इरफान अली लारी की रिपोर्ट
लंबा कद और खूबसूरत चेहरे के सहारे देशभर में देहव्यापार का धंधा चलाने वाली सोनू पंजाबन ने एक समय हरियाणा और यूपी पुलिस के साथ दिल्ली पुलिस की नाक में भी दम कर रखा था। इसके चलते सोनू पंजाबन को दिल्ली की लेडी डॉन कहा जाने लगा।
बताया जाता है कि 5 फीट और 4 इंच लंबी गीता अरोड़ा उर्फ सोनू पंजाबन ने अपनी खूबसूरती के दम पर सिर्फ दिल्ली-एनसीआर ही नहीं, बल्कि देश के हर कोने में देह व्यापार का धंधा खड़ा किया। इस दौरान उसके हुश्न के दीवाने कई अधिकारी भी हुए, जिनके दम पर वह इस अवैध धंधे में कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ती गई। इस दौरान सोनू पंजाबन की खूबसूरती और चालाकी ने खूब किया किया। पैसे बरसने लगे। हालांकि, इस दौरान देह व्यापार के आरोप में वह कई बार जेल भी गई, लेकिन सजा नहीं मिल पाई।
सोनू पंजाबन एक बार फिर सुर्खियों में हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को सोनू पंजाबन उर्फ गीता अरोड़ा की सजा निलंबित करने की अर्जी खारिज कर दी थी। सोनू पंजाबन दिल्ली-एनसीआर में वेश्यावृत्ति रैकेट चलाने के लिए कुख्यात थी।
दरअसल, 2020 में एक नाबालिग लड़की को वेश्यावृत्ति में धकेलने के जुर्म में ट्रायल कोर्ट ने सोनू पंजाबन को 24 साल कैद की सजा सुनाई थी। इसी सजा के खिलाफ सोनू पंजाबन ने हाई कोर्ट में अपील की थी, जो अभी भी लंबित है। सोनू पंजाबन चाहती थीं कि उनकी सजा उनकी अपील की सुनवाई तक निलंबित रहे, इसलिए उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामले में 20 साल की सजा काट रहे संदीप बेदवाल ने भी सजा निलंबित करने की अर्जी दी थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
सोनू पंजाबन का असली नाम गीता अरोड़ा है। कभी दिल्ली एनसीआर में सबसे बड़ा सेक्स ट्रैफिकिंग रैकेट चलाने वाली सोनू पंजाबन को लेडी डॉन के नाम से जाना जाता था।
22 जुलाई 2020 को एक ट्रायल कोर्ट ने सोनू पंजाबन को एक नाबालिग लड़की को वेश्यावृत्ति में धकेलने के लिए POCSO अधिनियम के तहत दोषी पाया और 24 साल की सजा सुनाई।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सोनू पंजाबन को सभ्य समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सोनू पंजाबन ने महिला कहलाने की सारी हदें पार कर दी हैं। सोनू पंजाबन पर कई मामले दर्ज हैं, लेकिन यह पहला मामला था जिसमें उसे दोषी पाया गया और सजा सुनाई गई।
सोनू पंजाबन के देह व्यापार के धंधे में उतरने की कहानी बिल्कुल अलग है। दरअसल साल 2003 में गीता अरोड़ा की जिंदगी में विजय सिंह नाम का गैंगस्टर आया। उनसे शादी करते हुए गीता अरोड़ा ने अपराध की दुनिया में कदम रखा।
यूपी एसटीएफ ने 2003 में ही विजय सिंह को मार गिराया था। इसके बाद सोनू की जिंदगी में एक और अपराधी दीपक की एंट्री हुई। बातचीत से शुरू हुई बात रिश्ते में बदल गई। कुछ साल बाद दीपक को असम में पुलिस ने मार डाला। दीपक के बाद गीता अरोड़ा का अफेयर हेमंत सोनू से शुरू हुआ। हेमंत दीपक का भाई था. दोनों ने शादी कर ली, साथ रहने लगे।
गीता अरोड़ा से सोनू पंजाबन
अप्रैल 2006 में, दोहरे हत्याकांड के एक मामले में दिल्ली-गुरुग्राम सीमा पर पुलिस ने हेमंत की गोली मारकर हत्या कर दी थी। हेमंत की मौत के बाद गीता अरोड़ा ने अपना नाम बदलकर अपने पति का सरनेम रख लिया।
