
हिमांशु मोदी की रिपोर्ट
भरतपुर। अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग (राजनीतिक प्रतिनिधित्व) ने सोमवार को नगर निगम सभागार में आयोजित
संभागीय जनसंवाद में ओबीसी समुदाय को मिलने वाले
राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर व्यापक चर्चा की। इस संवाद में संभाग के सभी जिलों से आए
जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों, नागरिक संस्थाओं और स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
आयोग का मुख्य उद्देश्य था—ओबीसी वर्ग को उनकी
जनसंख्या अनुपात और
सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर
सटीक राजनीतिक प्रतिनिधित्व दिलाने के लिए फीडबैक एकत्र करना।
आयोग अध्यक्ष बोले—“वाजिब लोगों को मिलना चाहिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व”
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश
मदन लाल भाटी ने कहा कि आयोग संभाग स्तर पर संवाद करके
राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रहा है। इस रिपोर्ट में
राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक पिछड़ेपन का आंकलन शामिल किया जाएगा, ताकि
वाजिब और पात्र वर्गों को उचित राजनीतिक भागीदारी मिल सके।
उन्होंने बताया कि आयोग स्वतंत्र एजेंसी के माध्यम से
जिलेवार सर्वे भी कराएगा, जिसमें मोबाइल ऐप की सहायता से पारदर्शी डेटा संकलित किया जाएगा।
आयोग का लक्ष्य है कि
सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार एक ऐसी रिपोर्ट सरकार को सौंपना, जो
ओबीसी समुदाय को वास्तविक और न्यायसंगत राजनीतिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करे।
सदस्य सचिव ने बताया—कैसे हो रहा है डेटा संग्रह
आयोग के सदस्य सचिव अशोक जैन ने बताया कि
राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए आयोग संवाद, फील्ड सर्वे और डिजिटल डेटा संग्रह—तीनों माध्यमों से
ओबीसी वर्ग की वास्तविक स्थिति का मूल्यांकन कर रहा है। उन्होंने नागरिकों और संगठनों से अपील की कि वे
आयोग कार्यालय, ईमेल या व्यक्तिगत रूप से सुझाव दें, ताकि
राजनीतिक आरक्षण को अधिक सटीक और प्रभावी बनाया जा सके।
जनसंवाद में आए महत्वपूर्ण सुझाव
संभाग के विभिन्न जिलों से आए प्रतिनिधियों ने
ओबीसी राजनीतिक प्रतिनिधित्व को और मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। सबसे प्रमुख सुझाव यह रहा कि—
राजनीतिक आरक्षण जनसंख्या अनुपात के आधार पर तय किया जाए। इसके साथ ही कई प्रतिनिधियों ने कहा कि—
जिलेवार सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक पिछड़ापन अलग-अलग है, इसलिए
राजनीतिक प्रतिनिधित्व भी जिलेवार अलग-अलग निर्धारित होना चाहिए।
प्रतिनिधियों ने यह भी सुझाव दिया कि—
- मूल ओबीसी जातियों को प्राथमिकता मिले।
- वंचित जातियों के लिए विशेष प्रावधान बनाए जाएं।
- भरतपुर में बाहर से विवाह करके आई समान जाति की महिलाओं को भी राजनीतिक प्रतिनिधित्व का लाभ दिया जाए।
- मंडल आयोग की तर्ज पर जनसंख्या वृद्धि के अनुसार आरक्षण बढ़ाया जाए।
- पूर्व में ओबीसी आयोग द्वारा कराए गए सर्वे के आधार पर राजनीतिक प्रतिनिधित्व लागू किया जाए।
किन-किन ने रखे अपने सुझाव
संवाद कार्यक्रम में पूर्व विधायक टोडाभीम रमेश चंद मीना, पूर्व नेता प्रतिपक्ष नगर निगम
रूपेन्द्र सिंह, गिरधारी तिवारी, रामेश्वर सैनी, पूर्व डिप्टी मेयर कृपाल सिंह,
सरपंच चैनसिंह फौजदार, जाट महासभा के प्रेमसिंह कुंतल, पूर्व सरपंच गांधीदेव कामरेट,
जाट सूरज सेना के अरविंदपाल सिंह, सरपंच भाग्यश्री मीना, बृजेश कसाना, लक्ष्मण सिंह सैन,
गंगापुर प्रधान मंजू गुर्जर, सवाईमाधोपुर के उदय सिंह गुर्जर, धौलपुर के आशाराम बघेल,
करौली से गोवर्धन सिंह जादौन सहित कई प्रतिनिधियों ने जोरदार सुझाव दिए।
कार्यक्रम में ये रहे उपस्थित
कार्यक्रम में पूर्व सांसद रामस्वरूप कोली, जिला अध्यक्ष शिवानी दायमा,
प्रधान सेवर दीपा सिंह सोगरवाल, अतिरिक्त कलक्टर प्रशासन घनश्याम शर्मा,
आयुक्त नगर निगम श्रवण विश्नोई, शैलेश कौशिक, मनोज भारद्वाज, सत्येन्द्र गोयल सहित
संभाग के सभी प्रमुख जनप्रतिनिधि एवं सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित रहे।
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ओबीसी को राजनीतिक प्रतिनिधित्व देने के लिए आयोग क्या कर रहा है?
आयोग जिलेवार सर्वे, डिजिटल डेटा संग्रह और जनसंवाद के माध्यम से वास्तविक पिछड़ेपन का मूल्यांकन कर रहा है।
क्या राजनीतिक आरक्षण जनसंख्या अनुपात पर आधारित होगा?
हाँ, प्रतिनिधियों ने स्पष्ट कहा कि जनसंख्या अनुपात के अनुसार ही राजनीतिक प्रतिनिधित्व तय होना चाहिए।
सर्वे कैसे किया जाएगा?
आयोग स्वतंत्र एजेंसी के साथ मोबाइल एप के जरिए पारदर्शी डेटा एकत्र करेगा।
क्या भरतपुर में बाहर से आई महिलाओं को भी राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिलेगा?
प्रतिनिधियों ने सुझाव दिया है कि समान जाति की ऐसी महिलाओं को भी प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।
आयोग की रिपोर्ट कब आएगी?
संवाद और सर्वे पूरा होने के बाद आयोग सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा।