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24 February 2025 1:40 am

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जहां कभी गरजती थी बंदूकें आज वहां फूल खिले हैं गुलशन गुलशन

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एहसान अली की रिपोर्ट

कश्मीर में इन दिनों हर तरफ बहार का खुमार छाया हुआ है। जिसे देखो वही इन खूबसूरत पलों को अपनी बाहों में समेटने को बेताब दिखता है। बागों में खिले फूलों की खुशबू बताने के लिए काफी है कि अब कश्मीर आतंक की घाटी नहीं बल्कि यहां हर तरफ अमन और शांति का गुलशल खिला हुआ है। होटल फुल हैं, टैक्सियों की बुकिंग चल रहा है।

डल झील में पर्यटकों को किश्ती में सैर करवाने वाले शिकारावालों के पास पलभर आराम करने का भी समय नहीं है। बरसों बाद कश्मीर में यूं रौनक लौटती नजर आ रही है। बेखौफ घूमते लोगों से जब हालात की बात करो तो मुस्कुराते हुए कहते हैं-बहुत बहा खून, अब जन्नत में जन्नत का मजा लेने दो। स्थानीय लोगों से लेकर पर्यटकों में सुरक्षा और विश्वास की भावना साफ नजर आ रही है।

मौजूदा वर्ष में पहली जनवरी से अब तक कश्मीर में करीब सवा तीन लाख पर्यटक आ चुके हैं। बीते तीन दिनों में ही करीब 10 हजार सैलानी कश्मीर में मौसम-ए-बहार का मजा लेने पहुंचे हैं। पर्यटन उद्योग से जुड़े लोग इससे खासे उत्साहित हैं। उन्हें उम्मीद है कि अगर यही सिलसिला जारी रहा तो इस साल 2011 में आए 13 लाख पर्यटकों की आमद का रिकार्ड टूट जाएगा। उम्मीद है कि इस बार 15 लाख के करीब पर्यटक आएंगे। जनवरी में 61,400, फरवरी में 1.05 लाख और मौजूदा मार्च में अब तक 1.65 लाख पर्यटक आ चुके हैं।

बागों में भी उमड़ी है भीड़ : डल झील के किनारे स्थित सड़क जिसे बुल्वोर्ड कहते हैं, वहां तिल धरने को जगह नहीं मिलती। ट्यूलिप गार्डन में बीते एक सप्ताह के दौरान करीब एक लाख सैलानी आ चुके हैं। सिर्फ बीते रविवार को ही 37 हजार के करीब सैलानी ट्यूलिप देखने के लिए बाग में पहुंचे। शालीमार, निशात और हारवन समेत वादी के अन्य बागों में रोजाना औसत तीन से चार हजार लोग आ रहे हैं। उधर, गुलमर्ग, पहलगाम और सोनमर्ग में भी कोई होटल खाली नहीं है। श्रीनगर में भी बुकिंग के लिए मारामारी है।

यहां के माहौल में काफी बदलाव आया : डल झील किनारे अपने स्वजन के साथ टहल रहे निशात ने कहा कि मैं यहां पहली बार 2010 में आया था। उसके बाद अब आया हूं और यहां के माहौल में जमीन-आसमान का अंतर दिख रहा है। पहले यहां लोगों के चेहरों पर एक अजीब सी खामोशी और मायूसी नजर आती थी, जो अब नहीं है। मैं यह सोचकर आया था कि यहां भीड़ नहींं होगी, लेकिन मेरा अनुमान सही नहीं था।

रात दस बजे तक खुल रही हैं दुकानें : लालचौक में कश्मीरी कढ़ाई वाले कपड़ों की दुकान के मालिक जावेद नक्शबंदी ने कहा कि अब यहां कोई टूरिस्ट हमसे नहीं पूछता कि डाउन-टाउन में जाएं या नहीं, लालचौक कब तक खुला रहेगा। सोमवार को मुझे अपनी दुकान रात 11 बजे बंद करनी पड़ी। सामान्य दिनों में यहां दुकानें शाम सात बजे बंद हो जाती हैं, अब रात 10 बजे तक खुली नजर आती हैं। उसकी दुकान पर खरीदारी कर रही अहमदाबाद की सुमैरा बानो ने कहा कि कश्मीर खूबसूरत तो है ही, सबसे बड़ी बात यह कि यहां हमें किसी प्रकार का डर नहीं लगा।

कश्मीर देश के अन्य भागों से कहीं ज्यादा सुरक्षित : इंडिया प्राईड टूअर एंड ट्रैवल के संचालक रमन शर्मा ने कहा कि हम देश-विदेश में पर्यटकों के लिए टूअर आयोजित करते हैं, लेकिन कश्मीर ही ऐसी जगह है जहां पर्यटकों के साथ कोई अपराध या हिंसा नहीं होती। यहां महिला पर्यटक खुद को पूरी तरह सुरक्षित महसूस कर रही हैं। यह देश के अन्य भागों से कहीं ज्यादा सुरक्षित है।

मेहनत रंग लाई : पर्यटन विभाग के उपनिदेशक अहसान चिश्ती ने कहा कि हमारी मेहनत कामयाब रही है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो कश्मीर में पर्यटकों की आमद का रिकार्ड टूट जाएगा। हमें सिर्फ गर्मियों में ही नहीं इस बार नवंबर-दिसंबर में भी यहां पांच-छह लाख पर्यटकों की आमद की उम्मीद है। कश्मीर में धनाडय वर्ग के पर्यटकों की संख्या भी लगातार बड़ रही है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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