आखिर ऐसा क्या हुआ कि काशी में इस यूक्रेनियन महिला के मुंह से “बंदे मातरम” निकल पड़ा? पढ़िए इस खबर को

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

एक ओर रूस और यूक्रेन के बीच जोरदार जंग जारी है तो कभी यूक्रेन का हिस्‍सा रहे क्रीमिया को कब्‍जा कर रूस का हिस्‍सा बनने के बाद अब क्रीमिया के लोग यू‍क्रेनी के बजाय रूसी हो चुके हैं। हालांकि, कभी यह सोवियत गणराज्‍य का हिस्‍सा भी था। वाराणसी शहर में क्रीमिया और रूस की चर्चा शनिवार को उस समय शुरू हो गई जब एक क्रीमिया की महिला पर्यटक के पास खाने तक के लिए पैसे नहीं बचे। धन की कमी से जूझ रही महिला के बारे में जानकारी हुई तो अन्‍नपूर्णा की नगरी काशी के लोगों ने न सिर्फ भोजन दिया बल्कि भोजन के साथ ही आगे के सफर के लिए धन भी मुहैया कराया। काशी के लोगों के सेवा भाव से मुदित क्रीमिया की महिला भी खूब खुश नजर आई।  

रूस की महिला पर्यटक को देश के सम्‍मान और मित्र देश के नाते उस विदेशी महिला पर्यटक का कपसेठी पुलिस और क्षेत्र के समाजसेवियों ने खूब सहयोग किया। इस दौरान आह्लादित महिला ने खुश होकर ‘वंदे मातरम’ बोला तो सब खुश हो उठे। दरअसल विदेशी महिला पर्यटक का कपसेठी पुलिस व समाजसेवियों ने सहयोग किया तो वह बहुत भावुक नजर आई। शनिवार को देर शाम रूस के क्रीमिया शहर से लगभर 15 दिन पूर्व लतेर नामक महिला व उसका 10 वर्षीय बेटा भारत घूमने आए थे। गोवा से किराए की कार के यू वी 100 जी ए 11 ए 1986 लेकर स्वयं ड्राइव करते हुए बनारस शहर के कपसेठी थाना क्षेत्र में पहुंच गई।

महिला के कार का ईंधन बनारस में खत्म हो गया तो किसी भारतीय मित्र से 2000 रूपये गूगल पर पर मंगाया जिससे ईंधन भी भरवाया। लेकिन, खाने के लिए उसके पास कुछ नहीं था तो महिला ने कपसेठी पुलिस से सहयोग मांगा। कपसेठी पुलिस अन्य समाजसेवियों के साथ मिलकर विदेशी महिला को 10000 रुपये का सहयोग दिया। सहयोग मिलते ही उस विदेशी महिला की आंखों में आंसू आ गए। सहयोग राशि के द्वारा वह अपने गंतव्य नई दिल्ली के लिए रवाना हो गई। बताते चलें कि क्री‍मिया के पड़ा़ेस में इस समय जंग का माहौल है। 

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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