Explore

Search

November 2, 2024 2:04 pm

20 दिनों की पैरोल पर जेल से बाहर निकले इस फलाहारी बाबा के हैं गजब कारनामे

4 Views

सुमित गुप्ता की रिपोर्ट

बिलासपुर। एक 21 साल की लड़की द्वारा रेप का आरोप लगाने के बाद सलाखों के पीछे पहुंचे फलाहारी बाबा को 20 दिन की पैरोल मिली है। जेल से बाहर आते ही बाबा एकांतवास में चले गए हैं।

उनके करीबियों का कहना है कि फिलहाल वे किसी से मिलना नहीं चाहते और न ही बात करना चाहते हैं।

जानते हैं कि आखिर कौन है ये फलाहारी बाबा, कहां रहते हैं और क्‍या था पूरा मामला जिसकी वजह से पहुंचे थे जेल की सलाखों के पीछे।

क्‍या था फलाहारी बाबा के खिलाफ मामला : बता दें कि फलाहारी बाबा के खिलाफ 11 सितंबर 2017 को छत्तीसगढ़ की बिलासपुर की रहने वाली 21 वर्षीय पीड़िता ने रेप का आरोप लगाया था। इस पर छत्तीसगढ़ पुलिस ने जीरो एफआईआर दर्ज करने के बाद पीड़िता का मेडिकल करवाकर और 164 के बयान दर्ज कर उसकी रिपोर्ट तैयार करके अलवर पुलिस को भेज दी थी।

8 महीने चली सुनवाई : बाबा के खिलाफ इस मामले की सुनवाई करीब 8 महीने तक चली। अलवर के अरावली विहार थाने में इस संबंध में मामला दर्ज किया था। इस केस में 9 मार्च 2018 को दुष्कर्म पीड़िता के बयान दर्ज हुए थे। पुलिस ने मामले की जांच पड़ताल कर 84 दिन बाद 15 दिसंबर 2017 को बाबा के खिलाफ कोर्ट में 40 पन्नों की चार्जशीट फाइल की थी। जिसके बाद करीब 8 महीने तक इस मामले की सुनवाई चली।

उम्र कैद की सजा : बता दें कि सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश किए गए साक्ष्यों और गवाहों के बयान के आधार पर 26 सितम्बर 2018 को एडीजे कोर्ट ने फलहारी बाबा को दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी। 

तब से फलहारी बाबा अलवर के सेंट्रल जेल में बंद हैं। फलाहारी महाराज के शिष्य महाराज सुदर्शन आचार्य ने बताया कि वह 40 साल से फल पर जीवित हैं। अब भी वह फल और दूध लेते हैं। जेल में गंगाजल पीते थे। उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा है।

मौन धारण किया : अब फलाहारी बाबा को हाई कोर्ट से 20 दिन की पैरोल मिल गई है। बाबा के आश्रम के महाराज सुदर्शनाचार्य ने कहा वो किसी से मिलना व बात करना नहीं चाहते हैं। 

जब से वो जेल गए हैं तब से अभी तक वो मौन हैं। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने किसी से कोई बात नहीं की और सीधे एकांतवास में चले गए। उन्होंने कहा कि वह अकेले शांत रहना चाहते हैं। 

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."