दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
कानपुर। रामायण से इतर कहानी मंच पर दिखाने के एक मामले में 20 जुलाई 2015 को वरिष्ठ अधिवक्ता शिवेंद्र पांडेय ने कोर्ट में मामला दाखिल किया था। प्रबंधक उत्तर प्रदेश महोत्सव भारत भवन भोपाल मध्य प्रदेश, वैले नृत्य नाटिका के प्रबंधक व मंचन करने वालों को इसमें पक्षकार बनाया गया था।
परिवाद के मुताबिक महोत्सव में वैले नृत्य नाटिका का मंचन किया गया, जिसमें दिखाया गया था कि राम रावण के युद्ध के दौरान लगातार पराजय के कारण राम निराश हो जाते हैं । इससे सेना का साहस टूटने लगता है । राम पिछले दिनों के साहस और पराक्रम को याद कर फिर से नई ऊर्जा पाना चाहते हैं, लेकिन ध्वस्त मनोबल सफल नहीं होने देता। राम अपने मित्रों से कहते हैं कि विजय असंभव है और शोक में डूब जाते हैं ।
अधिवक्ता की ओर से सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर आयोजकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अपील की थी, लेकिन तत्कालीन मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट ने 29 फरवरी 2016 को इस मामले में परिवाद दर्ज करने के आदेश दिए थे ।
भगवान राम से जुड़े इस मुकदमे की सुनवाई कई न्यायालयों में हुई । मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट से आदेश होने के बाद यह मामला महानगर मजिस्ट्रेट सप्तम में सुना गया, जिसमें तारीख मिलती रही । इसके बाद एफटीसी सीनियर डिवीजन, एमएम सप्तम फिर एफटीसी सीनियर डिवीजन में चला ।
अधिवक्ता बताते हैं कि ई-कोर्ट सर्विस के आंकड़ों में 29 जनवरी 2021 तक यह मामला अतिरिक्त महानगर मजिस्ट्रेट तृतीय की कोर्ट में सुने जाने के रिकार्ड मिले हैं, लेकिन फाइल नहीं प्राप्त हुई ।
श्रीराम से जुड़े मामले में हुए परिवाद की फाइल ढूंढे़ नहीं मिल रही है, जबकि इस मामले में दो साल तक विभिन्न न्यायालयों में सुनवाई भी हुई जिसके साक्ष्य हैं ।
फाइल न मिलने पर अधिवक्ता ने प्रार्थना पत्र दिया तो जांच के आदेश हो गए । जांच पर संबंधित लिपिक से जवाब मांगा गया है । जांच रिपोर्ट के साथ ही फाइल को रीकंस्ट्रक्ट (पुनर्स्थापित) करने के आदेश भी दिए गए हैं ।
अधिवक्ता के मुताबिक उन्होंने संबंधित कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था । इसके बाद जिला जज कोर्ट में भी प्रार्थना पत्र दिया । मामले में प्रारंभिक जांच के आदेश हुए हैं, जिसमें एक माह में रिपोर्ट देकर फाइल को रिकंस्ट्रक्ट करने के आदेश दिए गए हैं ।
Author: samachar
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