दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
लखनऊ । नींबू के साथ अन्य खाद्य सामग्री पर महंगाई बढ़ने के साथ ही अब पशुओं के चारे का भाव भी आसमान छूने लगा है।
इस वर्ष गेहूं की फसल के समय ही भूसे के भाव आसामन छू रहे हैं। पशुपालक परेशान है कि जब सीजन के समय यह हाल है तो आगे क्या होगा ? गेहूं का समर्थन मूल्य 2015 रुपये प्रति कुंतल घोषित किया गया है, वहीं भूसा 12 सौ से 14 सौ रुपये प्रति कुंतल बिक रहा है।
कुछ माह पहले तक भूसा 15 सौ रुपये कुंतल तक बिक रहा है। तमाम पशु पालन भूसे की जगह ईंख चारे के रुप में पशुओं को खिला रहे थे। सीजन में भूसा सस्ता होने की उम्मीद थी लेकिन भूसे के भाव में कोई खास अंतर नहीं आया है। पशु पालकों को भूसा लेने के लिए भटकते हुए देखा जा रहा है। इसके पीछे एक कारण यह भी है कि इस बार बड़ी मात्रा में भूसा राजस्थान के लोग यहां से खरीद कर ले गए हैं।
किसान अब गेहूं की कटाई हार्वेस्टर से कराने लगे हैं, जिससे भूसा नहीं बनता है। जबकि हाथ से कटाई के बाद थ्रेसर से कटिंग के दौरान भूसा खेत में एकत्रित हो जाता था। इसे भूसे को पशुपालक चारे के रुप में सालभर उपयोग करते थे। किसान गेहूं की जगह दूसरी फसलों पर दे रहे हैं अधिक ध्यान, उद्योगों में भी भूसे का होता है ईंधन के रुप में उपयोग।
पशुपालकों की माने तो एक भैंस दिन में करीब 15 किलो भूसा खाती है। वहीं खल, चुनी, चापट अलग। भैंस का बच्चा खता है प्रतिदिन करीब पांच किलो भूसा। एक भैंस पर प्रतिदिन करीब 300 से 400 रुपये खर्चा होता है।
इस समय खुराक महंगी और दूध का उत्पादन कम हो गया है। कस्बों में दूध का भाव 60 रुपये प्रति लीटर लीटर है। ग्रामीण क्षेत्र में आज भी दूधिया पशुपालकों से 45-50 रुपये प्रति लीटर दूध ले रहे हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."