7वां सुवा नाच महोत्सव तोरवा बिलासपुर में अद्भुत छत्तीसगढ़ी लोक-संस्कृति का भव्य संगम

हरीश चन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट

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छत्तीसगढ़ की धरती लोक-संस्कृति का ऐसा नीलम-भंडार है, जिसकी चमक पीढ़ियों से लोगों के दिलों में रची-बसी है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए भोजली महोत्सव समिति तोरवा बिलासपुर द्वारा आयोजित 7वां सुवा नाच महोत्सव इस वर्ष भी अपने पूरे गरिमा, उल्लास और सांस्कृतिक रंगों के साथ आयोजित किया गया। छत्तीसगढ़ की पहचान बने सुवा नाच महोत्सव में इस वर्ष कुल 32 टीमों ने हिस्सा लिया, जिसने कार्यक्रम को लोक-कलाओं का भव्य उत्सव बना दिया।

सुवा नृत्य, झांकी और ‘छत्तीसगढ़ महतारी’ की परिकल्पना से सजा यह आयोजन न केवल लोक-नृत्य का पर्व रहा, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक अस्मिता का भी एक महत्त्वपूर्ण प्रतीक बनकर उभरा। सुवा नाच महोत्सव की हर प्रस्तुति में छत्तीसगढ़ की माटी की सुगंध, गांवों की सरलता और लोकगीतों की पुरातनता झलकती रही।


सुवा नाच महोत्सव तोरवा बिलासपुर में 32 टीमों की शानदार भागीदारी

इस वर्ष के सुवा नाच महोत्सव की सबसे बड़ी विशेषता रही—छत्तीसगढ़ की विभिन्न ग्राम समितियों और सांस्कृतिक समूहों की जबरदस्त और उत्साहपूर्ण भागीदारी। कुल 32 प्रतिभागी टीमों ने सुवा नृत्य की झलकियों और पारंपरिक गीतों के माध्यम से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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कार्यक्रम में प्रस्तुत हुई पारंपरिक झांकियों में छत्तीसगढ़ महतारी, बिलासा दाई और लोक-नृत्य आधारित दृश्य विशेष आकर्षण का केंद्र बने। सुवा नाच महोत्सव के मंच पर हर टीम ने छत्तीसगढ़ी लोकसंस्कृति की अनूठी गाथा प्रस्तुत की।


विजेता टीमों की घोषणा — छत्तीसगढ़ की लोक-प्रतिभाओं का सम्मान

जजों ने पारंपरिक वेशभूषा, ताल-लय, सुवा गीतों की मौलिकता और झांकी के आधार पर परिणाम घोषित किए।

  • प्रथम पुरस्कार : कोटा ग्रुप — “छत्तीसगढ़ महतारी” (सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन)
  • द्वितीय पुरस्कार : निगियाडीह, बिलासपुर
  • तृतीय पुरस्कार : श्याम के दीवानी, चाटीडीह
  • चतुर्थ पुरस्कार : मानस शीतला परिवार, धनेली भाटापारा
  • पांचवां पुरस्कार : जय बुद्धदेव पंचटिया
  • अन्य सभी टीमों को सांत्वना पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

सुवा नाच महोत्सव में विजेता टीमों के चेहरों पर उमंग, जोश और गर्व साफ नजर आ रहा था। यह आयोजन छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाए रखने का अत्यंत सफल प्रयास साबित हुआ।


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि — राज्य केंद्रीय मंत्री तोखन साहू का विशेष संबोधन

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्य केंद्रीय मंत्री श्री तोखन साहू ने अपने संबोधन में कहा कि सुवा नाच महोत्सव छत्तीसगढ़ का महत्वपूर्ण लोक पर्व है और इसे हर जिले में बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा —

“हमारे छत्तीसगढ़ में जितने भी लोक पर्व हैं, वे हमारी संस्कृति की आत्मा हैं। सुवा नाच महोत्सव सिर्फ नृत्य नहीं, बल्कि हमारी विरासत और हमारी मां-बहनों की सांस्कृतिक पहचान है।”

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कार्यक्रम की अध्यक्षता कोटा विधायक मा. अटल श्रीवास्तव ने की

