अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
प्रयागराज। सांप्रदायिक सौहार्द की एक अनूठी मिसाल पेश की गई जब 92 वर्षीय हिंदू बुजुर्ग राम अवतार उर्फ बैजनाथ का अंतिम संस्कार मुस्लिम और हिंदू दोनों रीति-रिवाजों के अनुसार किया गया। यह घटना तरांव गांव की है, जहाँ राम अवतार का निधन रविवार को हुआ।
राम अवतार के निधन के बाद उनके शव को नहला-धुलाकर एक तख्त पर लिटा दिया गया। इसके बाद मौलवियों ने फातिहा पढ़ा और उन्हें मुस्लिम रीति-रिवाज के अनुसार दफन कर दिया गया। इस असामान्य स्थिति को लेकर खबर फैलने पर कोरांव पुलिस निरीक्षक नितेंद्र शुक्ल और उनका दल मौके पर पहुंचा ताकि स्थिति की वास्तविकता को समझा जा सके।
राम अवतार के परिवार ने बताया कि उनके अंतिम संस्कार को उनकी इच्छा के अनुरूप किया गया है। राम अवतार के बेटों, शिव प्रसाद और मोहनलाल ने बताया कि वर्षों पहले राम अवतार ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था और नियमित रूप से नमाज पढ़ते थे। इस कारण उनकी इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार मुस्लिम रीति-रिवाज से किया जाए।
राम अवतार के परिवार ने यह भी बताया कि बचपन से ही वे मुस्लिम समुदाय के बीच उठते-बैठते थे और अक्सर अल्लाह की चर्चा करते थे। उनकी अंतिम इच्छा थी कि उन्हें जलाने या जल में प्रवाहित करने के बजाय घर के सामने अपनी ही जमीन में दफना दिया जाए। इस प्रकार, उनके परिवार ने उनकी इच्छानुसार अंतिम संस्कार किया और घर के सामने एक कब्र बनाकर उन्हें दफनाया।
हालांकि परिवार के अन्य सदस्य हिंदू हैं, मोहनलाल ने हिंदू रीति-रिवाज से भी अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की। मोहनलाल ने बताया कि पिता की इच्छा के अनुसार उनका दफनाया जाना सुनिश्चित किया गया, लेकिन हिंदू परंपरा के अनुसार अन्य रीतियों का पालन भी किया जाएगा।
Author: samachar
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