ठाकुर के के सिंह की रिपोर्ट
रविवार को छटीकरा स्थित चारधाम मंदिर परिसर में आयोजित विशाल धर्म सभा के दौरान बागेश्वर धाम पदयात्रा के प्रवर्तक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन केवल कदमों की यात्रा नहीं, बल्कि संकल्पों की विचार यात्रा है। उन्होंने कहा कि वह न पहले थके, न अब थकेंगे। न रुके हैं और न रुकेंगे।
बागेश्वर धाम पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य देश-दुनिया के सनातनी हिंदुओं को एक सूत्र में जोड़ना है, जिससे आने वाली पीढ़ियों, मठ-मंदिरों, बेटियों और परंपराओं की रक्षा सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने यह भी घोषणा की कि परिस्थितियों के अनुकूल समय पर बागेश्वर धाम पदयात्रा 3.0 शुरू की जाएगी, जो उन क्षेत्रों की ओर बढ़ेगी जहां धर्मांतरण की गतिविधियां तेज हैं।
धर्मसभा में पांच संकल्प— सनातन समाज को संगठित करने की रणनीति
धर्मसभा में उपस्थित लाखों श्रद्धालुओं को शास्त्री ने पांच महत्वपूर्ण संकल्प दिलाए। उन्होंने कहा कि बागेश्वर धाम पदयात्रा का असली उद्देश्य संयुक्त सनातन समाज का ताना-बाना मजबूत करना है। उनके पांच संकल्प इस प्रकार रहे:
- पहला संकल्प— जुड़ो और जोड़ो अभियान: प्रत्येक सनातनी को पांच परिवारों को कट्टर सनातनी हिंदू बनाना है।
- दूसरा संकल्प— भगवा अभियान: घर-घर पर धर्मध्वज लगाने और अन्य लोगों को प्रेरित करने का आह्वान।
- तीसरा संकल्प— खतरे के समय आगे बढ़ने की तैयारी: जब भी हिंदुओं पर संकट आएगा, संत समाज और बागेश्वर धाम का मंडल सबसे आगे रहेगा।
- चौथा संकल्प— घर वापसी अभियान: जो हिंदू प्रलोभन में अन्य धर्मों में चले गए हैं, उन्हें पुनः वापस लाना।
- पाँचवाँ संकल्प— मांस-मदिरा मुक्त तीर्थ: जहां भगवान हों, वहां शराब या मांस की दुकान नहीं होगी।
इन संकल्पों के माध्यम से उन्होंने स्पष्ट किया कि बागेश्वर धाम पदयात्रा मात्र धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना जगाने का राष्ट्रीय अभियान है।
दिल्ली धमाका और विरोध— फिर भी जारी रही सनातन एकता की पदयात्रा
शास्त्री ने कहा कि बागेश्वर धाम पदयात्रा के शुरुआती चरण में उन्हें कई तरह के विरोध, धमकियां और चुनौतियां मिलीं। पदयात्रा के दौरान दिल्ली में बस विस्फोट भी हुआ, परन्तु लाखों सनातनी अपने संकल्प के साथ अडिग रहे। उन्होंने कहा कि सनातन परंपरा पर संकट आने पर समाज ने पहले भी एकजुट होकर जवाब दिया है और आज भी वही संकल्प दुहराया जा रहा है।
ब्रज में प्रवेश— ब्रज रज को शीश से लगाकर शास्त्री ने मांगा आशीर्वाद
जब बागेश्वर धाम पदयात्रा ब्रज की सीमा में पहुंची, तो धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने ब्रज धूल को अपने मस्तक पर लगाते हुए ठाकुरजी से प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि वह बागेश्वर धाम बालाजी के साथ ब्रज आए हैं और देश के कोने-कोने से आए सनातनी हिंदुओं ने पदयात्रा में कठिनाइयाँ सहकर भी आस्था को कभी कम नहीं होने दिया।
पदयात्रा को गांव-गांव पहुंचाने की अपील
