
स्वाती रावत की रिपोर्ट
लखनऊ। राजधानी के सरोजनीनगर क्षेत्र में सरकारी भूमि पर अवैध कब्ज़ा करने और एक किसान को अपने ही खेत तक जाने से रोकने का संगीन मामला सामने आया है। ग्राम नीवां के किसान हरीचन्द्र ने उपजिलाधिकारी, जिलाधिकारी, तहसीलदार तथा थाना बंथरा को विस्तृत प्रार्थना–पत्र देकर न्याय की मांग की है। किसान का आरोप है कि विपक्षी पक्ष के लोग ग्राम समाज की जमीन पर कब्ज़ा जमाने के साथ उनका खेत जाने का सालों पुराना रास्ता भी बंद कर चुके हैं।
ग्राम समाज की जमीन पर कब्ज़े का आरोप, खसरा नंबर भी बताए
किसान का कहना है कि उनकी खेती वाली भूमि खसरा संख्या 1180 (मिनमुला, परगना बिजनौर) में दर्ज है, जिसका क्षेत्रफल 0.7080 हेक्टेयर है। इसी खेत तक पहुँचने के लिए ग्राम समाज की जमीन से होकर गुजरने वाला रास्ता वर्षों से उपयोग में था, लेकिन अब उस पर अवैध रूप से कब्ज़ा कर लिया गया है।
किसान ने आरोप लगाया कि मो. सनी सिद्धदकी (पुत्र मोहम्मद फरीद सिद्धदकी) और उसके सहयोगियों ने सरकारी जमीन पर कब्ज़ा कर रास्ता पाट दिया है, जिससे वह अपनी ही जमीन तक नहीं पहुँच पा रहा।
“ज्यादा विरोध किया तो जान से हाथ धो दोगे” — धमकी का आरोप


प्रार्थना–पत्र में किसान ने यह भी आरोप लगाया कि उसे लगातार धमकियाँ दी जा रही हैं। उसके अनुसार, विपक्षी पक्ष कहता है:
किसान ने कहा कि बढ़ती धमकियों के कारण वह अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित है।
पहले भी दी थी शिकायत, कार्रवाई न होने का आरोप
हरीचन्द्र ने बताया कि उन्होंने इस मामले की शिकायत 16 दिसंबर 2024 को भी जिलाधिकारी लखनऊ को दी थी, जो भारतीय किसान यूनियन (भानु) के माध्यम से भेजी गई थी। उसके बावजूद अब तक कोई कार्रवाई न होने से आरोपियों के हौसले और बढ़ गए हैं।
जान–माल की सुरक्षा, रास्ता बहाली और अवैध कब्ज़ा हटाने की मांग
किसान ने अपने आवेदन में स्पष्ट रूप से तीन मुख्य मांगें रखी हैं:
- मेरे परिवार और मेरी जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
- ग्राम समाज की भूमि पर हो रहा अवैध कब्ज़ा तत्काल रोका जाए।
- मेरे खेत का पूर्व निर्धारित रास्ता तुरंत बहाल कराया जाए।
किसान ने चेतावनी दी कि यदि समय रहते प्रशासन ने हस्तक्षेप नहीं किया, तो विपक्षी पक्ष उसके परिवार के साथ कोई गंभीर घटना कर सकता है।
गांव में भी बढ़ी चिंता, प्रशासनिक भूमिका पर सवाल
इस प्रकरण से नीवां गांव और आसपास के क्षेत्रों में भी चिंता फैल गई है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि ग्राम समाज की जमीनों पर कब्ज़े बढ़े और रास्ते बंद किए जाने लगे, तो छोटे किसानों का जीवन बेहद कठिन हो जाएगा।
ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल मौके पर टीम भेजकर वास्तविक स्थिति जांचने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।
क्लिक करें — सवाल पूछें और जवाब पढ़ें
क्या यह जमीन वास्तव में ग्राम समाज की है?
किसान के दावे के अनुसार जमीन ग्राम समाज में दर्ज है। इसकी अंतिम पुष्टि तहसील और राजस्व अभिलेखों की जांच के बाद ही हो सकेगी।
क्या किसान की पिछली शिकायत पर कार्रवाई हुई थी?
किसान का कहना है कि 16 दिसंबर 2024 को शिकायत देने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जिसके कारण अब स्थिति और गंभीर हो गई है।
अगर प्रशासन ने कार्रवाई न की तो किसान क्या कर सकता है?
किसान राजस्व विभाग, एसडीएम कोर्ट, पुलिस स्टेशन तथा किसान संगठनों की मदद से कानूनी और प्रशासनिक कदम उठा सकता है।