गीता अरोड़ा बनीं सोनू पंजाबन। सोनू पंजाबन ने जिस्मफरोशी का धंधा जोरों से शुरू कर दिया। वेश्यावृत्ति के मामले में सोनू पंजाबन को पहली बार साल 2007 में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि कुछ देर बाद उन्हें जमानत मिल गई। 2008 में सोनू पंजाबन को दोबारा गिरफ्तार किया गया। सोनू पंजाबन की मुश्किलें तब बढ़ गईं जब उन्हें 2011 में गिरफ्तार कर लिया गया।
किस मामले में सजा
जिस मामले में सोनू पंजाबन को सजा सुनाई गई वह एक नाबालिग लड़की से जुड़ा मामला था। दरअसल संदीप बेदवाल नाम के शख्स ने एक नाबालिग लड़की का अपहरण कर उसे सोनू पंजाबन को बेच दिया। खरीदने के बाद सोनू ने उसे कई दिनों तक बंधक बनाकर रखा और बाद में उसे वेश्यावृत्ति के धंधे में धकेल दिया। नाबालिग लड़की विरोध न कर सके इसलिए उसे नशीला पदार्थ दिया गया। तीन-चार महीने तक रखने के बाद सोनू ने नाबालिग लड़की को लखनऊ के अपने दोस्त लाला को बेच दिया। मामले में सोनू पंजाबन को गिरफ्तार कर मुकदमा चलाया गया।
20 जुलाई 2022 को कोर्ट ने सोनू पंजाबन को सजा सुनाते हुए कहा कि उसने न सिर्फ पीड़िता को वेश्यावृत्ति के लिए खरीदा, बल्कि उसके साथ क्रूरता की हदें पार कीं। कोर्ट ने कहा कि एक महिला की गरिमा उसके लिए बहुत बड़ी चीज है। एक महिला किसी अन्य नाबालिग महिला की गरिमा का इस तरह अपमान कैसे कर सकती है? सोनू पंजाबन की शर्मनाक हरकत के चलते कोर्ट उसे किसी भी तरह की रियायत नहीं दे सकती. ऐसी महिला को महिला कहलाने का कोई अधिकार नहीं है।
दूर-दूर तक फैली थी सोनू पंजाबन के धंधे की जड़ें
बताया जाता है कि सोनू पंजाबन को लग्जरी लाइफ पसंद थी और इसी वजह से उसने जुर्म की राह पर चलना शुरू किया। अपने धंधे में उसने धीरे-धीरे दूसरी लड़कियों को खींचना शुरू किया। उसके निशाने पर होती थीं वो लड़कियां, जो फिल्मों और मॉडलिंग की दुनिया में जाने की चाहत लिए अपना घर-परिवार छोड़ आती थीं। इन लड़कियों को अपने धंधे में शामिल कर, सोनू दूसरे राज्यों में भी इनकी सप्लाई करती थी। अपने ग्रुप में उसने कुछ ऐसे लोगों को भी भर्ती किया, जिनका काम इन लड़कियों का बाहर ले जाना और सुरक्षित वापस लाना था। उसके ग्राहकों में कई हाई-प्रोफाइल लोग शामिल थे।
सामान्य परिवार से है सोनू पंजाबन, पिता चलाते थे रिक्शा
पूर्वी दिल्ली की गीता कॉलोनी में पैदा हुई गीता अरोड़ा उर्फ सोनू पंजाबन से बेहद सामान्य परिवार से है। मूलरूप से उसका परिवार हरियाणा के रोहतक का है। सोनू के पिता ओम प्रकाश अरोड़ा पाकिस्तान से आए शरणार्थी थी। वह हरियाणा के रोहतक में आकर बसे थे। कुछ समय बाद ओम प्रकाश अरोड़ा दिल्ली आए और ऑटोरिक्शा चलाकर परिवार चलाने लगे। बेटी कब देह व्यापार के धंधे की शहजादी बन गई पिता को भी पता नहीं चला, लेकिन लोग बताते हैं कि एक उम्र के बाद पिता ने सोनू पंजाबन को टोकना छोड़ दिया।
सोनू पंजाबन का अंदाज भी एकदम फिल्मी डॉन जैसा है। सोनू कोर्ट में पेश होते वक्त अपना चेहरा नहीं ढकती है। बताया जाता है कि खुद को अखबार, टीवी पर देखकर वह काफी खुश होती है। बता दें कि फिल्म ‘फुकरे’ में भोली पंजाबन नाम का किरदार उससे प्रेरित था।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."