से जुड़े लोगों का कहना है कि ये तांत्रिक मानसिक रोगियों की तलाश में रहते हैं। ये जानते हैं कि देश में मानसिक रोगों के अस्पतालों की कमी है, लिहाजा उनकी दुकान सबसे ज्यादा यहीं पर चलेगी।

तांत्रिक उन लोगों की तलाश में रहते हैं, जो पैसे से परेशान हैं, जिनके संतान नहीं पैदा हो रही, जिनकी शादी नहीं हो रही, जिनका बिजनेस नहीं चल रहा, आदि। महिलाएं जिन्हें अपने पति को वश में करना है, ऐसी महिलाएं जिन्हें पैतृक धन का लालच होता है, ऐसे पुरुष जिन्हें जमीन-जायदाद का लालच होता है, वे इनके चक्कर में जल्दी पड़ते हैं।

श्मशान क्रिया के जानकार होते हैं तांत्रिक
इनका उद्देशय होता है कि आप इन्हें पूजते रहें, इनका सम्मान करें और दान दक्ष‍िणा देते रहें। जिस दिन आपने देना बंद कर दिया, ये आपसे खुन्नस रख लेते हैं। ये लोग हनुमान, भेरू और काली के आराधक होते हैं और श्मशान क्रिया को जानते हैं। ये सात्विक और तामसिक पूजा करते हैं। कई लोग मजारों पर भी तंत्र-मंत्र करते हैं।

बकरे और मुर्गे की बली ठीक, लेकिन इंसानों की नहीं
यहां रहने वाले सोखा बाबूराम ने बताया कि यहां तंत्र पूजा के लिए बकरे और मुर्गे की तो बलि दी जाती है। लेकिन किसी इंसान की बलि देना पूरी तरह गलत है। किसी एक व्यक्ति के लाभ के लिए किसी इंसान की जान लेना कहीं से भी उचित नहीं है। जबकि यहीं के घुरहू सोखा का कहना है कि कुछ मनचाही चीजों को पाने का लालच देकर कुछ तांत्रिक मासूमों और इंसानों की बलि चढ़वाते हैं। लेकिन यह लोग तांत्रिक नहीं बल्कि दुष्ट हैं, जोकि अपने निजी स्वार्थ यानी कि अपनी सिद्धियों को हासिल करने के लिए लोगों को झांसे में लेकर ऐसा करते हैं। तंत्र विद्या में बहुत कुछ होता है, लेकिन इनमें से सबकुछ करना सही नहीं होता। जो देश और समाम के हित में नहीं होता, वो काम नहीं किया जाता।

यह मामले आ चुके हैं सामने

6 अप्रैल 2022: बांसगांव इलाके के बहोरवा गांव में सात वर्षीय एक बच्चे की बेरहमी से हत्या कर दी गई। चार दिन से लापता इस बच्चे की बुधवार सुबह घर से डेढ़ सौ मीटर दूर झाड़ियों में लाश मिली। बच्चे के मुंह में कपड़ा ठूंसा था और दोनों हाथ बंधे थे। पुलिस अब तक मासूम की हत्या का राजफाश नहीं कर सकी है।

1 सितंबर 2021: चौरीचौरा इलाके के शिवपुर से रात में करीब दो बजे बदमाशों ने बरामदे में सो रहे छह साल के बच्चे प्रतीक निषाद का अपहरण कर लिया। सूचना मिलने पर पुलिस ने छह घंटे के भीतर बच्चे को बरामद कर लिया। एक नजदीकी महिला बच्चे का अपहरण करके उसे ले जा रही थी। एक तांत्रिक के कहने पर उसने यह कदम उठाया था। देवरिया निवासी तांत्रिक के पकड़े जाने पर घटना का राजफाश हुआ।

18 अगस्त 2021: पिपराइच के मटिहनिया निवासी पांच वर्षीय मासूम गजेंद्र निषाद रात में मां के पास सोया था। वह अचानक लापता हो गया। 19 अगस्त सुबह घर के पास ही गन्ने के खेत में उसकी लाश मिली। उसके बदन पर कपड़े नहीं थे। मुंह में कपड़ा ठूंसा गया था और दोनों हाथ काले कपड़े से बांधे गए थे। पुलिस ने तांत्रिक संतोष निषाद को गिरफ्तार कर मर्डर का पर्दाफाश किया। इस घटना में कई लोग शामिल थे।

06 जुलाई 2021: बांसगांव के विशुनपुर में ब्रम्हानंद विश्वकर्मा के बेटे सात वर्षीय आलोक की अपहरण करके बदमाशों ने गला रेतकर मर्डर कर दिया। उसकी लाश भी कुछ दिन के बाद झाडिय़ों में मिली। पड़ोस में रहने वाले लवेश ने मर्डर को अंजाम दिया था। वह अपनी दुकान चलाने के लिए तंत्र साधना करना चाहता था। इसलिए उसने बच्चे की हत्या कर दी।

24 मार्च 2021: बेलीपार के भीटी गांव में डेढ़ वर्ष के अनिकेत की लाश घर के पास पानी की टंकी में मिली। जांच में सामने आया कि उसकी मां ने ही वारदात को अंजाम दिया था। पुलिस ने मां को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया।

07 अक्टूबर 2020: सिकरीगंज इलाके के बारी में जय प्रकाश के 12 साल के बच्चे आदर्श का किडनैप करके बदमाशों ने हत्या कर दी। उसकी लाश धान के खेत में मिली। दो युवक मुकेश और गौतम पकड़े गए। दोनों ने फिरौती और पूजा पाठ के चक्कर में बच्चे की हत्या की बात पुलिस को बताई।

​​​​कैसी-कैसी पूजाएं करते हैं तांत्रिक?

