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28 December 2024 12:40 pm

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मनोज तिवारी ने खूब सुना दिया राहुल गाँधी को… कहीं बवाल न मच जाए… ! 👇वीडियो देखिए

36 पाठकों ने अब तक पढा

परवेज़ अंसारी की रिपोर्ट

18वीं लोकसभा के पहले सत्र के तीसरे दिन स्पीकर का चुनाव हुआ, जिसमें ओम बिरला को लोकसभा अध्यक्ष चुना गया। इसके बाद ओम बिरला ने संसद में पेश किए गए आपातकाल के प्रस्ताव पर चर्चा की और कांग्रेस पर निशाना साधा। इस दौरान सदन में दो मिनट का मौन रखा गया। इस मामले को लेकर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया।

मनोज तिवारी की टिप्पणी और बवाल

संसद के बाहर भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर आपत्तिजनक टिप्पणी की, जिससे विवाद बढ़ गया है। 

मनोज तिवारी की टिप्पणी

कांग्रेस ने 10 साल के अघोषित आपातकाल को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निंदा की थी। इसके जवाब में भाजपा नेता मनोज तिवारी ने कहा, “जो घोषित आपातकाल था, उसे क्यों नहीं याद कर रहे? मैं कांग्रेस से पूछना चाहता हूं कि जब संसद के अंदर आपातकाल के दौरान मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी जा रही थी, तब ये लोग हल्ला क्यों कर रहे थे?” तिवारी ने आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए कहा, “क्या राहुल गांधी अंधे हैं या बहरे हैं या पढ़े लिखे नहीं हैं?”

राहुल गांधी से माफी की मांग

मनोज तिवारी ने कहा, “राहुल गांधी को आपातकाल को लेकर देशवासियों के सामने हाथ जोड़कर माफी मांगनी चाहिए। ऐसे लोगों की सच्चाई देश देख रहा है। ये लोग हाथ में संविधान लेकर उसका अपमान कर रहे हैं। हमलोग माथे पर लगाकर संविधान का सम्मान करते हैं और संविधान दिवस मनाते हैं। अगर इनके अंदर जरा भी संवेदना बची हो तो अपने व्यवहार के लिए माफी मांगे।”

सीएम केजरीवाल पर भी बयान

मनोज तिवारी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “आरोपी से पूछताछ करना आपातकाल नहीं है। अब दिल्ली की जनता सोच रही है कि सीएम केजरीवाल के अपराध के कितने चेहरे हैं। कांग्रेस द्वारा यह सीबीआई का केस किया गया। हम चाहते हैं कि भ्रष्टाचारी बचकर निकल न पाए और ईमानदार व्यक्ति को कोई दिक्कत न हो।”

इस प्रकार, 18वीं लोकसभा के पहले सत्र के तीसरे दिन स्पीकर के चुनाव के बाद आपातकाल के प्रस्ताव पर हंगामा हुआ और भाजपा सांसद मनोज तिवारी की टिप्पणियों ने विवाद को और बढ़ा दिया है। विपक्ष और सत्ताधारी दल के बीच इस मुद्दे पर टकराव जारी है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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