उत्तर प्रदेश की राजनीति में जब भी बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी का नाम लिया जाता है, तो दो बिल्कुल विपरीत छवियाँ सामने आती हैं। एक ओर उन्हें गंभीर और संगठित अपराधों से जुड़े व्यक्ति के रूप में देखा जाता है, वहीं दूसरी ओर उनके समर्थक उन्हें “अपना रक्षक” या “मसीहा” मानते हैं। लेकिन हाल ही में एक ऐसा सनसनीखेज खुलासा सामने आया है जिसने इन दोनों छवियों के बीच की खाई को और गहरा कर दिया है।
यह खुलासा किसी आम सूत्र का नहीं बल्कि यूपी के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी, पूर्व डीजीपी और कानून-व्यवस्था को लेकर सख्त छवि रखने वाले प्रशांत कुमार का है। एक चर्चित पॉडकास्ट में उन्होंने जेल के भीतर मुख्तार अंसारी को मिली अवैध सुविधाओं के ऐसे राज खोले, जो सुनकर न केवल होस्ट बल्कि पूरा प्रशासनिक तंत्र भी कठघरे में खड़ा हो गया है।
जेल में पत्नी के साथ दिनभर रहता था मुख्तार का बेटा
पॉडकास्ट में प्रशांत कुमार ने बताया कि लगभग दो वर्ष पहले उत्तर प्रदेश में “ज़ीरो टॉलरेंस नीति” लागू होने के दावे के बीच एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया था। उन्होंने कहा कि मुख्तार अंसारी का बेटा, पुलिस की मदद से अपनी पत्नी को जेल में बुलाता था और वह जेल परिसर में ही दो से तीन दिन तक रहती थी।
यह खुलासा सुनकर कार्यक्रम के संचालक भी पूरी तरह हैरान रह गए। सवाल यह है कि जब राज्य सरकार खुद को अपराधियों के प्रति बेहद सख्त बताती है, तो इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो सकती है? क्या जेल प्रशासन की आंखों के सामने यह सब चलता रहा या फिर किसी स्तर पर जानबूझकर इसे नजरअंदाज किया गया?
अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई
प्रशांत कुमार ने बताया कि जैसे ही उन्हें पूरे मामले की जानकारी मिली, उन्होंने तुरंत कड़े कदम उठाए। संबंधित अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया और जेल के भीतर किसी भी अनधिकृत गतिविधि पर कड़ी निगरानी लगाए जाने के निर्देश जारी किए। यह कदम न केवल प्रशासनिक मजबूती का संकेत देता है बल्कि यह भी बताता है कि सिस्टम में गड़बड़ियाँ कितनी गहराई तक फैली हुई थीं।
जेल में खुदवाया कुआँ—मछली पालता था मुख्तार
पॉडकास्ट का सबसे हैरान करने वाला हिस्सा तब आया जब पूर्व डीजीपी ने बताया कि मुख्तार अंसारी ने जेल के भीतर ही एक कुआँ खुदवाया हुआ था, जिसमें वह मछलियाँ पालता था और उन्हें खाता भी था। यह सुनकर सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर जेल जैसे सख्त निगरानी वाले स्थान में कोई कैदी इतने स्तर तक सुविधाएँ कैसे प्राप्त कर सकता है?
कई विशेषज्ञ इसे “जेल के भीतर जेलर बदलने की क्षमता” बताते हैं—अर्थात् जहां एक आम कैदी के लिए जेल सजा होती है, वहीं कुछ प्रभावशाली लोगों के लिए वह आरामगाह या स्वर्ग बन जाती है।
जेल प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल
इन खुलासों ने एक बार फिर यह साबित किया है कि जेल प्रबंधन में कई स्तरों पर भ्रष्टाचार, दबाव और प्रबंधन की कमियाँ मौजूद रही हैं। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि जेल अधिकारी या तो इस गतिविधि से अनजान नहीं थे, या फिर किसी तरह के दबाव या लेनदेन के कारण उन्होंने आंखें मूंद रखी थीं।
प्रशांत कुमार का यह बयान प्रशासनिक व्यवस्था को आईना दिखाता है, क्योंकि यूपी सरकार का दावा रहा है कि अपराधियों को किसी भी स्तर पर कोई रियायत नहीं दी जाएगी। लेकिन इन घटनाओं ने उस दावे की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
योगी सरकार की नीतियों पर नई बहस
योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान अपराधियों पर कार्रवाई, माफियाओं की अवैध संपत्ति पर बुलडोज़र की नीति और कड़े कानून-व्यवस्था पर हमेशा जोर दिया है। लेकिन इन घटनाओं से यह सवाल उठता है कि क्या केवल नीति पर्याप्त है? या फिर इसे लागू करने वाले तंत्र में खामियाँ इतनी गहरी हैं कि अपराधी जेल में भी “साम्राज्य” चला लेते हैं?
पूर्व डीजीपी के इन खुलासों ने यूपी की जेल व्यवस्था, पुलिस प्रशासन, राजनीतिक अपराध और सत्ता के प्रभाव जैसे मुद्दों पर एक नई बहस को जन्म दे दिया है—जो आने वाले समय में और अधिक तीखी होने की संभावना है।
📌 अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
मुख्तार अंसारी के बेटे की पत्नी जेल में कैसे रहती थी?
पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार के अनुसार, पुलिसकर्मियों की मदद से उसे जेल में प्रवेश कराया जाता था और वह 2–3 दिन वहीं रहती थी।
जेल में कुआँ और मछली पालन की अनुमति कैसे मिली?
यह अवैध गतिविधि थी। आरोप है कि जेल प्रशासन पर बाहरी दबाव और प्रभाव के कारण यह संभव हुआ।
इस खुलासे के बाद क्या कार्रवाई हुई?
संबंधित अधिकारियों को निलंबित किया गया और जेल प्रबंधन की निगरानी और अधिक कड़ी कर दी गई।






