
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
ऊर्जा विभाग नियम संशोधन को लेकर राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। ऊर्जा विभाग की ओर से बिजली निगम के अभियंताओं और कर्मचारियों के खिलाफ होने वाली विभागीय कार्रवाई को अब सरल, पारदर्शी और समयबद्ध बनाने के लिए नियमों में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। नई व्यवस्था के तहत किसी भी प्रकरण की जांच प्रक्रिया अधिकतम 30 दिनों में पूरी की जा सकेगी। इससे सालों तक लंबित रहने वाले मामलों में तेजी आएगी और कार्य संस्कृति में पारदर्शिता बढ़ेगी।
पॉवर कॉर्पोरेशन के निदेशक मंडल ने लंबे समय से लंबित फाइलों, धीमी जांच प्रक्रिया और अनावश्यक देरी को दूर करने के लिए यह संशोधन पास किया है। पहले किसी भी विभागीय कार्रवाई के लिए एक बड़ी जांच समिति बनती थी, लेकिन अब जांच अधिकारी ही मामले की जांच करेगा। इससे न केवल प्रक्रिया सरल होगी बल्कि बिजली विभाग के अभियंताओं और कर्मचारियों के मामलों का समय से निस्तारण होगा।
नई व्यवस्था क्यों लागू की गई?
ऊर्जा विभाग का कहना है कि पुरानी व्यवस्था में बिजली विभाग जांच प्रक्रिया अक्सर लंबी चलती थी और कई मामले वर्षों तक लंबित रहते थे। इससे न केवल प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित होती थी बल्कि कर्मचारियों पर अनावश्यक दबाव भी बनता था। नई व्यवस्था के तहत:
- जांच प्रक्रिया तेज होगी,
- अनुशासनात्मक कार्रवाई पारदर्शी बनेगी,
- मामलों का समयबद्ध निस्तारण हो सकेगा,
- ऊर्जा विभाग नियम संशोधन व्यवहारिक और प्रभावी होगा।
इसके अलावा ऊर्जा विभाग नई व्यवस्था में यह स्पष्ट किया गया है कि गंभीर वित्तीय अनियमितता के मामलों में अध्यक्ष या प्रबंध निदेशक आवश्यकता अनुसार जांच समिति का गठन कर सकेंगे। यानी गंभीर मामलों में कठोर जांच का प्रावधान भी बरकरार रहेगा।
किन अधिकारियों को बनाया जा सकेगा जांच अधिकारी?
ऊर्जा विभाग ने जांच अधिकारी तय करने के लिए स्पष्ट श्रेणियां जारी की हैं:
1. टीजी-2 और अन्य कर्मियों के मामले में
यदि नियुक्ति अधिकारी अधिशासी अभियंता हैं, तो जांच अधिकारी कम से कम अधिशासी अभियंता या उससे ऊपर का अधिकारी होगा। इससे जांच प्रक्रिया में अनुभव और निष्पक्षता दोनों शामिल रहेंगे।
2. सहायक अभियंता और अवर अभियंता
इनके मामलों में कम से कम अधीक्षण अभियंता या उच्च स्तर का अधिकारी बिजली विभाग जांच प्रक्रिया की जिम्मेदारी निभाएगा।
3. अधिशासी अभियंता और उससे ऊपर
इस स्तर पर जांच अधिकारी कम से कम मुख्य अभियंता या उससे वरिष्ठ अधिकारी होगा। इस बदलाव से ऊँचे पदों पर कार्यरत अधिकारियों के खिलाफ मामलों की गंभीर और उच्चस्तरीय जांच सुनिश्चित होगी।
जांच के हर चरण की समयसीमा निर्धारित
ऊर्जा विभाग नियम संशोधन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि अब हर चरण की समयसीमा तय कर दी गई है, ताकि विभागीय कार्रवाई कभी भी अनावश्यक रूप से लंबित न रहे।
| चरण | अधिकतम समय |
|---|---|
| आरोपपत्र तैयार करना | 0–30 दिन |
| आरोपी का उत्तर | 15 दिन (विशेष स्थिति में 30 दिन) |
| सुनवाई प्रारंभ | उत्तर मिलने के 15 दिनों के भीतर |
| सुनवाई पूरी | अधिकतम 60 दिन |
| जांच आख्या देना | सुनवाई पूरी होने के 15 दिन बाद |
| अंतिम निर्णय / निस्तारण | जांच आख्या प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर |
इस टाइमलाइन से यह स्पष्ट है कि पूरी बिजली विभाग जांच प्रक्रिया अब पारदर्शी, सरल और सीमित समय में पूरी होगी।
नई व्यवस्था से क्या लाभ होंगे?
- ऊर्जा विभाग में वर्षों से लंबित विभागीय कार्रवाई तेजी से निपटेंगी।
- कर्मचारियों को अनिश्चितता से मुक्ति मिलेगी।
- कामकाज में पारदर्शिता बढ़ेगी।
- फर्जी, पुरानी और आधारहीन शिकायतों में कमी आएगी।
- ऊर्जा विभाग नियम संशोधन से अनुशासनात्मक प्रणाली मजबूत होगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऊर्जा विभाग नई व्यवस्था से विभाग की कार्यक्षमता भी बढ़ेगी क्योंकि अधिकारी जांच में उलझने के बजाय अपनी जिम्मेदारियों पर अधिक ध्यान दे सकेंगे।
बिजली निगम कर्मचारियों ने क्या कहा?
बिजली निगम के कर्मचारियों और अभियंताओं ने इस नई नीति का स्वागत किया है। उनका कहना है कि वर्षों से लंबित विभागीय कार्रवाई न केवल करियर को प्रभावित करती थी बल्कि मानसिक तनाव भी देती थी। अब ऊर्जा विभाग नियम संशोधन के बाद समयसीमा निर्धारित होने से पारदर्शिता और भरोसा दोनों बढ़ेंगे।
निष्कर्ष
स्पष्ट है कि ऊर्जा विभाग नई व्यवस्था बिजली निगम में अनुशासनात्मक कार्यवाही को तेज, सरल और जिम्मेदार बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। ऊर्जा विभाग नियम संशोधन न केवल जांच प्रक्रिया को समयबद्ध करेगा बल्कि कर्मचारियों और विभाग दोनों के लिए संतुलन बनाकर रखेगा। आने वाले समय में इसका सकारात्मक प्रभाव पूरे ऊर्जा क्षेत्र पर देखने को मिल सकता है।
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ऊर्जा विभाग ने नियमों में बदलाव क्यों किए?
जांच प्रक्रिया को तेज, सरल और पारदर्शी बनाने के लिए ऊर्जा विभाग ने यह बदलाव किए हैं।
क्या नई व्यवस्था में जांच समिति बनेगी?
सामान्य मामलों में जांच अधिकारी ही जांच करेगा, लेकिन गंभीर वित्तीय मामलों में समिति बनाई जा सकेगी।
जांच प्रक्रिया पूरा होने में कुल कितना समय लगेगा?
पूरी प्रक्रिया लगभग 120 दिनों के भीतर पूरी की जा सकती है।
जांच अधिकारी किस स्तर के होंगे?
पद के अनुसार अधिशासी अभियंता, अधीक्षण अभियंता, मुख्य अभियंता या उससे ऊपर के अधिकारी को जांच अधिकारी बनाया जाएगा।