आज का मुद्दा

बेटियों के नाम से मशहूर गांव “बलाली” जहाँ जश्न की तैयारियों को कैसे चुप्पी और मायूसी की दीवारों ने घेर लिया…पता ही नहीं चला

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अभिनव गोयल की रिपोर्ट

हरियाणा के चरखी दादरी जिले के बलाली गांव में एक गहरी मायूसी छाई हुई है। बुधवार की सुबह जब पेरिस ओलंपिक में विनेश फोगाट के 50 किलोग्राम महिला भार वर्ग के फाइनल मैच में अतिरिक्त वजन के कारण डिस्क्वालिफाई होने की खबर आई, तो गांव में जश्न की उम्मीदें चुराई जा चुकी थीं।

विनेश, जो गोल्ड की प्रबल दावेदार मानी जा रही थीं, को न केवल स्वर्ण पदक से वंचित किया गया बल्कि वह बिना किसी मुकाबले के सबसे निचले पायदान पर पहुंच गईं। 

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बलाली, जो अपनी बेटियों की खेल प्रतिभा के लिए प्रसिद्ध है, अब विनेश की इस निराशाजनक स्थिति से प्रभावित है। 

गांव के प्रवेश द्वार पर लिखा हुआ था, “अंतरराष्ट्रीय महिला पहलवान गीता, बबीता, विनेश, रितु खिलाड़ियों के गांव बलाली में आपका हार्दिक स्वागत है।” लेकिन इस बार गांव की खुशी के रंग फीके पड़ गए।

विनेश के घर का रास्ता पूछने पर गांव के एक निवासी ने अनमने ढंग से कहा, “घर तो सामने है लेकिन वहां कोई नहीं मिलेगा। 

विनेश की मां और भाभी हैं, पर वे किसी से बात नहीं करना चाहतीं।” हम विनेश के घर की ओर बढ़े, जहां एक बड़े से घर की पहली मंजिल पर ओलंपिक के पांच छल्ले लगे थे, जो विनेश के ख्वाबों की झलक दिखाते थे।

हमने कई बार दरवाजा खटखटाया और इंतजार किया, लेकिन कोई बाहर नहीं आया। 

पड़ोसियों का कहना था कि “इस लड़की के साथ बहुत ग़लत हुआ।” विनेश के चचेरे भाई मंजेश फोगाट ने बताया कि सुबह से सब लोग आंखें गड़ाए बैठे थे और न्यूज़ पर दुखद खबर देखी। उन्होंने कहा, “हमने भी टूर्नामेंट लड़े हैं, ऐसे मामलों में कोच और फिजियो की जिम्मेदारी होती है। 100 ग्राम वजन तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं होती, यह एक षड्यंत्र है।”

बुधवार दोपहर तीन बजे के करीब, पुलिस की दो गाड़ियां तेज रफ्तार से गांव में आईं, क्योंकि मुख्यमंत्री विनेश की मां से मिलने आए थे। 

हालांकि, पता चला कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान आ रहे थे। पुलिस ने काफी प्रयास के बाद भी दरवाजा नहीं खुलवाया और अंततः एक व्यक्ति ने दीवार से चढ़कर दरवाजा खोला। 

इसके बावजूद, विनेश की मां ने मुख्यमंत्री से मिलने से इनकार कर दिया, और भगवंत मान को विनेश के ताऊ और कोच महावीर फोगाट से मिलकर लौटना पड़ा।

महावीर फोगाट के घर के बाहर पत्रकारों की भीड़ लगी थी, और जब हम पहुंचे तो पता चला कि महावीर मीडिया से बातचीत कर रहे थे। 

महावीर के चेहरे पर मायूसी और थकान थी। उन्होंने कहा, “विनेश फाइनल में पहुंच चुकी थी और हम सब जश्न की तैयारी में थे, लेकिन डिस्क्वालिफिकेशन की खबर से बहुत दुख हुआ। मैं कोच की लापरवाही को जिम्मेदार मानता हूँ। 200 ग्राम का वजन केवल बालों से कम हो सकता था, और यह बात ध्यान में नहीं आई।”

बलाली गांव में इस घटना ने सबको गहरे आघात में डाल दिया है और यहां के लोग अब विनेश की मेहनत और संघर्ष को लेकर शोकमग्न हैं।

बुधवार सुबह नौ बजे सोनीपत में बजरंग पुनिया से बात की गई थी। उस समय तक पेरिस ओलंपिक में विनेश फोगाट के डिस्क्वालिफिकेशन की खबर सामने नहीं आई थी, और बजरंग पुनिया विनेश की सेमीफाइनल में जीत को लेकर काफी खुश थे। 

उन्होंने भरोसा जताया था कि विनेश आज गोल्ड लाएगी और उनकी सेमीफाइनल जीत उन लोगों के लिए एक मजबूत जवाब है जिन्होंने उनका साथ नहीं दिया।

इंटरव्यू में बजरंग पुनिया ने विनेश के वजन के मुद्दे पर भी चिंता जताई थी। उन्होंने कहा, “कोई भी खिलाड़ी पहले खुशी नहीं मनाता। पहले वजन कम करना होता है। 

50 किलोग्राम का वजन कम करना मुश्किल होता है, लड़कों के मुकाबले लड़कियों को अधिक कठिनाई होती है। लड़कों को पसीना ज्यादा आता है, लेकिन लड़कियों को 50 किलोग्राम से नीचे अपना वजन लाने में काफी कठिनाई होती है।” 

बजरंग पुनिया ने यह भी बताया कि विनेश पिछले छह महीनों से वजन घटाने के लिए लगातार मेहनत कर रही थीं। उन्होंने कहा, “थोड़ा पानी और एक-दो रोटी चल रही थी, वजन कम करना बहुत मुश्किल होता है।”

हालांकि, बजरंग पुनिया ने विनेश फोगाट की उपलब्धियों को भी सराहा और कहा, “विनेश का वहां खड़ा रहना ही हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि है।”

हमने संगीता फोगाट, जो बजरंग पुनिया की पत्नी और विनेश फोगाट की बहन हैं, से भी इंटरव्यू लेने की कोशिश की। बजरंग पुनिया खुद उन्हें लाने के लिए गए, लेकिन थोड़ी देर बाद हमें बताया गया कि इंटरव्यू नहीं हो पाएगा। 

संगीता ने दुखी आवाज में कहा, “उनका मन ठीक नहीं है।” यही वह समय था जब बजरंग पुनिया और परिवार को विनेश फोगाट के ओलंपिक से डिस्क्वालिफाई होने की जानकारी मिली थी। (साभार, मूल बीबीसी हिंदी, संपादित समाचार दर्पण) 

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"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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