कल्याण कला मंच की संगोष्ठी ; काले काले बादल आए और अलग-अलग भावों से ओतप्रोत कविताएँ गूंजी…. 

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सुरेंदर मिन्हास की रिपोर्ट

बिलासपुर, हिमाचल। कल्याण कला मंच की मासिक कला- कलम संगोष्ठी बिलासपुर के विभिन्न क्षेत्रों से 25 से अधिक कलाकारों ने भाग लिया ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कहानीकार सुषमा खजूरिया ने की जबकि अतिथि साहित्यकार पवन चौहान और सुंदर सिंह भी विशेष तौर पर मंडी से आकर शामिल हुए ।

कार्यक्रम में मंच का संचालन अध्यापिका विजय कुमारी सहगल ने बहुत सुंदर से अंदाज में किया । सर्वप्रथम पंडोखर की पूनम शर्मा ने सर्दी आई सर्दी बदल गई हम सबकी वर्दी सुना कर सर्दियों का हवाला दिया , तत्पश्चात बिलासपुर कॉलेज के सहायक आचार्य लेफ्टिनेंट डॉ.जय चंद महलवाल ने

बसंत का स्वागत यूं किया खेतों में पीली – पीली सरसों यूं लहरा रही , लगता उसमें स्वर्णिम आभा है आ रही ,

फिर बिना वर्धन ने बाल कविता मेरे बच्चे चिन्नु – मीन्नु कदी दौड़े इन्नु कदी उन्नु सुनख कर मंत्र मुक्त किया , पूर्व प्रधानाचार्य जीत राम सुमन ने पहाड़ियां पहाड़ा रेया पहाड़ी तू ग्लाई ले करी के रूखाली तू पहाड़ा जो सजाई ले पर्यावरण असंतुलन पर चिंता जताई।

कथा वाचक आचार्य जगदीश सहोता ने ठंड का यूं मंडन किया थर-थर दांत बजाने वाली शरद ऋतु है आई, तत्पश्चात शिक्षा संयुक्त निदेशक के पद से सेवानिवृत सुशील पुंडीर परिंदा ने हर रोज मैंने इन्हें देखा चूना लगाते हुए सभी चूना लगाते हैं पता नहीं चलता सुनाई।

शिक्षाविद अमरनाथ धीमान ने घा बड दिया री मेरी तिल्ली जे गवाछी सारी सखियां लई थे पूछी। रेखा चंदेल झंडूता ने सुनाया तुम कितने सुंदर हो कोटधार तथा प्रबंधक चंद्रशेखर पंत ने आसमां से दिखी है जमीं खूबसूरत सुना कर तालियां समेटी।

फिर विजय कुमारी सहगल ने उठो जागो हुई है भोर पक्षियों ने भी कलरव मचाया चहुंओर , मंडी के सुंदर सिंह ने काले-काले बादल आए , सुंदरनगर के अंतरिक्ष में दिन-दिन करके हफ्ता गुजरा । 

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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