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15 January 2025 9:47 am

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गिरजा बैराज से अचानक छोड़े गए पानी में सौ से अधिक लोग फंसे, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

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नौशाद अली की रिपोर्ट

बहराइच के गिरजा बैराज से अचानक ढाई लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण एक गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई है। नदी के बीच बने टापू में सौ से अधिक लोग फंस गए। इनमें से 63 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है, जबकि बाकी लोगों को निकालने के लिए एसएसबी, पीएसी, और एनडीआरएफ की टीमें मौके पर जुटी हुई हैं। 

उच्च अधिकारी रात भर मौके पर कैम्प किए हुए हैं, और जिलाधिकारी स्वयं गिरजा बैराज से स्थिति की निगरानी कर रही हैं।

मोतीपुर तहसील अंतर्गत चहलवा गांव के कुछ किसान अपनी खेती नदी के उस पार करते हैं। वे खेती-बाड़ी के लिए नदी पार जाते हैं, लेकिन जब बाढ़ आती है तो उनके खेतों और नदी दोनों में पानी भर जाता है।

शुक्रवार शाम को भी ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हुई। चौधरी चरण सिंह बैराज (गिरजा बैराज) से शाम के समय अचानक 2 लाख 45 हजार 477 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई। नदी के पार गए लोग वापस नहीं आ सके और फंस गए।

जब प्रशासन को इसकी सूचना मिली, तो तुरंत ही हरकत में आ गए क्योंकि पानी का स्तर बढ़ने से फंसे लोगों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा था। रात में ही अधिकारियों ने त्वरित कार्यवाही करते हुए 63 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया।

उपजिलाधिकारी मिहिपुरवा, संजय कुमार ने बताया कि नेपाल में ज्यादा बारिश होने के कारण शाम को अचानक पानी बढ़ गया। चहलवा गांव के कुछ लोग घाघरा नदी के पार धान की रोपाई के लिए गए हुए थे, लेकिन अचानक पानी आ जाने से वे फंस गए।

रात में 63 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया था, लेकिन अभी भी 50 से 55 लोग फंसे हुए हैं जिन्हें एनडीआरएफ, पीएसी, और एसएसबी की टीमें लगातार रेस्क्यू कर रही हैं। नेपाल के पहाड़ों में जब भी भारी बारिश होती है, तो इसका सबसे ज्यादा असर मिहिपुरवा तहसील के एक दर्जन गांवों पर पड़ता है। गांवों और खेतों में पानी भर जाता है, लेकिन पहले किसानों के फंसने की समस्या नहीं आई थी।

नेपाल में हो रही अत्यधिक बारिश का असर बहराइच के गांवों पर पड़ रहा है, जिससे स्थानीय लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए है और फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए पूरी तत्परता से जुटा हुआ है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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