चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
भारतीय रेलवे यात्रियों के लिए सबसे सुगम और सुरक्षित साधनों में से एक माना जाता है। हालांकि, कभी-कभी ऐसी घटनाएँ घटित होती हैं जो भारी जनहानि का कारण बनती हैं और पूरे देश को हिला देती हैं।
गोंडा में दुर्घटना
गुरुवार को उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में एक ऐसी ही दुखद घटना घटी। यहाँ चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की पांच बोगियां पलट गईं।
यह हादसा गोंडा-गोरखपुर रेलमार्ग पर मोतीगंज के पिकौरा गांव के पास हुआ। इस दुर्घटना में तीन लोगों की मौत की खबर है।
पिछले बड़े रेल हादसे
यह पहली बार नहीं है जब ऐसा हादसा हुआ हो। इससे पहले भी कई भयानक रेल हादसे हुए हैं जिनमें भारी संख्या में लोगों की जान गई है। आइए, ऐसे ही कुछ बड़े हादसों पर नजर डालते हैं:
सुल्तानपुर में मालगाड़ियों की टक्कर (16 फरवरी 2023)
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में 16 फरवरी 2023 को दो मालगाड़ियों की टक्कर हो गई थी। टक्कर इतनी जोरदार थी कि कई डिब्बे पटरी से उतर गए और उनके परखच्चे उड़ गए थे।
गोरखधाम सुपरफास्ट ट्रेन हादसा (26 मई 2014)
गोरखधाम सुपरफास्ट ट्रेन 26 मई 2014 को चुरेब स्टेशन के सिग्नल आउटर पर हादसे का शिकार हो गई थी। इस हादसे में एक माह की बच्ची सहित 32 लोगों की जान गई थी और 158 लोग घायल हुए थे।
रायबरेली दुर्घटना (21 मार्च 2015)
रायबरेली के बछरावां स्टेशन के नजदीक 21 मार्च 2015 को देहरादून-वाराणसी जनता एक्सप्रेस की दुर्घटना में 46 लोग मारे गए थे और करीब 150 घायल हुए थे। इस हादसे का कारण ट्रेन का ब्रेक फेल होना बताया गया था।
गोरखपुर दुर्घटना (30 सितंबर 2014)
गोरखपुर के कैंट स्टेशन के पास नंदानगर क्रासिंग पर 30 सितंबर 2014 की रात कृषक और लखनऊ-बरौनी एक्सप्रेस ट्रेन की आमने-सामने की टक्कर हो गई थी, जिसमें 14 लोगों की मौत हुई थी।
एटा दुर्घटना (7 जुलाई 2011)
उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पास 7 जुलाई 2011 को छपरा-मथुरा एक्सप्रेस एक बस से टकरा गई थी। इस हादसे में 69 यात्रियों की जान गई थी। यह दुर्घटना एक मानवरहित क्रासिंग पर हुई थी।
भारतीय रेलवे के इतिहास में कई बड़े हादसे हुए हैं, जिनमें भारी जनहानि हुई है। इन हादसों से हमें यह सीखने की आवश्यकता है कि सुरक्षा उपायों को और अधिक सख्त किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."