कार्यक्रम की अध्यक्षता कोटा विधायक मा. अटल श्रीवास्तव ने की। उन्होंने कहा कि सुवा नाच महोत्सव जैसे आयोजन आज के समय में अत्यंत आवश्यक हैं, क्योंकि आधुनिकता के बीच लोक संस्कृति को बचाए रखने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी है।

अति विशिष्ट अतिथि के रूप में मस्तूरी विधायक श्री दिलीप लहरिया, बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला और बिलासपुर महापौर श्रीमती पूजा विधानी ने भी कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज की।


भोजली महोत्सव समिति का बड़ा प्रयास — “लोक पर्वों को जीवित रखना ही लक्ष्य”

कार्यक्रम अध्यक्ष शंकर यादव ने बताया कि छत्तीसगढ़ में ऐसे अनेक लोक पर्व हैं जिनकी परंपरा धीरे-धीरे धूमिल होती जा रही है। सुवा नाच महोत्सव जैसे आयोजन इन लोक कलाओं को फिर से घर-घर तक पहुंचाने का माध्यम बनते हैं।

उन्होंने कहा —

“हमारी समिति का उद्देश्य है कि छत्तीसगढ़ के लोक नृत्य, गीत और त्योहार आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित रहें। हम उन पर्वों को बचाने में लगे हैं जिन्हें लोग भूलते जा रहे हैं।”


विशिष्ट अतिथियों और निर्णायक मंडल की उपस्थिति

विशिष्ट अतिथि—

  • मोती गंगवानी
  • शैलेन्द्र यादव (पूर्व पार्षद)
  • सीनू राव (पार्षद)
  • दिनेश देवागन
  • श्रीमती विनीता यादव
  • रेवती यादव
  • भगवान यादव
  • पल्लव धर
  • पूर्तिधर

निर्णायक दल—

  • जयदीप मानिकपूरी
  • सुनील यादव
  • गणेश प्रधान
  • रामजी यादव
  • मोहन श्रीवास (पार्षद)
  • प्रहलाद दूधेश्वर
  • गिरीश केवट
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संचालन महेंद्र ध्रुव और शांति सोनी ने संभाला।
समिति के सदस्य—गंगेश्वर सिंह, नंदकिशोर यादव, सुनील भोई, प्रवीण तरुण, संजय ठाकुर, सहदेव केवट, सुरेश दास, बृजभूषण सरवन, बापी चटर्जी, घनश्याम रजक, यशोदा उईके, संतोषी भोई, रामबाई सैनिक, सुखमत केवट, रामप्यारी पटेल, रेखा दास, बनवासा यादव और अन्य सभी सदस्य उपस्थित रहे।


सुवा नाच महोत्सव — छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक आत्मा

सुवा नाच छत्तीसगढ़ की महिलाओं का वह पारंपरिक नृत्य है जो प्रकृति, प्रेम, श्रम और संस्कृति का प्रतीक माना जाता है। सुवा नाच महोत्सव इसी परंपरा को जीवंत करता है। आयोजन में उपस्थित लोगों ने इसे छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक आत्मा का जीवंत चित्रण बताया।

तोरवा बिलासपुर में आयोजित यह सुवा नाच महोत्सव न केवल संस्कृति का प्रदर्शन था, बल्कि यह स्मरण भी था कि हमारी जड़ें आज भी उतनी ही मजबूत हैं जितनी सदियों पहले थीं।


FAQs — सुवा नाच महोत्सव से जुड़े आम सवाल

सुवा नाच महोत्सव क्या है?

सुवा नाच महोत्सव छत्तीसगढ़ का पारंपरिक सांस्कृतिक आयोजन है जिसमें महिलाएं सुवा नृत्य करती हैं और लोकगीत गाती हैं।

सुवा नाच महोत्सव में कितनी टीमों ने भाग लिया?

इस वर्ष कुल 32 टीमों ने कार्यक्रम में भाग लिया।

पहला पुरस्कार किस टीम ने जीता?

कोटा ग्रुप ने “छत्तीसगढ़ महतारी” प्रस्तुति के लिए प्रथम पुरस्कार जीता।

क्या यह कार्यक्रम हर साल होता है?

हाँ, भोजली महोत्सव समिति द्वारा यह महोत्सव हर वर्ष आयोजित किया जाता है।

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