हिमांशु मोदी की रिपोर्ट
(जयपुर) सांगानेर जयपुर स्थित महावीर दिगम्बर जैन मंदिर चित्रकूट कॉलोनी में आचार्य श्री सुंदर सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में जैन पत्रकार महासंघ व आचार्य सुन्दरसागर महाराज वर्षायोग समिति के संयुक्त तत्वावधान में “कलिकाल में तप की महिमा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से” विषय पर संगोष्ठी व सम्मेलन संपन्न हुआ।
इस अवसर पर आचार्य सुंदर सागर महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि धर्म में तर्क आवश्यक है क्योंकि तर्क से विशुद्धता प्राप्त होती है, लेकिन धर्म केवल तर्क का नहीं बल्कि श्रद्धा का भी विषय है। उन्होंने कहा कि धर्म और विज्ञान दोनों ही सत्य की खोज के साधन हैं – एक आत्मा के भीतर झांकता है, और दूसरा प्रकृति के नियमों को समझता है।
आचार्य श्री की प्रेरणादायी वाणी
आचार्य श्री ने कहा कि “धर्म तर्क के साथ श्रद्धा का विषय है और विज्ञान तर्क के साथ कसौटी पर कसने का विषय है।” कलिकाल को उन्होंने आधुनिक मशीनी व भौतिकवादी युग बताया, जिसमें तप और संयम जैसे जैन धर्म के सूत्र और भी अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि वीतराग विज्ञान सदैव जीवंत रहेगा, क्योंकि यह जीवन के हर क्षेत्र में शुद्धता और वैज्ञानिकता का मार्ग दिखाता है।
कार्यक्रम की रूपरेखा और वक्ताओं के विचार
कार्यक्रम तीन सत्रों में आयोजित हुआ। पहला सत्र चित्र अनावरण व दीप प्रज्वलन से आरंभ हुआ, जिसके बाद आर्यिका श्री सुलक्ष्य मति माताजी ने मंगलाचरण कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ किया।
राष्ट्रीय महामंत्री उदयभान जैन बड़जात्या ने स्वागत उद्बोधन दिया जबकि राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश तिजारिया ने अध्यक्षीय उद्बोधन में महासंघ की कार्यशैली व उद्देश्य पर प्रकाश डाला। मुख्य वक्ता डॉ. रोहित जैन (प्रोफेसर, राजस्थान यूनिवर्सिटी) ने कहा कि जैन संतों की तप साधना विज्ञान को मार्ग प्रदान करती है और यह आज के दौर में भी अत्यंत प्रासंगिक है।
आर्यिका सुकाव्य मति माताजी ने अपने वक्तव्य में कहा कि दिगंबर संतों का तप किसी बाहरी प्रदर्शन का नहीं बल्कि आंतरिक साधना का विषय है, जो स्वयं के भीतर प्रकाश फैलाता है।
समापन सत्र और सम्मान समारोह
द्वितीय सत्र में कई गणमान्य अतिथियों ने अपने विचार प्रस्तुत किए, जिनमें राजा बाबू जैन, चक्रेश जैन, महेंद्र बैराठी, राकेश चपलमन (कोटा), सुनील जैन सागर (पूर्व विधायक), निधि जैन सागर (दैनिक जागरण) सहित कई प्रमुख पत्रकार व समाजसेवी शामिल रहे। सभी वक्ताओं ने दिगंबर संतों की तप-साधना को विज्ञान के अनुरूप माना और कहा कि आहार, विहार, ध्यान, योग व मौन साधना वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित अनुशासन का प्रतीक हैं।
मंच संचालन का कार्य जीतेन्द्र जैन, जीतू जैन व उदयभान जैन (जयपुर) ने किया। मन्दिर समिति के अध्यक्ष अनिल जैन काशीपुरा व अन्य पदाधिकारीयों ने सभी उपस्थित पत्रकारों का स्वागत व अभिनंदन किया।
क्लिक कर पढ़ें सवाल–जवाब
प्रश्न 1: संगोष्ठी का मुख्य विषय क्या था?
मुख्य विषय था – “कलिकाल में तप की महिमा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से।”
प्रश्न 2: आचार्य सुंदर सागर महाराज ने क्या कहा?
उन्होंने कहा कि धर्म में तर्क आवश्यक है क्योंकि तर्क से विशुद्धता आती है, किंतु धर्म तर्क के साथ श्रद्धा का भी विषय है।
प्रश्न 3: कार्यक्रम का आयोजन कहाँ हुआ?
यह आयोजन जयपुर के सांगानेर स्थित महावीर दिगंबर जैन मंदिर, चित्रकूट कॉलोनी में हुआ।
प्रश्न 4: इसमें मुख्य रूप से कौन-कौन उपस्थित थे?
आचार्य श्री सुंदर सागर महाराज ससंघ, आर्यिका श्री सुलक्ष्य मति माताजी, डॉ. रोहित जैन, उदयभान जैन बड़जात्या, रमेश तिजारिया, और अनेक पत्रकार व जैन मुनि उपस्थित रहे।







