
टिक्कू आपचे की रिपोर्ट
समाज और रिश्तों पर उम्र का प्रभाव – उम्र के बंधन तोड़े
समाज हमेशा रिश्तों को उम्र, जाति, धर्म और परंपराओं के तराजू पर तौलता आया है। लेकिन जब बात सच्चे प्रेम की हो, तो ये सारी सीमाएं अक्सर टूट जाती हैं। कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं, जो तमाम विरोध और तानों के बावजूद जीते-जागते उदाहरण बन जाते हैं।
मुंबई की रहने वाली 60 वर्षीय गीता और उनसे 20 साल छोटे निखिल की प्रेम कहानी भी ठीक ऐसी ही है। इस कहानी को देखकर साफ लगता है कि उम्र के बंधन तोड़े जा सकते हैं, बशर्ते प्रेम सच्चा और समझदारी पर आधारित हो।
तलाक के बाद गीता का टूटा दिल और अकेलापन – उम्र के बंधन तोड़े की मिसाल
गीता का जीवन पहले बहुत स्थिर और खुशहाल था। उनकी पहली शादी लगभग तीन दशकों तक चली। पति के साथ भारत, कुवैत, सऊदी अरब और फिर कनाडा तक का सफर उन्होंने तय किया। सब कुछ सामान्य चल रहा था, लेकिन 28 साल बाद अचानक सबकुछ बदल गया।
कनाडा में पति किसी दूसरी महिला के प्रेम में पड़ गए और उन्होंने गीता को तलाक देने का फैसला किया। कोर्ट तक मामला गया, मगर नतीजा वही रहा – तलाक। 56 की उम्र में गीता की दुनिया जैसे बिखर गई। वो अवसाद में चली गईं। इतना कि अक्सर बेहोश हो जातीं। मजबूर होकर उनके माता-पिता और फिर भतीजी उनके साथ रहने आ गए।
गीता की कहानी यह दिखाती है कि तलाक और जीवन की कठिन परिस्थितियां किसी भी उम्र में इंसान को मानसिक रूप से कमजोर कर सकती हैं।
अचानक हुई मुलाकात और बदलता रिश्ता – उम्र के बंधन तोड़े की शुरुआत
इसी बीच गीता की भतीजी उन्हें एक आवारा कुत्तों के टीकाकरण कार्यक्रम में लेकर गई। वहीं उनकी मुलाकात निखिल से हुई। निखिल पहले से उन्हें सोशल मीडिया पर फॉलो करता था। पहचान होने के बाद मुलाकातें बढ़ीं और धीरे-धीरे वह गीता के जीवन का हिस्सा बन गए।
निखिल का व्यवहार किसी दोस्त से कहीं ज्यादा अपनापन भरा था। वह गीता का ख्याल रखते, तनाव के पलों में उन्हें संभालते। यह देख गीता का दिल भी पिघलने लगा। वो बताती हैं –
“जिस तरह से निखिल मेरा ख्याल रखता था, वैसा तो कभी किसी ने नहीं रखा। उसके समर्पण ने मुझे प्रभावित किया और धीरे-धीरे मैं भी उससे प्यार करने लगी।”
यहां साफ दिखाई देता है कि प्रेम उम्र के फर्क को चुनौती दे सकता है और इंसान की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
परिवार और समाज का विरोध – उम्र के बंधन तोड़े की चुनौती
जब निखिल ने शादी की बात रखी तो सबसे पहले गीता के माता-पिता ने विरोध किया। उन्होंने समझाया
“तुम दोनों के बीच 20 साल का अंतर है। ये रिश्ता कैसे टिक पाएगा?”
लेकिन निखिल जिद पर अड़ा रहा। उसने अपने माता-पिता को भी गीता से मिलवाया। वहां भी वही स्थिति बनी। निखिल की मां ने गीता से कहा –
“अगर तुम्हारा बेटा किसी 20 साल बड़ी महिला से शादी करता, तो तुम कैसी प्रतिक्रिया देतीं?”
