
चित्रकूट जिले में अधिवक्ता जगत को हिलाकर रख देने वाले बमकांड मामले में जिला जज की अदालत ने शुक्रवार को एक बड़ा निर्णय दिया।
जिला अधिवक्ता संघ के जिलाध्यक्ष अशोक गुप्ता के आवास पर 30 सितंबर की रात हुए बम हमले के मामले में पकड़े गए तीन आरोपियों की जमानत अर्जी पर अदालत ने सुनवाई करने से ही इनकार कर दिया।
इसके साथ ही इस मामले में साजिश रचने के आरोपों में आए दो अधिवक्ताओं की अग्रिम जमानत याचिका पर भी अदालत ने स्पष्ट किया कि इन मामलों की अधिकारिता इस जिले में नहीं आती और सुनवाई यहां संभव नहीं है।
📌 30 सितंबर की रात का बम हमला—घटना जिसने अधिवक्ता समुदाय को झकझोरा
घटना 30 सितंबर की देर रात की है जब जिला अधिवक्ता संघ के जिलाध्यक्ष अशोक गुप्ता के आवास पर बम फेंका गया।
इस हमले को केवल भय पैदा करने की कोशिश नहीं, बल्कि एक सोची-समझी साजिश के रूप में देखा जा रहा है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने जांच तेज की और लगभग दो महीने बाद 22 नवंबर को तीन आरोपियों —
आकाश उर्फ राहुल तिवारी, बंटी पाल और ऋषभ उर्फ सांडा — को प्रयागराज जिले से गिरफ्तार कर लिया।
जिला शासकीय अधिवक्ता (डीजीसी) श्याम सुंदर मिश्र के अनुसार बम हमले में प्रयुक्त सामग्री और हमले की शैली से साफ है कि घटना योजनाबद्ध थी।
जांच के दौरान पुलिस ने कई अहम सबूत अदालत में प्रस्तुत किए, जिसके बाद यह मामला और संवेदनशील हो गया।
📌 अदालत का निर्णय—जमानत याचिका पर सुनवाई से भी इनकार
शुक्रवार को जिला जज शेषमणि की अदालत में तीनों गिरफ्तार आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई निर्धारित थी, लेकिन अदालत ने साफ कहा कि
विस्फोटक पदार्थ अधिनियम से जुड़े मामलों की सुनवाई जिला स्तर पर नहीं की जा सकती।
ऐसे मामलों की सुनवाई सामान्यतः लखनऊ या इलाहाबाद हाई कोर्ट में होती है।
इस आधार पर अदालत ने मामले की जमानत याचिका पर सुनवाई से ही इनकार कर दिया।
📌 दो अधिवक्ता भी साजिश के दायरे में—बंदियों के बयान ने बढ़ाई हलचल
गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपियों ने पूछताछ में यह दावा किया कि हमले की योजना और आर्थिक मदद कथित रूप से दो अधिवक्ताओं—
सुरेश तिवारी और नवीन त्रिपाठी—ने की थी। इस बयान ने पूरे मामले को और जटिल बना दिया है।

अपर पुलिस अधीक्षक सत्यपाल सिंह ने भी पुष्टि की कि बंदियों ने इन दोनों अधिवक्ताओं के नाम लिए हैं।
पुलिस अब इन्हें साजिश के प्रमुख कड़ियों के रूप में देख रही है।
इसी बीच, दोनों अधिवक्ताओं ने शुक्रवार को ही अग्रिम जमानत (एंटिसिपेटरी बेल) की याचिका दायर की, लेकिन अदालत ने अधिकारिता का हवाला देते हुए सुनवाई से मना कर दिया।
📌 क्यों नहीं हो रही सुनवाई? डीजीसी ने समझाया कानूनी आधार
जिला शासकीय अधिवक्ता श्याम सुंदर मिश्र ने बताया कि यह केस धारा 3/4 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम से जुड़ा है।
ऐसे मामलों की सुनवाई जिला न्यायालय में नहीं होती क्योंकि यह गंभीर अपराधों की श्रेणी में आता है। इसलिए जमानत के लिए आरोपियों को हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाना होगा।
📌 अधिवक्ता समाज में तनाव—सुरक्षा को लेकर उठे सवाल
अधिवक्ता संघ अध्यक्ष के घर हुए बम हमले ने स्थानीय अधिवक्ता समुदाय में व्यापक रोष पैदा किया है।
फौजदारी और दीवानी दोनों वर्ग के अधिवक्ताओं ने आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई, निष्पक्ष जांच और अधिवक्ताओं की सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है।
कई अधिवक्ताओं ने कहा कि यदि अधिवक्ता संघ का अध्यक्ष ही निशाने पर है, तो आम जनता कितनी सुरक्षित है, यह बड़ा सवाल है।
📌 आगे क्या? — कानूनी प्रक्रिया और जांच दोनों होंगी तेज
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार अब गिरफ्तार तीनों आरोपियों और दोनो अधिवक्ताओं को जमानत के लिए हाई कोर्ट जाना होगा।
दूसरी ओर, पुलिस ने आर्थिक लेनदेन, कॉल डिटेल्स, घटनास्थल के आसपास की गतिविधियों और बम बनाने संबंधी तकनीकी पहलुओं की गहन जांच शुरू कर दी है।
मामला हाई-प्रोफाइल हो चुका है और इसके हर अपडेट पर जिला ही नहीं, प्रदेश की नजरें टिकी हैं।
अंतिम आरोपपत्र (चार्जशीट) दाखिल होने के बाद यह केस और भी बड़ा रूप ले सकता है।
🔎 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
अधिवक्ता संघ अध्यक्ष के घर बम क्यों फेंका गया?
जांच में सामने आया है कि यह एक सोची-समझी साजिश थी, जिसके पीछे व्यक्तिगत विवाद और वर्चस्व से जुड़े कारण हो सकते हैं।
जमानत याचिका पर सुनवाई क्यों नहीं हुई?
क्योंकि केस विस्फोटक पदार्थ अधिनियम से जुड़ा है और इसकी सुनवाई हाई कोर्ट स्तर पर होती है, जिला कोर्ट में नहीं।
साजिश में किन लोगों के नाम आए?
गिरफ्तार बंदियों ने अधिवक्ता सुरेश तिवारी और नवीन त्रिपाठी के नाम लिए हैं।
आगे कानूनी प्रक्रिया क्या होगी?
अब आरोपियों को जमानत के लिए लखनऊ या इलाहाबाद हाई कोर्ट जाना होगा। पुलिस जांच भी तेजी से जारी है।