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि 150 किलोमीटर लंबी यह बागेश्वर धाम पदयात्रा केवल शोभायात्रा नहीं है। इसका उद्देश्य गांव-गांव तक सनातनी चेतना पहुँचाना है। उन्होंने बताया कि अब हर गांव में संतों के मार्गदर्शन में मंडल स्थापित किए जाएंगे, जो जीर्ण-शीर्ण मंदिरों का जीर्णोद्धार करेंगे और प्रत्येक माह सनातन हिंदू एकता यात्रा निकालेंगे।
मुसलमानों से विरोध नहीं— पर कट्टरपंथ पर चिंता
अपने संबोधन में शास्त्री ने कहा कि बागेश्वर धाम या बागेश्वर धाम पदयात्रा किसी मुस्लिम या ईसाई समुदाय के खिलाफ नहीं है। उनका विरोध केवल कट्टरपंथ और धर्मांतरण की मानसिकता से है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग तिरंगे में चांद ढूंढते हैं, लेकिन हम चांद पर तिरंगा फहरता देखना चाहते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि कई बार पढ़ा-लिखा व्यक्ति भी आतंकवादी गतिविधियों में शामिल मिलता है, इसलिए सनातनी परिवार अपने बच्चों को संस्कार दें और कट्टर सनातनी हिंदू बनाएँ।
ऐतिहासिक संदर्भ— करपात्री महाराज से लेकर आज तक
बागेश्वर धाम पदयात्रा को उन्होंने 1966 में स्वामी करपात्री जी महाराज द्वारा चलाए गए गोमाता आंदोलन से जोड़ा। उन्होंने कहा कि इतिहास खुद को दोहरा रहा है— तब भी सनातन रक्षा के लिए संघर्ष हुआ था और आज भी समाज उसी मार्ग पर चल रहा है।
हर वर्ग का समर्थन— किसान, जवान, और सिख गुरुओं को समर्पण
शास्त्री ने बताया कि बागेश्वर धाम पदयात्रा देश के किसानों, जवानों और सिखों के नवें गुरु गुरु तेग बहादुर को समर्पित है। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर ने हिंदुओं की रक्षा के लिए जो बलिदान दिया, उसी परंपरा को आगे बढ़ाने का यह प्रयास है।
सनातनी एकता— भविष्य की लड़ाई का आधार
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि आने वाले वर्षों में धर्म, संस्कृति और परंपराओं को बचाने की चुनौतियाँ और भी बड़ी होंगी। इसलिए बागेश्वर धाम पदयात्रा केवल एक घटना नहीं, बल्कि भविष्य की सनातनी एकता का आधार है। उन्होंने कहा कि यदि ब्रजवासी एक वर्ष के भीतर वृंदावन से शराब की दुकानों को बाहर करने का संकल्प लें, तो यह पदयात्रा सफल मानी जाएगी।
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बागेश्वर धाम पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस पदयात्रा का उद्देश्य सनातनी हिंदुओं को एकजुट करना और धर्मांतरण प्रभावित क्षेत्रों तक सनातन संदेश पहुंचाना है।
क्या बागेश्वर धाम पदयात्रा 3.0 फिर शुरू होगी?
हाँ, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने घोषणा की है कि परिस्थितियों के अनुसार बागेश्वर धाम पदयात्रा 3.0 शुरू की जाएगी।
धर्मसभा में दिए गए पांच संकल्प क्या थे?
जुड़ो और जोड़ो अभियान, भगवा अभियान, संकट में संतों की अगुवाई, घर वापसी अभियान और तीर्थ स्थलों को मांस-मदिरा मुक्त करने का संकल्प।
क्या पदयात्रा किसी धर्म विशेष के खिलाफ है?
नहीं। बागेश्वर धाम पदयात्रा किसी धर्म के खिलाफ नहीं, बल्कि कट्टरपंथ और धर्मांतरण के विरोध के लिए है।