गीता का जवाब था –
“शायद मैं भी विरोध करती।”
यही सुनकर निखिल की मां ने कहा –
“तो समझो, मैं क्यों चाहती हूं कि ये शादी न हो।”
समाज के लोग भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने गीता को “बूढ़ी आंटी” कहकर मजाक उड़ाया। सोशल मीडिया पर ताने दिए – “पूजा-पाठ की उम्र में शादी कर ली।” रिश्तेदारों ने भी कहा – “देखो मां-बेटा जा रहे हैं।”
यह चरण यह दिखाता है कि उम्र के बंधन तोड़े जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए साहस और अडिग प्रेम की जरूरत होती है।
निखिल का अटूट समर्पण और शादी – उम्र के बंधन तोड़े का प्रमाण
भारी विरोध के बावजूद निखिल का प्यार अडिग रहा। उसने साफ कहाप्रमा
“अगर आज आपने ‘हां’ नहीं कहा तो मैं कभी लौटकर नहीं आऊंगा।”
आखिरकार गीता ने हामी भर दी। शुरुआत में उनके माता-पिता नाराज हुए, लेकिन उन्होंने भी मान लिया कि गीता अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जीना चाहती हैं।
11 दिसंबर 2020 को दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली। शादी के दिन एक सुखद आश्चर्य तब हुआ जब निखिल के माता-पिता भी रजिस्ट्रार ऑफिस पहुंच गए। न सिर्फ आशीर्वाद दिया बल्कि शादी के बाद गीता का फूलों से स्वागत भी किया।
यह स्पष्ट उदाहरण है कि उम्र के बंधन तोड़े जा सकते हैं और सच्चा प्यार समाज की धारणाओं से ऊपर होता है।
पांच साल बाद की खुशहाल जिंदगी – उम्र के बंधन तोड़े की सफलता
आज गीता और निखिल की शादी को पांच साल हो चुके हैं। गीता बताती हैं –
“अब ससुराल में सभी मुझे अपनाते हैं। कभी मेरी उम्र को लेकर सवाल नहीं उठता। रिश्तेदार जरूर ताने कसते हैं, लेकिन परिवार के समर्थन और निखिल के प्यार से मैं खुश हूं।”
सोशल मीडिया पर अब लोग उन्हें देखकर प्रेरणा लेते हैं। कई युवा उनसे रिश्ते और शादी की टिप्स तक मांगते हैं।
निखिल की नज़र से रिश्ता – उम्र के बंधन तोड़े की कहानी
निखिल बताते हैं कि उन्हें पहली मुलाकात में ही गीता अच्छी लगीं। जब गीता ने अपने पुराने तलाक की बात साझा की और रोने लगीं, तो उन्होंने दिल से कहाकहान
“मुझसे शादी कर लो।”
हालांकि शुरुआत में गीता ने इंकार कर दिया, लेकिन निखिल का समर्पण जीत गया।
वो कहते हैं –
“मेरी मां ने मुझे पागल कहा, भाई ने मजाक उड़ाया – ‘भाभी कहूं या बुआ?’ लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी। मुझे विश्वास था कि गीता के साथ मैं खुश रहूंगा। आज पांच साल बाद भी हम उतने ही करीब हैं जितना पहले।”
यह दर्शाता है कि उम्र के बंधन तोड़े जा सकते हैं यदि रिश्ते में समर्पण और विश्वास हो।
अरुणिमा और आकाश : एक और मिसाल – उम्र के बंधन तोड़े
गीता और निखिल की तरह कोलकाता की अरुणिमा बोस राठी और आकाश राठी ने भी समाज की सोच को चुनौती दी।
अरुणिमा आकाश से 9 साल बड़ी हैं। दोनों की दोस्ती ट्यूशन से शुरू हुई और धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। लेकिन जब घरवालों को पता चला, तो हंगामा मच गया। अरुणिमा की मां तो मान गईं, लेकिन पिता ने विरोध किया।
आकाश के घर भी बवाल हुआ। रिश्तेदार कहते – “अरुणिमा को दीदी क्यों नहीं कहते?”
फिर भी दोनों ने हार नहीं मानी। शादी कर ली और आज सोशल मीडिया पर “ऐज-गैप कपल” के नाम से लोकप्रिय हैं।
समाज की सोच पर सवाल – उम्र के बंधन तोड़े क्यों जरूरी
इन कहानियों से एक सवाल बार-बार उठता है –
जब लड़का बड़ा हो और लड़की छोटी, तो इसे सामान्य माना जाता है। लेकिन जब लड़की उम्र में बड़ी हो तो क्यों अजीब समझा जाता है?

समाज का यह दोहरा रवैया आज भी कई प्रेम कहानियों के बीच दीवार बनता है।
गीता-निखिल और अरुणिमा-आकाश जैसी कहानियां हमें सिखाती हैं कि प्रेम उम्र का मोहताज नहीं है। रिश्ते आपसी समझ, सम्मान और भरोसे पर चलते हैं, न कि समाज के बनाए नियमों पर।
प्यार, सम्मान और विश्वास : रिश्तों की असली नींव – उम्र के बंधन तोड़े
उम्र के बंधन तोड़े जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए केवल साहस पर्याप्त नहीं है। रिश्ते की असली ताकत है –
आपसी समझ
सम्मान
भरोसा
एक-दूसरे के लिए समर्पण
गीता और निखिल की कहानी यह साबित करती है कि जीवन में प्यार का कोई उम्र नहीं होता। जब प्रेम सच्चा और निष्ठावान हो, तो कोई सामाजिक बाधा या पूर्वाग्रह इसे रोक नहीं सकता।
समाज की पुरानी सोच को चुनौती – उम्र के बंधन तोड़े
समय आ गया है कि समाज अपनी पुरानी सोच बदले। खुशहाल रिश्ता वही है जिसमें दोनों साथी खुद को सुरक्षित और संतुष्ट महसूस करें – चाहे उम्र का अंतर कितना भी क्यों न हो।
गीता और निखिल की कहानी एक प्रेरणा है कि उम्र के बंधन तोड़े जा सकते हैं और सच्चा प्यार हर बाधा को पार कर सकता है।
सोशल मीडिया पर अब यह जोड़ी प्रेरणा के रूप में जानी जाती है। कई लोग उनसे सलाह लेते हैं, और उनके अनुभव से सीखते हैं कि जीवन में खुश रहने का मतलब है – प्यार, समझ और विश्वास।
उम्र के बंधन तोड़े की यह कहानी सच्चाई, साहस और प्रेम की मिसाल है, जो हमें यह सिखाती है कि जीवन में खुशी पाने के लिए किसी भी उम्र में सही साथी को चुनना गलत नहीं है।
