
संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट (बांदा)। क्या आप जानते हैं कि बैंकों में लावारिस पड़ी रकम की मात्रा लगातार बढ़ रही है और केवल चित्रकूट-बांदा क्षेत्र में ही यह राशि करोड़ों में पहुँच चुकी है?
आरबीआई के नियमों के तहत वर्षों तक निष्क्रिय रहने वाले खातों की धनराशि अब डिपॉजिट एजुकेशन एंड अवेयरनेस (DEA) फंड में जमा कर दी जाती है।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि — यह लावारिस रकम आखिर किसकी है?
जिले में विभिन्न बैंकों के जिन खातों में वर्षों से लेन–देन नहीं हुआ, उनमें जमा लगभग 15 करोड़ रुपये को बैंक पहले ही आरबीआई के DEA फंड में जमा करा चुके हैं।
इतनी ही राशि म्युचुअल फंड, लाइफ इंश्योरेंस, जनरल इंश्योरेंस, पेंशन फंड और अन्य बीमा कंपनियों में भी Unclaimed Deposits के रूप में पड़ी है, लेकिन इन्हें लेने के लिए अब तक कोई सामने नहीं आया।
🔴 आखिर क्यों बढ़ रही है बैंकों में लावारिस पड़ी रकम?
बैंकों में लावारिस पड़ी रकम बढ़ने के पीछे कई प्रमुख कारण सामने आए हैं:
- खाताधारक की मृत्यु के बाद वारिस दावा नहीं करते
- लोग नौकरी या व्यवसाय के कारण दूसरे स्थानों पर शिफ्ट हो जाते हैं
- पुराने खातों को लोग भूल जाते हैं
- बैंक द्वारा समय पर खाता सत्यापन न होना
- केवाईसी अनुपालन पूरा न होना
आरबीआई नियमों के मुताबिक यदि किसी खाते में लगातार दो वर्ष तक कोई लेन–देन नहीं होता तो उसे निष्क्रिय खाता (Dormant Account) घोषित किया जाता है।
यह निष्क्रिय खाते ही आगे चलकर Unclaimed Deposits में शामिल हो जाते हैं।
🔴 चित्रकूट में 42 हजार निष्क्रिय खाते, 15 करोड़ लावारिस धनराशि
अभियान की निगरानी कर रहे अग्रणी जिला प्रबंधक (LDM) अनुराग शर्मा के अनुसार जिले में हुए विशेष सत्यापन अभियान में यह तथ्य सामने आया है कि:
- 42,000 खाते निष्क्रिय पाए गए
- इनमें लगभग 15 करोड़ रुपये जमा हैं
- 10 वर्षों से इन खातों में कोई लेनदेन नहीं
इन खातों के असली वारिसों की तलाश की जा रही है, परंतु अधिकांश लोग अपने पते पर नहीं मिल रहे।
इससे बैंक कर्मचारियों को लावारिस पड़ी रकम असली दावेदारों तक पहुँचाने में कठिनाई हो रही है।
🔴 बांदा जिले में 38.63 करोड़ रुपये की लावारिस संपत्ति
केवल बांदा जिले में ही:
- 23 बैंक शाखाओं में
- 1,15,420 निष्क्रिय खातों में
- 38.63 करोड़ रुपये लावारिस पड़े हैं
इन खातों में पड़े करोड़ों रुपये Unclaimed Deposits के कारण बैंक और सरकार दोनों की चिंता बढ़ा रहे हैं।
यदि वारिस समय पर दावा नहीं करते, तो ये रकम हमेशा के लिए DEA फंड में स्थानांतरित हो सकती है।
🔴 “आपकी पूंजी – आपका अधिकार” अभियान
वित्तीय सेवाएं विभाग (DFS) ने पूरे देश में
“आपकी पूंजी – आपका अधिकार”
अभियान शुरू किया है, जिसके तहत निष्क्रिय खातों में जमा रकम को सही वारिसों को लौटाने की कोशिश की जा रही है।
जिला स्तर पर विशेष कैंप आयोजित किए जा रहे हैं, जहां लोग केवल अपना:
- नाम
- मोबाइल नंबर
- जन्मतिथि
- आधार
- परिवार की मूल जानकारी
दर्ज कराते हैं और सिस्टम स्वचालित रूप से बताता है कि उनके नाम से कोई लावारिस खाता या Unclaimed Deposit मौजूद है या नहीं।
🔴 दावा करने की प्रक्रिया – कैसे पाएं अपनी लावारिस बैंक राशि?
यदि किसी व्यक्ति को पता चलता है कि उसके या उसके परिवार के नाम पर निष्क्रिय खाता या लावारिस धनराशि है, तो उसे यह दस्तावेज जमा करने होंगे:
- पहचान पत्र (आधार/पैन)
- एड्रेस प्रूफ
- पासबुक/पुराने बैंक दस्तावेज
- वारिस होने पर मृत्यु प्रमाणपत्र
- वारिस प्रमाणपत्र या परिवार रजिस्टर
दस्तावेज जमा होने और केवाईसी पूर्ण होने के बाद बैंक राशि जारी कर देता है।
🔴 31 दिसंबर तक चलेगा विशेष अभियान
एलडीएम के अनुसार आरबीआई निर्देश के तहत जिले में 31 दिसंबर तक यह अभियान चलेगा।
इस दौरान बैंक लगातार:
- खाताधारकों से संपर्क
- पते पर कर्मचारियों की तैनाती
- जानकारी सत्यापन
- वारिसों का दस्तावेज मिलान
का कार्य कर रहे हैं ताकि कोई भी भारतीय अपनी लावारिस बैंक राशि से वंचित न रहे।
🔴 एलडीएम का बयान (बांदा)
रविशंकर, एलडीएम, अग्रणी बैंक प्रबंधन का कहना है—
“कई खाते ऐसे हैं जिनमें वर्षों से लेन–देन नहीं हुआ और उनमें बड़ी मात्रा में बैंकों में लावारिस रकम जमा है। कई लॉकर भी वर्षों से नहीं खोले गए। सरकार ने ऐसे खातों के लिए लोगों को आखिरी मौका दिया है कि वे केवाईसी कराकर अपनी Unclaimed Deposits का दावा करें, अन्यथा राशि सरकार के अधीन हो जाएगी।”
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