वशीकरण पूजा
ज्यादातर तांत्रिक होली के पहले उन लोगों को चंगुल में फंसाते हैं, जिन्हें किसी को वश में करना होता है। होली की रात ये लोग वशीकरण की विशेष पूजा करते हैं। वैवा​हिक जीवन से परेशान या फिर प्रेम संबंधों में उलझे लोग अपने पार्टनर के लिए ऐसी पूजा कराते हैं।

बलि चढ़ाना
किसी भी जानवर की बलि देना तांत्रिकों के लिये आम बात होती है। ये बकरे या भेड़ की बलि देते हैं और फिर प्रसाद के रूप में खुद पकाकर दावतें उड़ाते हैं। यही कारण है कि सरकार ने बलि पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा रखा है। फिर भी चोरी छिपे ये इंसानों या जानवरों की बलि चढ़ा ही देते हैं।

डायन साधना
तांत्रिक अपने पास आने वाली महिलाओं को अकसर डायन साधना करने को कहते हैं। इसमें महिला श्मशान में कंकाल व हड्ड‍ियों के बीच में पूर्ण रूप से नग्न अवस्था में रात भर नाचती हैं। यह पूजा होली या फिर दीवाली की रात की जाती है। अक्सर होलिका दहन के वक्त डायन साधना करने वाली महिलाएं जलती हुई लकड़‍ियों के चारों ओर नग्न होकर नाचने लगती हैं।

काम साधना
तांत्रिक महिलाओं को अपने वश में करने के बाद उनसे कहते हैं कि अगर वे काम साधना में भाग लेंगी तो उनका परिवार खुश‍ियों से भर जायेगा, पति का कारोबार अच्छा चलने लगेगा, आदि। तमाम महिलाएं भावनाओं में बहकर काम साधना के लिये तैयार हो जाती हैं। इस साधना में महिला को नग्र अवस्था में कई रातों तक साधना करनी होती है। ऐसे में मौके का फायदा उठाकर तांत्रिक महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने की फिराक में रहते हैं।

वीर साधना
वीर साधना में एक बंद कमरे में कई दिन, कई रातों तक महाकाली की पूजा करनी होती है। कहा जाता है कि पूजा के दौरान एक ऐसा क्षण आता है, जब काली के दूत सामने आते हैं और वह सबसे भयावह क्षण होता है। उस वक्त अगर डर गये, तो मौत तक हो जाती है। तांत्रिकों के ठिकानों पर यह बेहद भयावह पूजा मानी जाती है।

काली पूजा
ऐसी पूजा आधी रात को होती है, इसमें मां काली की उपासना की जाती है और उनको खुश करने के लिए बकरे की बली दी जाती है। कहा जाता है कि इस पूजा में पंडित और भक्त के अलावा किसी को होना नहीं चाहिए और ना ही किसी को देखना नहीं चाहिए वरना पूजा खंडित हो जाती है। ऐसी पूजाओं की आढ़ में ढोंगी तांत्रिक अपनी प्यास बुझाने की फिराक में रहते हैं।

काला जादू
देश के अलग-अलग कोने में तांत्र मंत्र के माध्यम से लौंग, भभूत, चावल, आदि की विशेष पूजा करने के बाद, उसे ऐसे व्यक्त‍ि के घर में रख दिया जाता है, जिसका आप बुरा चाहते हैं। यूपी, बिहार और बंगाल में ऐसे जादू-टोना बहुत ज्यादा होते हैं।

भैरों पूजा
जिन महिलाओं को संतान नहीं होती है, तांत्रिक उन्हें भैरों पूजा करने की सलाह देते हैं। इसमें महिला को निर्वस्त्र होकर अपने शरीर पर भभूत और झाड़ू लपेट कर रात भर पूजा करनी होती है। यहां भी अपराध की गुंजाइश ज्यादा रहती है।

नरण पूजा
पुत्र प्राप्त‍ि के लिये की जाने वाली इस पूजा में महिला को तीन दिन तक भूखा रखकर मां काली और मां लक्ष्मी की पूजा होती है। संतान प्राप्त‍ि के लिये होती है। यह पूजा बेहद कठिन होती है और पूजा के दौरान होने वाली भयावह क्रियाओं से अगर महिला डर गई, तो उसकी मौत भी हो सकती है।

गुड़िया को बांधना
तांत्रिक टोना-टोटका करने के लिये गुड़‍िया का इस्तेमाल करते हैं। जिसके ऊपर जादू-टोना करना होता है, उसके नाम की गुड़िया लेते हैं, फिर उसे चोट पहुंचाते हैं, पैर बांध देते हैं, आथ बांध देते हैं, जिससे वह व्यक्त‍ि परेशान रहने लगता है।

जीभ काटकर चढ़ाना
तांत्रिक कई बार भक्तों से मां काली के पैरों पर अपनी जीभ चढ़ाने को कहते हैं। ऐसा करने से जीभ तो वापस नहीं आती है, लेकिन तांत्रिकों को सिद्धी जरूर प्राप्त हो जाती है। तांत्रिकों के खेमे में एक मान्यता यह है कि जितनी ज्यादा जीभी चढ़वायेंगे, जितने ज्यादा पशुओं की बल‍ि दिलायेंगे, उतनी ज्यादा उनकी तांत्रिक विद्या प्रखर होगी।

शव पर बैठकर साधना
यह पूजा अघोरी लोग ज्यादा करते हैं, लेकिन हरियाणा और पश्च‍िम उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में तांत्रिक शवों पर बैठकर पूजा करते हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने से उन्हें दिव्य शक्त‍ि प्राप्त होती है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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