
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
लखनऊ: उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने पूरे प्रदेश में नई बिजली दरें लागू कर दी हैं। राज्य विद्युत नियामक आयोग (UPERC) ने वितरण कंपनियों, विशेष रूप से पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के राजस्व आवश्यकता प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। अब UPPCL नई बिजली दरें तत्काल प्रभाव से पूरे राज्य में लागू हैं। इससे ग्रामीण और शहरी दोनों श्रेणियों के उपभोक्ताओं पर प्रभाव पड़ेगा।
आयोग के निर्देशानुसार, सरकार की बिजली सब्सिडी योजना जारी रहेगी, जिससे आम जनता को राहत मिलेगी। नई बिजली दरें 2025 शब्द इन दिनों गूगल पर ट्रेंड कर रहा है क्योंकि इसका सीधा असर करोड़ों बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।
ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए नई बिजली दरें
ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले घरेलू उपभोक्ताओं के लिए अब लाइफलाइन श्रेणी के तहत एक किलोवाट तक के कनेक्शन और प्रति माह 100 यूनिट तक की खपत पर 50 रुपये प्रति किलोवाट प्रति माह फिक्स्ड चार्ज देना होगा।
ऊर्जा शुल्क 6.50 रुपये प्रति यूनिट तय किया गया है, लेकिन सरकारी सब्सिडी लागू होने के बाद उपभोक्ताओं को केवल 3.50 रुपये प्रति यूनिट का भुगतान करना होगा।
वहीं सामान्य ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए पहले 100 यूनिट तक 6.65 रुपये प्रति यूनिट की दर होगी, जो सब्सिडी के बाद घटकर 3.30 रुपये प्रति यूनिट रह जाएगी।
ग्रामीण वाणिज्यिक उपभोक्ताओं के लिए फिक्स्ड चार्ज 110 रुपये प्रति किलोवाट प्रति माह और ऊर्जा शुल्क 5.50 रुपये प्रति यूनिट निर्धारित किया गया है।
यानी अब ग्रामीण बिजली दरें 2025 में उपभोक्ताओं को पहले से अधिक पारदर्शी प्रणाली के तहत भुगतान करना होगा। सरकार का दावा है कि सब्सिडी जारी रहने से ग्रामीण उपभोक्ताओं को बड़ा आर्थिक बोझ नहीं झेलना पड़ेगा।
शहरी उपभोक्ताओं के लिए नई बिजली दरें
UPPCL ने शहरी बिजली दरों में भी बदलाव किए हैं। अब छोटे व्यापारियों के लिए चार किलोवाट तक के कनेक्शन पर 330 रुपये प्रति किलोवाट प्रति माह फिक्स्ड चार्ज देना होगा।
300 यूनिट तक की खपत पर 7.50 रुपये प्रति यूनिट की दर तय की गई है। वहीं, 300 यूनिट से अधिक खपत करने वाले उपभोक्ताओं को 8.40 रुपये प्रति यूनिट देना होगा।
चार किलोवाट से अधिक लोड वाले उपभोक्ताओं के लिए 450 रुपये प्रति किलोवाट फिक्स्ड चार्ज और 8.75 रुपये प्रति यूनिट की दर निर्धारित की गई है।
शहरी क्षेत्रों में रहने वाले छोटे व मध्यम व्यापारियों को नई बिजली दरों से कुछ असर जरूर पड़ेगा, लेकिन सरकार का कहना है कि सब्सिडी नीति से घरेलू उपभोक्ताओं को राहत जारी रहेगी।
सार्वजनिक प्रकाश संयोजनों की दरें भी बढ़ीं
ग्राम पंचायतों में बिना मीटर वाले सार्वजनिक प्रकाश संयोजनों पर अब 2100 रुपये प्रति किलोवाट प्रति माह का शुल्क वसूला जाएगा।
नगर पंचायतों में यह शुल्क 3200 रुपये और नगर निगमों में 4200 रुपये प्रति किलोवाट प्रति माह तय किया गया है।
वहीं, मीटर लगे संयोजनों के लिए ग्राम पंचायतों में 200 रुपये प्रति किलोवाट प्रति माह फिक्स्ड चार्ज और ऊर्जा शुल्क 7.50 से 8.50 रुपये प्रति यूनिट तक निर्धारित किया गया है।
UPPCL नई दरें के इस प्रावधान से स्थानीय निकायों की वित्तीय जिम्मेदारी भी बढ़ेगी।
अधिकारी का बयान
सिकंदरपुर के उपखंड अधिकारी अजय कुमार सरोज ने बताया कि राज्य विद्युत नियामक आयोग के निर्देशों के अनुसार नई बिजली दरें लागू की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण और शहरी दोनों श्रेणियों के उपभोक्ताओं को सरकार की सब्सिडी का लाभ पहले की तरह मिलता रहेगा।
नई बिजली दरें 2025 से जुड़े प्रमुख बिंदु
- UPPCL नई दरें पूरे प्रदेश में लागू।
- ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए सब्सिडी यथावत।
- शहरी उपभोक्ताओं के लिए नई दरों में पारदर्शिता।
- सार्वजनिक प्रकाश संयोजनों के शुल्क में वृद्धि।
- UPPCL ने नई दरें तत्काल प्रभाव से लागू कीं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
1. नई बिजली दरें उत्तर प्रदेश में कब से लागू हुई हैं?
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने नई बिजली दरें राज्य में तत्काल प्रभाव से लागू कर दी हैं।
2. ग्रामीण उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट कितनी दर पर बिजली मिलेगी?
सब्सिडी लागू होने के बाद ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं को केवल 3.50 रुपये प्रति यूनिट पर बिजली मिलेगी।
3. शहरी छोटे व्यापारियों के लिए नई दरें क्या हैं?
चार किलोवाट तक के कनेक्शन पर 330 रुपये प्रति किलोवाट फिक्स्ड चार्ज और 7.50 रुपये प्रति यूनिट की दर लागू की गई है।
4. सार्वजनिक प्रकाश संयोजनों पर कितना शुल्क लगेगा?
ग्राम पंचायतों में बिना मीटर वाले संयोजनों पर 2100 रुपये प्रति किलोवाट प्रति माह और नगर निगमों में 4200 रुपये प्रति किलोवाट प्रति माह शुल्क लगेगा।
5. क्या सरकार की बिजली सब्सिडी जारी रहेगी?
हाँ, सरकार की सब्सिडी पूर्ववत लागू रहेगी और उपभोक्ताओं को इसका लाभ मिलता रहेगा।
UPPCL नई बिजली दरें प्रदेश के उपभोक्ताओं के लिए एक नई ऊर्जा नीति का संकेत देती हैं। इससे राज्य में बिजली आपूर्ति व्यवस्था और अधिक पारदर्शी बनेगी और उपभोक्ताओं को अपनी खपत के अनुसार भुगतान करना होगा।








